माँ
माँ
टाउनहाल में बहुत चहलपहल थी । आज एस .पी .श्री सत्यप्रकाशजी का सम्मान समारोह है । कुछ दिन पहले ही इस शहर में उनका तबादला हुवा था। सबसे बड़ी बात थी कि सत्यप्रकाश जी का जन्म पढ़ाई इसी शहर में हुई थी । राज्य में एक अच्छे कर्तव्यनिष्ठ, अफसर के रूप में उनका मान था । आज राज्य के मुख्य मंत्री द्वारा उन्हें सम्मान मेडल मिलेगा । कुछ देर बाद मंत्री जी का काफिला आता है। समारोह शुरू होता है सत्यप्रकाश जी का सम्मान होता है मेडल मिलता है । तभी मंच संचालक महोदय ने सत्यप्रकाश जी से अपने बारे में बोलने को कहा पूछा आपकी कामयाबी के पीछे किसका हाथ है ? सत्यप्रकाश जी ने माइक थाम लिया बोले मेरी कामयाबी या आज मैं जो भी हूँ उसमे मेरी माँ का प्यार ओर त्याग है। यह कहते हुवे उनकी आंखे भर आई ओर सामने बैठी अपनी माँ कि ओर देखा बोले मेरे पिता बचपन में ही हमारा साथ छोड़ चुके थे । मेरी माँ ने घरो में काम कर मुझे पढ़ाया । माँ के त्याग के बारे में मझे बहुत दिन बाद चला माँ ने मुझे पढ़ाने मुझे कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने के लिये अपनी एक किडनी भी जिस घर में काम करती थी उसकी मालकिन को दे कर उसकी जान बचाई थी ।सबसे मना कर दिया था ये बात मुझे ना पता चले उस समय मैं दिल्ली रहकर आई पी एस कि तैयारी कर रहा था । मेरी पढ़ाई के लिये माँ ने अपनी एक किडनी भी बेच दी। मुझे यह बात मेरी शादी के वक़्त पता चली, क्यों कि माँ ने जिसे किडनी देकर उनकी जान बचाई थी वो मेरी सासु माँ है आज माँ कि कुर्बानियों का पता मुझे उनसे ही पता चला। मेरे लिये माँ से बढ़कर कोई नहीं यह कहकर वे स्टेज से उतर कर सामने बैठी अपनी माँ के चरणों में झुक गए । माँ ने गर्व से उन्हें छाती से लगा लिया। सत्यप्रकाश जी मिला मेडल अपनी माँ के गले में डाल दिया। सभी कि नजर माँ कि तरफ थी मुख्यमंत्री ने भी माँ को सैल्यूट किया । माँ से बढ़कर औलाद कि खातिर त्याग कोई नहीं कर सकता । किसी ने सच ही कहा
माँ तेरी सूरत से अलग भगवान कि सूरत क्या होगी