Nitu Mathur

Inspirational

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Nitu Mathur

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ख़ामोशी से महान न बनो

ख़ामोशी से महान न बनो

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"ओ... वाव ...बीनू मासी आप में कोई चेंज नहीं आया, इतने सालों में" आशी की आंखे खुशी से चमक उठीं जब उसने अपनी मासी नर्मदा को अपने बूक लॉन्च में आते देखा, वो एक हल्की गुलाबी साड़ी और मैचिंग बालियों में बहुत ही सुंदर लग रहीं थीं। आशी ने उन्हें प्यार से गले लगाया और उनका हाथ पकड़ कर उन्हें पोडियम के पास ले गईं। आशी अपनी मासी के बहुत करीब थी, उम्र का अंतराल होते हुए भी वो आपस में सहेलियों की तरह अपनी सारी बाते एक दूसरे से शेयर करती थीं। नर्मदा शुरू से एक सीनियर और कुशल गवर्नमेंट लेक्चरर थी , और अब रिटायरमेंट के बाद बहुत ही आराम से जीवन व्यतित कर रही थी। उनके जिनमें उनका एक बेटा और बेटी थे, अपनी जिंदगी में मशरूफ थे। पति भी स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में एक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद से रिटायर हो चुके थे। उस दौरान नर्मदा नौकरी के अलावा घर परिवार सभी की जिम्मेदारी बड़ी ही कुशलता से निभा रही थी। 

सब कुछ पाने के बाद भी नर्मदा को जाने क्यूं अब खालीपन , अकेलापन और अपनों की नज़रंदाज़ से कुछ अनुभव होने लगे थे। वहां बैठे बैठे नर्मदा के सामने बीते 20-25 साल एक पैनोरमा रील की तरह चलने लगे थे। 


चूंकि शादी से पहले भी नर्मदा और उनकी छोटी बहन नलिनी एक साथ एक बैंक में साथ काम करते थे,और इतिफाक से दोनों की शादी भी एक ही घर परिवार में हुई थी। दोनों बहनें आपस में देवरानी जेठानी भी बन गईं थीं। लेकिन सबसे अच्छी बात ये थी कि नर्मदा और नलिनी आपस में बहुत अच्छी दोस्त भी थी, इसलिए हर रिश्ते में ताममेल और सामंजस्य बिठाने में कहीं भी कोई चूक नहीं रहती थी। शादी के बाद नर्मदा ने अपनी एम.एड पूरी की, और एक अच्छे बड़े स्कूल में सीनियर लेक्चरर के पद पर कार्य करने लगी थी। सब कुछ ठीक ही चल रहा था,या यूं कहें कि ऐसे चल रहा था..."बहू, वापस आते बुआ जी से मिलती आना,उनकी तबियत ठीक नहीं है, ... नर्मदा, "मेरे शर्ट का कलर चेंज करना है, प्लीज़ आते समय शॉप पे चेक कर लेना... मम्मी प्रोजेक्ट के लिए कार्डबोर्ड और ए4 साइज शीट लेती आना, मुझे कल ही सबमिट कराना है..", कुछ इसी तरह की आवाज़ें लगभग रोज़ सुबह जाने से पहले उसके कानों में गुड मॉर्निंग की तरह गूंजती थी। सबके मुताबिक खाना बनाके वो अपनी स्कूल जाती और वापसी में ये सारे काम निपटा के आती थी। बिना कोई 'ना', बिना किसी गिला शिकवा या शिकायत के नर्मदा के जीवन की गाड़ी सब्र के पुल पर शांत बिना आवाज़ के स्मूथ चल रही थी। घर में शांति बनाए रखने की कीमत खुद को सुपर वुमन बनाना था।


बावजूद इसके कभी कोई तारीफ या कोई हंस के उससे बात ही कर ले, ये सबके लिए जैसे एक बड़ा भारी काम था, उसकी सासू मां हमेशा दूसरों की बहु बेटियों की तारीफ करते नहीं थकती थी, लेकिन उनकी अपनी बहू जो सुबह से रात तक रोबोट की तरह काम कर रही थी,उसे सरासर अनदेखा कर दिया जाता था। नर्मदा के पति बाकी सबसे हंसी खुशी बात करते थे, लेकिन खुद अपनी पत्नी से साधारण बात करना भी जरूरी नहीं समझते थे, उनके मेल इगो के हिसाब से दुनिया की सभी औरतें ये सब काम करती हैं, इसमें क्या बड़ी बात है।

कभी कभी तो वो सबके सामने उसका मज़ाक भी बना देते थे। 

नर्मदा प्यार के बोल के लिए तरस जाती थी।


 सिर्फ़ बंद कमरे में ही प्यार जताया जाए...ठीक नहीं, बाहर भी उसका सम्मान होना बहुत ज़रूरी है। ठीक उसी तरह मां सिर्फ बच्चों को जरूरत के समय ही याद आए ,ये कहां का प्यार है? बच्चों का भी फर्ज है कि अपनी मां का हाथ बटाएं और उसे आदर से बात करे, आदेश से नहीं। एक औरत का सम्मान तभी है जब उसे उसके स्वाभिमान से , प्यार से सबके समक्ष हर रूप में स्वीकारा जाए। नर्मदा की चुप्पी और खामोशी से सबका कहना मानना आज उसे ऐसे मोड़ पे ले आया है जहां से उसे बस खाली और अकेलेपन की गलियां ही दिखाई दे रहीं थीं।

उसे लगा कि अगर उसने पहले ही अपने लिए आवाज़ उठाई होती तो आज सीन दूसरा होता, दूसरी तरफ वो ये भी जानती थी कि हर रिश्ते की गरिमा बनाए रखने के लिए सब कुछ सुनना ही बेहतर है , चाहे वो सास हो, पति या बच्चे। आत्म

 सम्मान और स्वाभिमान हम ऐसे भीख में नहीं मांग सकते। 

कहते हैं आपका व्यक्तित्व आपका व्यवहार दुनिया के सामने एक झरोखा होता है, जिस में से लोग आपको देखते और समझते हैं, आज इतने सालों बाद मैंने हर रिश्ते को अपनी तपस्या से सींच कर बड़ा किया है, जिसका मुझे गर्व है।

"मासी, .. कहां खो गईं !! मुझे पता है आओ फ्लैश बैक में चली गई थीं, मुझे आपको एक गुड न्यूज़ देनी है , आप मेरी कंपनी में सीनियर एडिटर का काम संभाल रही हो, क्यूंकि मैं जानती हूं कि आपको भी रीडिंग और राइटिंग का बहुत शौक है, इसलिए मैंने आपका नाम रिकमेंड किया था। "पर राशि, इतनी बड़ी जिम्मेदारी मैं कैसे संभाल पाऊंगी, इतने लंबे गैप के बाद?" सब हो जायेगा बीनू मासी, और फिर मैं हूं ना आपकी हेल्प के लिए आपके साथ"। आप बिल्कुल चिंता मत करो, आशी ने नर्मदा के गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा, आशी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, मासी, आपने तन मन से अब तक घर परिवार और काम सब कुछ अच्छे से संभाला है, बदले में चाहे मीठे दो बोल मिले या न मिले, आपने अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं रखी"। "लेकिन, अब पुरानी सभी बातों को भूल कर अपने लिए जीना सीखो, वो करो जो आपका मन करता है, खुद से खुद का रिश्ता जोड़ो। आप खुद के लिए अच्छा महसूस करो,खुद का सम्मान करो, अपनी वैल्यू समझो तभी सब आपकी वैल्यू समझेंगे"। "चलिए मासी , मेरे साथ स्टेज पे चलिए, आज के इवेंट की चीफ़ गेस्ट आप ही हैं, आइए और लैंप लाइट कीजिए"। नर्मदा ये सुनकर एक दम सरप्राइज्ड हो गई, उसे भनक भी नहीं थी कि आज उसे इतना सम्मान मिलेगा, उसकी आंखों से खुशी और ममता के आंसू छलक पड़े, उसने राशि को ज़ोर से गले लगाया और उसे बहुत सारा प्यार और आशीर्वाद देने लगी। सारा हॉल तालियों से गूंज उठा जब राशि नर्मदा का हाथ थामे स्टेज पर आई।


हर रिश्ते को पालने और बढ़ाने में इतना खामोश भी मत रहिए कि आपकी आवाज ही गुम हो जाए। अपने आदर और स्वाभिमान को बरकरार रखिए, गलत बात पर अपना भी पक्ष रखिए। आपकी गरिमा, आपका सम्मान खुद आपके हाथ में है, इसे हमेशा अपने साथ रखिए। 

  

    


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