ओह ये क्या हुआ
ओह ये क्या हुआ
वो एक गरीब भोली भाली सुंदर लड़की थी। दुनियाँ में अकेली माँ बाप ना कोई सहेली थी। गुजर बसर के लिये बच्चों कॊ पढाने स्कूल जाया करती थी। कुछ दिनों से एक लडका उसे आते जाते परेशान किया करता गंदी गंदी बाते करता वो परेशान किस से कहै। एक दिन लडका उसके पिछे था वह एका एक रुक गई मुड़कर बोली जब इतना ही प्यार करते हो तो घर आने से क्यों डरते हो। कल शाम कॊ घर आजाना मैं इंतजार करूंगी। लड़का खुश हो गया।
वापस जाते हुए बोला इंतजार करना मैं कल आऊँगा अगले दिन शाम होते ही आशिक लड़की से मिलने बन ठन कर उसके घर पहुँचा। दरवाजा खटखटाता है आवाज आती है खुला है आजाओ लडका खुश होकर अंदर जाता है पलंग बिछा है लड़की उसको बेठाती है बोली आराम करो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ। अंदर जाती है। कुछ देर में एक प्लेट में मिठाई लेकर आती है ओर एक हाथ पीछे छिपा कर रखती है। लड़का खुश होकर प्लेट पकड़ता है ओर कहता है अब केसा पर्दा जानम पीछे क्या छुपा रखा है लड़की ने झट से लड़के का हाथ पकड़ लिया ओर बोली भूल गए भईया आज राखी है उसके हाथ में राखी थी। लड़का सकपका जाता है ऊपर से नीचे तक कांप जाता है, हाथ आगे बढ़ाता है लड़की राखी बाँधती है तिलक करती आरती करती है। लड़का चुपचाप मुँह झुका कर चला जाता है।
कई दिन तक लड़की कॊ रास्ते में लड़का नजर नहीँ आता तो उसका मन घबराता है वह खोजते खोजते उसके घर जा पहुंचती है वंहा का नजारा देख लड़के की लाश दरवाजे पर पड़ी थी भीड़ लगी थी पूछा तो पता चला कल रात जहर ख़ा लिया। लड़की का माथा चक्करा गया मुँह से सिर्फ इतना निकला " ओह ये क्या हुआ" ओर वह गिर गई फिर उठ ना सकी।