नई बयार
नई बयार
आज नेहा की खुशी का ठिकाना नहीं था।उसे लग रहा था मानो उसके पंख लग गए हों। आज उसने एक ऐसा काम किया था जिससे उसे अपने ऊपर गर्व हो रहा था ।एक आत्मिक सन्तोष मुख मंडल पर स्पष्ट दिखाई दे रहा था ।कुछ साल पहले की घटना उसकी आंखों के सामने एक चलचित्र की भांति चलने लगे ।
नेहा एक सफल बिजनेस वुमन थी उसका अपना कपड़े का बहुत बड़ा कारोबार था। दो , बच्चों की मां एक सफल गृहणी, बहु,पत्नी बनकर पारिवारिक दायित्वों के बीच वह सामाजिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी.
यूं तो नेहा के घर में बहुत से कामकाजी नौकर चाकर थे ,पर इन सब में उसकी खास शांति उसे बहुत पसंद थी। क्योंकि उसका स्वभाव बहुत सरल था।हालांकि देखने सुनने में वह साधारण नैन नक्श की थी,और उसका रंग भी बहुत पक्का था ।वह दो बच्चों की मां थी। पर अक्सर बहुत देर तक नेहा का सारा काम निपटा कर ही घर जाती थीे ।एक दिन अचानक शांति काम में नहीं आई तो, पता चला कि उसका पति उसे बहुत परेशान कर रहा है ।शराब पीकर के साथ मारपीट करता है उसके साथ। दो-तीन दिनों के बाद जब वो आई तब उसने शांति से पूछा तब उसने रोते हुए सब कुछ विस्तार से सब बताया।कुछ दिनों से उसका अत्याचार ज्यादा बढ़ गया था।एक दिन वो फिर नहीं आई तो नेहा शांति के घर गई, वहां देखा शांति का पति उससेे मारपीट करके उसको कमरे में बंद करके घर से बाहर चला गया था ।उसके दोनों बच्चे अपनी मां के साथ अंदर बैठ करके रो रहे थे । उसने अपने प्रभाव का थोड़ा लाभ उठाया और उसके पति को कुछ दिनों के लिए जेल में डलवा दिया। कुछ दिनों तक सब ठीक-ठाक था मगर फिर वही ढाक के तीन पात जेल से वापस आने के बाद फिर से शांति के साथ उसका मारपीट का रवैया जारी रहा। नेहा न मालूम क्यों उसके लिए थोड़ा अलग सम्वेदना रखती थी। दूसरे दिन जब शांति काम में घर आई तो उसने उसे बुलाया और कहा "देख तू एक काम कर तू कुछ दिनों के लिए मेरे घर दोनों बच्चों को लेकर के मेरे पास आजा ।इतना बड़ा घर है यही रह तू ।कम से कम रात को मार तो नहीं खाएगी...अपने पति से ,वह शराबी जब तेरी चिंता नहीं करता ?बड़ी होती बेटी को भी मारता है, मासूम सी छोटी बच्ची को इतना मारता पीटता है, तो फिर उसके साथ तुझे रहने की क्या आवश्यकता है?" शांति भी अपने पति से तंग आ गई थी और उसने भी कहा "जी हां दीदी मैं कुछ दिन आपके घर ही रहती हूँ"।वाकई कुछ दिन शांति से बीते शांति के । पर कब तक ?अपने पति से वो दूर रहती? उसका पति उसे मना बुझा कर वापस अपने घर ले गया । जाते समय नेहा ने अपना एक फोन शांति को दिया और कहा कि अगर ये रात को मार पीट करे तो मुझे कॉल करना ।कभी2 फोन लगा कर के नेहा भी शांति से रात को बात कर लिया करती थी। इधर कुछ दिनों से शांति बिल्कुल भी छुट्टियां नहीं ले रही थी। एक दिन शाम को नेहा आई तो देखा किचन में शांति फोन में किसी से धीरे-धीरे बात कर रही थी और बात करते समय उसका चेहरा बड़ा ही चमक रहा था ।"क्या बात है शांति?" नेहा उसके नजदीक पहुंची और मुस्कुराते हुए कहा "आजकल सब ठीक-ठाक चल रहा है लगता है ।"नेहा के पूछते ही शांति एकदम हड़बड़ा कर खड़ी हो गई बोली 'दीदी सब ठीक है। किस से बात कर रही थी तू? शांति ने कोई जवाब नहीं दिया। और मुस्कुरा कर अपना चेहरा नीचे कर लिया ,और काम करने लग गई।नेहा ने चैन की सांस ली,सोचा लगता है इसका पति अब इससे मारपीट नहीं करता । इनकी सुलह हो गई, चलो अच्छा है । समय धीरे-धीरे बीत रहा था । अब शांति की तरफ से भी निश्चिंत हो गई थी कई महीनों से उसने शांति की तरफ से कोई शिकायत नहीं आई थी । लेकिन एक चीज नेहा ने नोटिस की कि शांति दिन में फोन पर बहुत व्यस्त रहती थी ।पहले बनाव श्रृंगार बिलकुल नहीं करती थी, लेकिन आजकल हल्का फुल्का मेकअप करने लगी थी।
आज नेहा ने अपने बिजी शेड्यूल से कुछ समय स्वयं के लिए निकाल कर पति के साथ मूवी देखने की सोची।मॉल में अच्छी फिल्म लगी थी।तब उसे एक बात याद आई कि आज शाम को शांति ने भी छुट्टी ले रखी है।घर के बाकि नौकरो को सबके काम बता कर नेहा अपने पति के साथ फ़िल्म देखने चली गई थी।मॉल में फ़िल्म शुरू होने में समय था तो वे कॉफी शॉप में बैठ गए।अचानक नेहा की नजर एक स्त्री की तरफ पड़ी, उसने आधुनिक सा सूट पहना हुआ था, बालो का स्टाइल भी अलग था, पर उसका चेहरा? नेहा ने गौर से देखा तो चौंक गई! "अरे!!!ये तो अपनी शांति है,"वह भी उसी कॉफी शॉप में कोने की टेबिल में बैठी थी।उसके सामने एक पुरुष भी बैठ था।यकीनन वो उसका पति नहीं था।फिर ये कौन है? नेहा ने अपने पति को बताना चाहा, पर वो मोबाइल में किसी से बात कर रहे थे।क्या मैं जाकर शांति से मिलूं? नेहा के मन में हजारों सवाल उमड़ रहे थे? पर अभी उसने चुप रहना मुनासिब समझा।तभी पति ने पीछे से आकर चौंका दिया "क्या यार फ़िल्म देखने आई हो या सोचने? "आँ हड़बड़ा कर नेहा खड़ी हुई और फ़िल्म देखने अंदर चली गई।पूरी फिल्म में थोड़ी थोड़ी देर में नेहा शांति के बारे में ही सोच रही थी।खैर छोड़ो कल तो वो आएगी ही पूछ लूंगी नेहा ने मन मे सोचा।अगली सुबह शांति काम पर आ चुकी थी।नेहा ने उसे आवाज दी शांति थोड़ा आना तो.शांति धीरे से उसके पास आकर खड़ी हो गई।थोड़ा मेरे सर में तेल लगा दे मुझे सर में दर्द हो रहा है....। शांति ने जल्दी से तेल की शीशी उठाई और सर में मालिश करने लगी।थोड़ी देर बाद नेहा ने उससे पूछा "कल छुट्टी लेकर कहाँ गयी थी? "शांति ने धीरे से नजरें झुका कर कहा" दीदी आपसे कुछ कहना है" ।नेहा ने जल्दी से आंखे खोलकर पूछा?क्या बात है?दीदी क्या मुझे मेरे पति से तलाक़ मिल सकता है? नेहा एकदम से चौंक उठी ।तलाक़ ?और उसके बाद?क्या? "बताउंगी दीदी " शांति ने धीरे से कहा ।अब तो नेहा का सर भन्नाने लगा।कहीं ये किसी गलत राह पर तो नहीं जा रही है?नेहा थोड़ा आशंकित और आतंकित दोनो हो उठी।लेकिन शांति का शांत चेहरा अलग ही कहानी कह रहा था।"बता क्या बात है "! थोड़ा सा तल्ख लहजे में नेहा ने पूछा।
"दीदी आज कल मैं किसी से प्यार करने लगी हूं।"बिना किसी लाग लपेट के उसने कहा, तो नेहा का दिमाग घूम गया,उसने विस्फारित नेत्रों से पूछा क्या बोल रही है कुछ होश है?दरअसल नेहा का मन ये मानने को तैयार नहीं था कि इस उम्र में और इतने साधारण से भी साधारण दिखने वाली अधेड़ स्त्री वो भी दो बच्चों की मां से कोई प्रेम कर सकता था।पर एक सच वो कल देख आई थी मॉल में।कोई इसे मूर्ख तो नहीं बना रहा?उसने शांति से कहा "तू मुझे सब ठीक ठाक बता तो।"
शांति वहीं नीचे बैठ कर बताने लगी।
"दीदी आपको याद है आपने मुझे फोन दिया था।एक दिन रात को मेरा पति मुझसे बहुत चिल्ला चिल्ली करके घर से निकल कर चला गया।मैं आपको फोन लगाने के लिए फोन उठाई ही थी कि अचानक मेरा फोन बज उठा,मैंने हड़बड़ा कर फोन उठाया तो उधर से किसी ने मुझसे पूछा क्या दीपक से बात हो सकती है?मैंने पूछा कौन दीपक.?यहां कोई दीपक विपक नहीं रहता।सॉरी फिर तो रॉन्ग नम्बर लग गया है मैडम "उधर से आवाज आई।आप लोग समय देख कर फोन लगाया करिये।झल्लाहट और क्रोध से भरी मैंने बड़बड़ा कर फोन को उठा कर बिस्तर में फेंक दिया।पर फोन कट नहीं हुआ था शायद ।दरअसल मैं रो रही थी, और खाना भी नहीं खाई थी।मेरे बेटी मुझसे चुप रहने को बोल रही थी और खाने के लिए बोल रही थी।मेरा मन बहुत खराब था।सो मैं खाना भी नही खाई और सो गई।सुबह तक मेरा पति घर नही आया था ,लेकिन रात वाला नम्बर सुबह फिर आया... मैंने ही उठाया,कुछ कहने के लिए मुँह खोलने ही वाली थी कि उधर से अत्यंत ही नर्म स्वर में एक आवाज आई "खाना नहीं खाने से कोई हल नहीं निकलने वाला।खाना नहीं खाओगी तो बीमार पड़ जाएंगी फिर आपके बच्चों को कौन देखेगा? इतनी नरमी से पहले मुझसे किसी ने बात नहीं किया था।मेरे पति तक ने भी।मैं सोच में पड़ गयी कि ये कौन है?औरमैं खाना नहीं खाई इसे कैसे पता?हेलो ""कहाँ खो गयीं?आप सोच रही होंगी कि मुझे कैसे पता?है न?दरअसल कल आपने फोन कट नहीं किया था।तो आपकी और आपकी बेटी की बातें मैंने सुन ली थी।मेरी तो सांस फूलने लगी थी दीदी ""फिर...."नेहा ने कौतुहल से पूछा।फिर मैंने बिना बात किये ही फोन काट दिया उसके बाद अक्सर उसका फोन आने लगा।मैं पहले झिझक रही थी पर उसकी बातों में जादू था। मुझे मेरी बड़ी होती बेटी की चिंता हो रही थी, बच्चों पर मेरा इस तरह से किसी पर पुरुष से बात करना गलत असर डाल सकता था।एक दिन उसने मुझसे मिलने कहा।मैं फोन पर उससे सारी बात बता चुकी थी।पति बच्चों और मेरे रंग रूप के बारे में भी।उसने एक शब्द कह कर मुझे चुप करा दिया कि एक बार मुझसे मिल लीजिये।फिर जो फैसला आप करेंगी मुझे मंजूर होगा। कुछ दिन पहले मैं उससे पहली बार मिली।वो एक सभ्य इंसान था।दीदी मैं काम करती हूं ये भी उसे बताया।लेकिन अब वो मुझसे शादी करना चाहता है।बच्चों को भी अपनाना चाहता है।आपके बारे में बताया है मैंने।अब आप बताइए क्या करूँ?"
नेहा कुछ देर चुप रही फिर बोली "यकायक किसी पर ऐतबार करना ठीक नहीं। "मैं पहले उससे मिलती हूँ फिर देखती हूं। फिर नेहा ने अपने परिचय और प्रभाव का पूरा फायदा उठाया।उस व्यक्ति के बारे पता किया।वो किसी फैक्ट्री का मैनेजर था।कमाई ठीक ठाक थी।घर परिवार की जिम्मेदारी के कारण विवाह नही कर पाया था।पर व्यक्ति बहुत ईमानदार था।नेहा और उसके पति ने पूरी ईमानदारी से उसका पहले तलाक करवाया।फिर एक दिन मन्दिर में विवाह करवाया। सारे तामझाम के बीच शांति बहुत ही डर रही थी पर नेहा की समझ और उसके होने वाले पति की नेक नियति ने उसे समझा दिया कि जिंदगी में कभी न कभी नई बयार आती ही है।