Nirdosh Jain

Tragedy

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Nirdosh Jain

Tragedy

चश्मा टूट गया

चश्मा टूट गया

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  पति पत्नी में आपस में कुछ बहस हो रही थी ।डाईनिंग रूम में बातों ही बातों में किसी के हाथ हाथ से लगकर एक पुराना सा चश्मा टूट जाता है ।ये देख कर एक पाँच साल का बालक चश्मे कॊ

उठा कर जोर जोर से रोने लगता है । पति पत्नी दोनों घबरा जाते है ।बोले तुम क्यों रो रहें हो इस टूटे पुराने चश्मे के .लिये, बच्चा बोला ये तुम्हारे लिये फालतू चश्मा था मेरे लिये तो ये मेरे बाबा

की निशानी था ।मैं बहुत प्यार करता था दादाजी से मरते हुए भी यहीं चश्मा उनके लगा हुवा था तुमने तो उन्हे ना अच्छे कपड़े ना जूते ना ही अच्छा चश्मा कभी दिया था। मैंने ये चश्मा पापा के लिये संभाल कर रखा था ।उन्हे बुढ़ापे में मैं यहीं चश्मा दूँगा । सुनकर दोनो की आँखे फटी रह गई बच्चें कॊ छाती से लगा सिसक उठे बोले बेटा हमें माफकरो । अगले दिन माता पिता की तस्वीर कॊ साफ कर नई माला चढ़ाई ओर अगरबत्ती दिखाई ।

गरीबों कॊ बुलाकर भोजन कराया,सभी कॊ बच्चें के हाथ से नए कपड़े ओर जिन्हे चश्मे की जरूरत थी उन्हे डाक्टर का पेपर दिया । ओर बोले दिखालो चश्मा सभी कॊ एक हफ्ते बाद यहीं मिल जाएगा। बच्चा बहुत खुश था तस्वीर में माता पिता के चेहरे पर खुशी नजर आरही थी ।


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