चोर
चोर
अमूमन एक कामकाजी परिवार के अंदर जैसा होता था मिसेस रस्तोगी के घर में भी ठीक वैसा ही माहौल था। पति ऑफ़िस चले जाते थे, स्वयं मिसेज रस्तोगी स्कूल प्रिंसिपल थी, उनके दोनों बच्चे भी कॉलेज और स्कूल में पढ़ते थे। तो सुबह 10:00 बजे के अंदर अंदर उनका पूरा घर खाली हो जाता था। बेडरूम लॉक करके कामवाली के भरोसे कुछ जो बचा हुआ काम रहता था, वह स्कूल के लिए निकल जाती थी। जाते समय एक चाबी अपने पड़ोस के वर्मा जी की पत्नी को देकर जाती थी। वह कामकाजी महिला नहीं थी। गृहणी थी। बच्चे कभी कभार समय से पहले घर आ जाने के कारण चाबी वह मिसेज वर्मा को इसलिए देकर जाती थी ताकि बच्चे अगर घर आ गए तो घर खोला जा सके। वे कस्बाई इलाके में रहती थी। इधर कई दिनों से वह देख रही थी कि घर से छोटी-छोटी चीजें मसलन डिटर्जेंट पाउडर, कभी कटोरियां कभी शक्कर तेल, चाय पत्ती, पतेली में पड़ा हुआ दूध, अनायास ही खत्म हो जाता था। वे पहले समझ ही नहीं पा रही थी कि माजरा क्या है ? लेकिन उनका पूरा शक बाई कमला के ऊपर ही जा रहा था, कि ना हो उनके जाने के बाद वो सामान खाने पीने की चीजें, शक्कर तेल, कमला ही ले जा रही है। क्योंकि एक चाबी कमलाबाई भी अपने पास रखती थी। दरअसल 10 बजे के अंदर उसका काम पूरा नहीं हो पाता था।
किन्तु एक बात ये भी थी कि वो लगभग 3/4 साल से काम कर रही थी, कभी कोई चीज इधर से उधर नहीं हुई थी फिर अचानक सामान कैसे ग़ायब हो रहे हैं?? और वो भी निरन्तर..कल तो मिसेज रस्तोगी का पारा आसमान में चढ़ गया जब उन्होंने डाइनिंग टेबल में रखे महंगे चॉकलेट, मिठाई को गायब देखा तो?? उनका मन किया कि वो जोर से पूछे कमला को....??
पर मन में विचार आया कि अगर नाराज़ होकर काम छोड़ दी तो?? रहने देती हूं..खाएगी और क्या करेगी।अब से चाबी ही नहीं छोडूंगी। देखती हूं क्या क्या ग़ायब होता है?? पर सच का पता तो लगाना ही पड़ेगा। उन्होंने कुछ निश्चय किया और जल्दी जल्दी स्कूल चली गई, रोज की तरह। बच्चों से उनके आने का समय पूछा। और एक चाबी मिसेज वर्मा को दी और निकल गयी।
पति तो 8 बजे ही निकल जाते थे। कमला को घर का बाकी काम बता दिया था। आज वे बड़ी ही उधेड़बुन में थीं, उनके घर से जो -जो चीजें चोरी हो रही थी। वो रोजमर्रा के काम की थीं। क्या कमला को तनख्वाह कम पड़ती होगी? उसका पति भी तो निठल्ला है। ऊपर से महँगाई भी बढ़ गई है। तो भी वो मांग कर ले जा सकती है न?? क्रोध से उनका माथा गर्म होने लगा। स्कूल पहुंच कर उन्होंने अपने चपरासी को बुलाया। बताया कि कुछ जरूरी काम से मैं बाहर जा रही हूं। और वे स्कूल से निकल गयी। सीधे घर की तरफ निकली। समय देखा 1:00 बज रहा था। कमला इसी समय निकलती है। आज चुपचाप जाकर देखती हूं। रंगे हाथों पकड़ूंगी। एक कुटिल मुस्कान उनके मुख पर छाने लगा। घर पहुंच कर उन्होंने गाड़ी गेट से कुछ दूर ही धीरे से बन्द किया।दरवाज़ा धीरे से खोला और अंदर आई। अंदर जो कुछ उन्होंने देखा तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
मिसेज वर्मा उनके घर में सोफे पर बैठ कर कॉफी बनाकर पी रही थीं। काजू नमकीन बिस्किट वगैरा सब प्लेट में रखा था। उनके दोनों बच्चे और मिसेज वर्मा सब टीवी देख रहे थे। अचानक मिसेज रस्तोगी को देख कर सबको सांप सूंघ गया। हड़बड़ा कर जब वो खड़ी हुई तो उनके गोद में रखी हुई एक पॉलीथिन की पैकेट ठप से नीचे गिर पड़ी। उसमें भरा हुआ डिटर्जेंट पाउडर साफ दिखाई दे रहा था। पल भर में रस्तोगी जी को समझ आ गया कि चोर कौन है??
पर मुस्कुराहट चेहरे पर लाकर उन्होंने कहा। "अच्छा पिकनिक चल रहा है यहां।" "किन्तु वर्मा मैडम के मुंह से बोल नहीं फूटा। वो बच्चों को लेकर अपने घर चली गई।
मिसेज रस्तोगी का मन तो किया अच्छे से सुनाए पर ???
उन्होंने सन्तोष की सांस लेते हुए सोचा कि अच्छा हुआ कमला को उन्होंने कुछ नहीं कहा वरना वो सदा के लिए अपनी नजर में ही गिर जाती...। वर्मा मैडम जैसे लोग जो अच्छे घर में रहते हों और अच्छे कपड़े पहनते हों तो जरूरी नहीं कि उनके विचार भी अच्छे हों।
