पार्ट :-17 क्या अनामिका बापस आएगी ?
पार्ट :-17 क्या अनामिका बापस आएगी ?
आपने पिछले भाग में पढ़ा कि राव सर अपने भतीजे राहुल से अंकित को मिलवाते हैं। और उससे मिलकर अंकित को पता लगता है ये वही मस्कुलर है। अब आगे।
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"हेलो " अंकित के मुंह से निकला
"हम्म। अंकित। बहुत सुना है तुम्हारे बारे मे। अंकल बहुत तारीफ करते हैं तुम्हारी " राहुल ने कहा।
उन दोनों को हाथ मिलाते देखकर राव सर बहुत खुश होते हुए बोले "बहुत बढ़िया मुझे यकीन है। तुम दोंनो मिलकर काम करोगे ,तो। युवाशक्ति अच्छे नतीजे लेकर ही आएगी "
जवाब में दोंनो मुस्कुरा भर दिए। जहाँ राहुल ये बोलकर कि 'कल मिलते हैं 'चला गयावहीं अंकित को राव सर ने एक लेटर टाइप कराने के लिए रोक लिया। एक मामूली सा लेटर टाइप करने में भी बहुत टाइम लग गया अंकित को क्योंकि राहुल को देखने के बाद वो मानसिक तनाव में आ गया था ,बाद में राव सर ने उसे कुछ पेपर्स देते हुए कहा
" अंकित। जरा ये पेपर्स राहुल के केविन में रख दोगे क्या ??
"क्यों नहीं सर। जरूर " कहते हुए उसने पेपर्स उनके हाथ से ले लिए। और राहुल के केविन में जाकर जैसे ही पेपर्स टेबिल पर रखेपेपर्स रखते ही उसकी नजर टेविल पर रखे एक फ़ोटो फ्रेम पर चली गयीहाथ मे फोटो फ्रेम उठाते ही उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया
वो बुदबुदाया "मुझे तो लगा बस्स आकर्षित होगा ये अनामिका की ओर लेकिन इसने तो बकायदा अनामिका का फोटो अपने टेबिल पर सजा रखी हैमतलब। कहीं ये सीरियस तो नहीं?। (दांत भीचते हुए) कमीना
अपने केविन में आकर अंकित विचारों में उलझ गया
"जितनी बार मैं खुद को सम्भालता हूँ। उतनी ही बार एक नयी उलझन
अंकित का मन :-"बेकार में ही परेशान है तू यार। उसने पहचान नहीं पाया तुझेऔर राव सर ने एक और काम में शामिल कर तुझ पर भरोसा जताया है। फिर दिक्कत कहाँ है ?
अंकित :-दिक्कत ही दिक्कत हैये राहुल का बच्चा। सीरियस है उसके लिए "
अंकित का मन :-सौ बातों की एक बात। अनामिका प्यार करती है तुझसेइससे बड़ी बात क्या हो सकती है?
अंकित :' हम्म। जानता हूँ लेकिन अपने इस दिमाग का क्या करूँ उसका रुतवा। पैसेवाला होना। और राव सर जैसे इंसान से जुड़े होना। मुझे डर लग रहा है। कहीं "
अंकित का मन :- बेकार में परेशान मत हो अंकितवो कितना प्यार करती है तुझसेकोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता "
अंकित :- "हम्महम्म। सही हैबस्स बेचैनी और घबराहट है मुझेक्यों ना अनामिका के पास ही चला जाये शायद उससे मिलकर मुझे सुकून मिले " और इतना सोचते ही राव सर को ये बोल "कि कुछ पर्सनल काम है। जल्दी लौट आऊंगा "अंकित। अनामिका से मिलने पहुँच गया।
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यूँ ही बैठी वो शून्य में ताक रही थी,अंकित ने उसे देखा तो बोला "अनामिका। तुम ठीक तो हो। ?
"हेआज इतनी जल्दी। मैं तो खुश हूँ तुम तो ठीक हो ना ? बताओ क्या लाऊँ। क्या खाओगे ? उसने चहकते हुए पूछा
"कुछ नहीं। बस्स यहाँ आकर मेरे पास बैठो। जरूरी बात करनी है "
"हाँ हाँ। बोलो ना " अंकित जहाँ सोफे पर बैठा था। वो उसी के पैरों के पास जमीन पर पास बैठते हुए बोली
"हरेक बच्चे की तरह तुम भी अपने पेरेंट्स से बेहद प्यार करती होगी। है ना"?
"हाँ बिल्कुल। करना भी चाहिए " उसने अंकित के घुटने पर हाथ रखते हुए कहा
"हाँ। बिल्कुल करना चाहिए " अंकित ने सहमति में सिर हिलाया
"तो अगर कल को। तुम्हारे पेरेंट्स। तुम्हारे लिए एक ऐसे लड़के को पसंद करेजिसके पास ज्यादा पैसा होजो बाहर से पढ़ कर आया हो। और जो एक प्रतिष्ठित परिवार से हो। तो क्या तुम मान लोगी उनकी बात ? छोड़ सकती हो ऐसे हालात में मुझे?
"क्यों पूछ रहे हो ऐसे "?
"इसलिए कि मेरी जिंदगी का हिस्सा भर नहीं हो तुम। बल्कि जिंदगी हो। मेरी हर खुशी। उम्मीद। सब तुमसे है। बताओ ना। अनामिका "
"रुको अभी आयी। "अंदर की तरफ मुड़ते हुए वो बोली
"कहाँ जा रही हो। पहले जवाब दो। मेरी बात का "लेकिन अनसुना कर वो अंदर चली गयी और कुछ सेकेंड में ही बापस आयी तो हाथ मे एक छोटा सी डिब्बी लिए हुए। और लाकर उसने अंकित के हाथ पर रख दिया उस डिब्बी को
"क्या है ये " ? बोलते हुए अंकित ने उसे खोला और चौकते हुए अनामिका की ओर देखा " ये। ये तो सिंदूर हैअनामिका "
"तुम्हारी बेचैनी और आशंकाओ का इससे बेहतर जवाब नहीं है मेरे पास अंकितलो भर दो मेरी मांग। " कहते हुए उसने अपना सिर उसकी ओर कर दिया
"ओह अनामिका। तुमने तो। निरुत्तर कर दिया मुझे। एक ही झटके में मेरी सारी आशंका और डर खत्मअब मुझे किसी का डर नहीं। किसी का नहीं " फिर उसे गले लगाकर
"बहुत प्यार करता हूँ तुमसे। बहुतऔर हाँ सिंदूर सबके सामने भरूँगा। चलता हूँ "
"इतनी जल्दी। रुको ना "
"नहीं। मिलता हूँ ना शाम को। "
"नहीं अंकित। अभी रुको "
"कहा ना मिलता हूँ। शाम को। तुम अपना ख्याल रखो बस्सबहुत हुआ। शादी करनी है तुमसे जल्दी से मुझे "
और बो दौड़ता सा निकल गया। अनामिका के घर से। वो पीछे पीछे आयी बोलती हुई"अंकित रुक जाओ ना "
अंकित ने इशारे से कहा शाम को आ रहा हूँ। और दौड़ता सा चला गया।
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अभी ऑफिस पहुंचा भी नहीं था कि राव सर ऑफिस से निकलते दिखे। अंकित को देखा तो उसी की ओर आ गए
"अंकित। बेफिक्र हो जाओ अब तुम्हे नवीन कुछ नहीं कहेगा "
"आप ने उससे बात कर ली सर "अंकित ने खुश होते हुए पूछा
"हाँ। मैंने उसे समझाया। और वो मान भी गयाकभी मिले भी, तो इस बारे में उससे बात मत करना बस्स "
"बहुत बहुत शुक्रिया सर ,आप का ये एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूँगा" उसने बड़े दिल से ये बात बोली तो राव सर ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
"इसमे एहसान की कोई बात नहीं। बल्कि तुमने रुचिका की जान बचाकर हम सब पर एहसान किया है "
"नहीं सरऐसा भी कुछ नहीं किया मैंने " अंकित बोला तो राव सर मुस्कुरा दिए।
" ठीक है भई अच्छा मैं चलता हूँकल मिलता हूँ तुमसे। "
अंकित साइड में हट गया और राव सर गाड़ी में बैठ निकल गए
अंकित अपने केविन में आया और सीट पर आंखे बंद कर बैठ गया। अनामिका के कहे हुए शब्द उसके कानों में मानो बज रहे हों। बहुत मखमली एहसास को जी रहा था। चेहरे पर आई मुस्कान। और देर भी बनी रहती। अगर एक्स्टेंशन पर फ़ोन नहीं आया होता।
उसने जैसे ही रिसीवर उठाया। उधर से राहुल बोल रहा था
"अंकित। जरा आओ ना बस। थोड़ी देर के लिए "
"हम्म। "बोलकर उसने रिसीवर रख दिया
खिले चेहरे पर विषाद के भाव आ गए अंकित केवो खुद में बुदबुदाया 'कोई फर्क नहीं पड़ता अब मुझे। तुमसे राहुल। कोई नहीं। मैं पहले ही जीत चुका हूँतुम्हारा एकतरफा प्यार। एकतरफा ही रहेगाबल्कि मुझे तो तुमसे हमदर्दी होनी चाहिए। हम्म " वो मुस्कुराया और राहुल के केविन की तरफ चला गया।
राहुल। दो बड़े चार्ट मेज़ पर फैलाये। मुंह में पेन का कैप फॅसा। एक हाथ मे पेन और दूसरे हाथ में बड़ा सा स्केल लिए खड़ा थाजैसे ही अंकित अंदर पहुंचा उसने मुँह में से पेन का कैप, फूंक मार बाहर निकाला और बोला "अंकित। आओ बैठो। बहुत मेहनत के बाद मैंने ये दो फाइनल। डिजाइन बनाई हैं (दो मॉडल की तरफ इशारा कर के ) ये बताओ कि दोंनो डिजाइनों में से कौन सी डिजाइन ज्यादा अच्छी है। बस्स फर्क ये है कि। इस डिजाइन में (एक मॉडल की ओर इशारा करते हुए ) लोगों के बैठने के लिए जगह कम है बल्कि इसमें (दूसरी डिजाइन की ओर इशारा कर के) ज्यादा जगह है
अंकित मन ही मन " ये पूछ ना। कि मुझे तेरी शक्ल पसंद है या नहीं। तब मैं बताता कि दुनिया की हर चीज़ पसंद है मुझे। बस तेरी शक्ल नहीं। काश कह पाता
राहुल ने उसे चुप देखा तो बोला "क्या सोच रहे होबेझिझक बताओ ना कौन सी बेहतर है"
अंकित ने यूँ ही। अपने हाथ पे बंधी घड़ी को खोला और और फिर से बांध लिया ये जताने को जैसे बहुत गहनता से डिजाइन के बारे में सोच रहा है। लेकिन ठीक से देखा भी नहीं और एक डिजाइन पर उंगली रख दी, बोला "मुझे ये ज्यादा बेहतर लग रही है "
राहुल के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। "वाह। मुझे भी ये डिजाइन ज्यादा पसंद है लोग ज्यादा बैठने वाली जगह को पसंद करेंगे। फाइनल डिसीजन तो अंकल ही लेंगे। बहुत बढ़िया यार"
"तो चलूँ मीटिंग की तैयारी करनी है " अंकित ने उठते हुए कहा।
"हाँ। ठीक है। अच्छा सुनो अंकित। जब भी तुम्हे देखता हूँलगता हैं हम पहले भी मिल चुके हैं"
अंकित ने सोचा अगर ना बताया तो ये सोचता रहेगा। बता देने से शायद इसका भृम भी खत्म हो जाये और ये सोचे भी ना कि इसे, इसके घर मे जाकर पीट आया हूँ। सो उसने। बोला "जीकाफी दिनों पहले। मार्केट में ,हम टकरा गए थे एक दूसरे से। और आपका वॉलेट गिर गया थाऔर। " अंकित की बात बीच मे काटते हुए वो बोला
"और उस वॉलेट को तुमने उठा कर मुझे दिया था। याद आया " वो खुश होते हुए बोला
"जी" अंकित ने बोला और। जाने लगा
"वॉलेट के गिरने से कोई दिक्कत नहीं। लेकिन उसमें अनामिका की फ़ोटो जो थी आह"उसने मुस्कुराते हुए कहा, और फ्रेम लगी अनामिका की फ़ोटो हाथ मे लेकर उसे अपने सीने से लगा लिया
ये शब्द सुन कर और उसे अनामिका की फ़ोटो उसे, ऐसे सीने से लगाये देखकर अंकित के तन बदन में आग लग गयी वो तेज़ी से पीछे पलटा। उसके मन ने रोका 'नहीं अंकित। इग्नोर कर। जरूरत नहीं है बेकार में "
"बहुत हुआ। जवाब दे गया है मेरा धैर्य "
"क्या रिश्ता है अनामिका से तुम्हारा"? अंकित ने पूछा।
"तुम ऐसे। कैसे पूछ रहे हो ?" उसने तनिक आवेग में आते हुए पूछा।
"क्यों ना पूछूँ। वो जिंदगी है मेरी। प्यार करता हूँ उससे मैं"
अंकित ने भी आवेग में जवाब दिया
राहुल :-"क्या। क्या बकवास करते हो "?
अंकित:-"बकवास तो तुम कर रहे हो। बहुत हुआ। बहुत किया बर्दाश्त मैंने। अब नहीं" गुस्से में अंकित की आंखे लाल हो आयी
राहुल :"बर्दाश्त तो मैं कर रहा हूँ। तुझे "बोलते हुए वो कुछ कदम चलकर अंकित के पास तक आया। और अपने हाथ को उसने पंजे की तरह इस्तेमाल करते हुए अंकित का जबड़ा पकड़ लिया। और पीछे की ओर धकेलता हुआ दीवार तक ले गया। दीवार से सटाकर अपना चेहरा बिल्कुल अंकित के चेहरे पास लाते हुए बोला " अगर कुछ वक्त पहले भी तूने ये बोला होता ना। तो तुझे यहीं मसल देता। और मसल तो अब भी सकता हूँ लेकिन अंकल को खास लगाव है तुझसे। और अंकल से मुझे। । बात रिश्ते की पूछी ही है तो सुन। तुझ जैसे जाने कितनों को छोड़ कर ,उसने (फिर अपना बाएं हाथ की उंगली में पहनी अंगूठी दिखाते हुए )
ये अंगूठी। सबके सामने पहनाई थी मुझे। समझा"
और एक झटके के साथ उसे छोड़ते हुए वो बापस अपनी सीट पर बैठ गया टेबिल के ड्रॉर में से बीयर की बोतल निकाली और एक घूंट पीने के बाद अंकित की ओर देखकर बोला
"बेफिक्र रह। बच्चा नहीं हूँ मैं। जो ये बात अंकल तक पहुँचाऊँ। पहली गलती है तेरी, इसलिए छोड़ता हूँ। आगे से मुझे अपना ये एटिट्यूड मत दिखाना। समझा"
अंकित जो उससे दो दो हाथ करने के मूड में था। जैसे ही राहुल की उंगली में पड़ी अंगूठी देखी। उसके बादराहुल की कही कोई भी बात उसके कानों में नहीं गयी अंगूठी देखने के बाद। सदमे में अंकित बिल्कुल जड़ हो गया। कानों में 'बीप्प '। की आवाज और आंखों में अगूंठी की तस्वीर छप गयी हो जैसेतेज़ कदमों से अपने केविन में गया और पूरी ताकत से अपने दोनों हाथ टेबिल पर दे मारे "
साला। नौटंकी क्या है ये सिंदूर देकर मुझसे कहा मांग भर दो। और ये कमीना कहता है 'कि अनामिका ने उसे अगूंठी पहनाई है'फिर अपनी दोनों हथेलियां देखते हुए 'अनामिका। अगर सच मे तुमने इसे अंगूठी पहनाई है। तो आज। आज गयीं तुम मेरे हाथो से। मार दूँगा मैं आज तुम्हें 'दाँत भीचता। लाल आंखों के साथ वो केविन से बाहर निकला ' धड़ाक' की आवाज के साथ केविन का गेट मारा। और गुस्से में लगभग दौड़ता सा बाहर निकल गया ऑफिस से।
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नेक्स्ट पार्ट जल्दी ही।