Nirdosh Jain

Classics

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Nirdosh Jain

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मालकिन

मालकिन

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घर में खुशी का माहौल था। आज रामलाल के बड़े बेटे की शादी है। काफी चहल पहल है सीमा बहुत व्यस्त थी सभी काम की जिम्मेदारी उसी पर थी। वह खुशी खुशी सारी जिम्मेदारी निभा रही थी। सीमा एक लगभग बीस वर्ष की सुंदर युवती है वह राम लाल जी के यहां काम करती है परन्तु इस घर के सभी सदस्य उसे बहुत प्यार करते थे रामलाल जी तो उसे बेटी बेटी कहते थे। सभी बारात की तैयारी में व्यस्त थे।

तभी रामलाल जी की नजर बेटे की तरफ जाती है जो किसी से फोन पर बात कर पसीने पसीने होगया था 

वे उसके पास पहुंचे ओर जब उन्हे भी पता चला तो होश उड़गए उन्होने खुद कॊ संभाला ओर लड़के को दिलासा दी, सब ठीक होजाएगा। जिस लड़की से शादी होने वाली थी वह अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी। रामलाल चिंतित थे तभी सीमा पास आकर कहती है क्या हुवा पापा रामलाल जी सीमा कॊ देख उसके पेर पकड़ लिये बोले मेरी इज्जत बचा लो ओर पूरी बात उसे बताते है ओर कहते है कल तक तुम इस घर की बेटी थी आज से इस घर की बहू हो सीमा बोली मखमल में टाट का पेबंद तो ठीक नहीँ है पर आप की जेसी मर्जी। शादी बगल धर्मशाला में ही थी। घर में जिसने सुना बहुत खुश हुवा सभी की प्यारी थी सीमा। शादी में सीमा के परिवार वाले आये सभी खुश थे। शादी के बाद जब सीमा रामलाल के पेर छूने लगी तो रामलाल जी ने तिजोरी की चाबी उसे देते हुए कहा " मालकिन " ओर छाती से लगा लिया।


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