पाप ???
पाप ???
जानकी ने उसे कनखियों से देखा संदली का चेहरा थोड़ा सा उतर गया था...!""कुछ तो हुआ है संदली के साथ!पर क्या""जानकी ने मन ही मन सोचा।"
"यकायक पूछना भी तो ठीक नहीं है।"जानकी ने धीरे से उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए पूछा""अच्छा बताओ तो तुम्हारा हाथ देखूं"संदली ने अचानक मुस्कुराते हुए देखा और जानकी से पूछा ""आप हाथ भी देखना जानती हैंइन सब में मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं है।" फिर भी बताइये क्या है मेरे भाग्य में!"इतना कहते हुए वह थोड़ा और पास खिसक गई।दरअसल अनुभवी जानकी को कोई हाथ देखने नहीं आता था वो तो कुछ और ही टटोल रही थी।जानकी एक कुशल दाई मां थी,जो नब्ज देख कर ही मरीज का बीमारी पकड़ लेती थी।और जो शंका उन्हें हो रही थी वो
जानकी देवी को जो देखना परखना था,उनकी आंखों ने पहले ही परख लिया था बची खुची शंका भी नब्ज देख कर खत्म हो गई थी।संदली की देह में कोई और देह आकार ले रहा था...।जानकी देवी के कान झनझना उठे..हे ईश्वर!!संदली के साथ क्या हुआ होगा बच्चे के भविष्य के बारे में चिंतित है क्यापता नहीं जानकी क्या2 सोचने लगे गयी।""ओ आंटी कुछ बोलोगी भी या यूं ही मेरा हाथ लिए बैठे रहोगी!"संदली ने उन्हें टोका तो वे चौक कर सम्भल गयी।क..कुछ नही बेटा बस यूं ही नया नया सीख रही हूं इसलिए ठीक- ठीक बता नही पा रही हूं।पर एक बात बताओ तुम्हारी शादी- वादी की कोई बात चल रही है क्या"आँ शादीसंदली एकदम से हाथ झटक कर खड़ी हो गई। ""क्या हुआ
जानकी ने पूछा तो लगभग भागती हुई बोली""आंटी मैं चलती हूं ...फिर मिलते हैं ...! और इससे पहले कि जानकी कुछ समझती वो ये जा वो जा...!!"" संदली आंखों से ओझल हो चुकी थी।
उस दिन के बाद संदली फिर नजर नहीं आई कई... महीनों तक..जानकी उसे रोज उसी जगह देखने जाती थी कि कहीं वो दिख जाए..पर नहीं वो दोबारा नहीं दिखी...
आज सुबह सुबह एक फोन ने जानकी देवी की नींद खराब कर दी..फोन पर एक औरत अपनी बेटी के प्रसव के लिए उसको बुला रही थी, लेकिन जानकी ने मना कर दिया और कहा "देखिए आजकल घर में प्रसव सेफ नही है, आप लड़की को अस्पताल ले जाइए।"
पर उधर से चीखती आवाज ने जानकी का मन बदल दिया।और वो पता पूछ कर जल्द ही निकल गयी..!
पते में पहुंचते ही उसने देखा एक अधेड़ उम्र की महिला बरामदे में टहल रही थी...!!जानकी ने जल्दी से कमरे में प्रवेश किया...!जच्चे का चेहरा देखते ही वो हड़बड़ा गयी ..अरे ये तो वही लड़की है""! बेटा तुम हर्ष मिश्रित हैरानी से वो जल्दी ही आगे बढ़ी..! संदली का सन्दल जैसा देह अब बहुत ही कृशकाय हो चुका था।बस ....
प्रसव पीड़ा से तड़पती संदली को जल्द ही जानकी ने सम्भाला...!
कुछ देर बाद..
जानकी ने संदली की मां से सारा हाल पूछा..
एक गरीब परिवार की संदली को उसके ही मामा ने एक दिन गन्दला कर दिया था..! मां अपने भाई पर बेहद भरोसा करती थी.. संदली ने कई बार अपनी मां को बताया पर नतीजा आज सामने था।
मां को जब सच पता चला तो
सिवाय पछतावे के कुछ नहीं थाअब
जानकी ने पल में ही कुछ फैसला लिया, और जल्द से जल्द उस मासूम को एक महफूज हाथों में देने का फैसला कर निकल जाती है... सन्दली की मां से ये कह कर कि बच्चे को मैं बचा नहीं पाईअच्छा ही हुआ बहनजी ये पाप लेकर संदली कैसे रहती इस समाज में...!
आज जानकी ने दो- दोमासूमों को बचा लिया था..! नारी जो है...!