Nirdosh Jain

Classics

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पापा

पापा

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  दरवाजे पर घंटी कि आवाज सुन स्वाति ने दरवाजा खोला। अरे आप इतनी जल्दी अरे ये नई साइकिल ओर आपकी मोटरसाइकिल कहां ? है स्वाति ने रमेश पर सवालों कि बौछार कर दी, रमेश हसते हुए अंदर 

  आया साइकिल को आंगन में खड़ा किया, तभी उनका दस वर्षीय बालक अमन आया पापा आप आगये,  ओर रमेश से चिपट गया, रमेश ने थैले से एक पैकेट निकाला अमन को पकड़ा दिया, अमन ने जैसे ही 

  पैकेट खोला अरे टैब एक खूबसूरत सैमसंग का का टैब था, अमन खुश होगया स्वाति भी अरे इतना महंगा टैब ओर बोलकर चुप होगई।

  स्वाति समझ गई कि टैब कहां से आया, रमेश एक प्राइवेट कंपनी में क्लर्क था। महंगाई में घर कि हालत कुछ ठीक नहीं थी। रमेश मोटर साइकिल से कंपनी के ऑफिस आता जाता था। कोरोना काल में स्कूल 

 सब बंद है। आनलाइन पढ़ाई होती है अमन अपनी  मम्मी के टूटे से पुराने से मोबाइल से आनलाइन पढ़ाई करता था, उसे परेशानी होती थी, कभी कभी तो  पढ़ाई भी नहीं होपाती थी,। रमेश ओर स्वाति मन 

  मारकर रह जाते क्या करे ,रमेश उनका एकलौता  लड़का था। स्वाति सारी बात समझ गई कि रमेश  ने मोटर साइकिल बेच कर टेब ओर साइकिल ली है अमन के दिमाग में भी ये बात आगई थी। स्वाति 

  रमेश के सीने से लग गई , अमन भी पापा कहकर  उनसे चिपट गया सबकी आँखो में पानी भरा था। ऐसा होता है पापा औलाद कि खातिर कुछ भी कर सकता है।


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