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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy Inspirational

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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy Inspirational

पाँच नम्बर

पाँच नम्बर

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मोना ! क्या कर रही हो ? "इधर आओ जरा " संतोषी ने आवाज़ लगाई।

क्या है माँ ? मुझे अभी बहुत होमवर्क करना है, डिस्टर्ब मत करो प्लीज़। वैसे भी अमिता के नम्बर मुझसे थोड़े ही कम थे पिछले टेस्ट में, मैं सेकंड नहीं आना चाहती ! तुम जानती हो ना ? अब आवाज़ मत देना, ओके ? 

अरे छोटे से सुन रही हूँ ! कभी आयी है सेकंड तू ? दो मिनट के लिये आजा मेरी रानी बिटिया।

"बताओ जल्दी "मोनिका झुँझलाते हुये बोली।

"आप यह दवा तुरन्त मँगवा दीजिये " सिस्टर की आवाज़ से संतोषी चौंक गयी। कैसी है मेरी बच्ची ? सिस्टर।  

आप दवा जल्दी लायें, अभी सीरीयस है। रामदीन के साथ कौन है ? यह पर्ची ले लीजिये, सिस्टर सभी को दवा की पर्ची बाँटते हुए आगे चली गयी।  

संतोषी ने पर्ची राधे को दी, यह दवा जल्दी से ले आ। फिर धम्म से बेंच पर बैठ गयी। सब कुछ मानो फ़िल्म की तरह आँखों के सामने चलने लगा।

मोना तीन बजे घर पहुँची उस दिन, थोड़ी उदास थी। खाना लगा दूँ ? संतोषी ने पूछा था।  

अभी मन नहीं है माँ।  

"क्या हुआ बेटू " संतोषी ने उसके पास बैठते हुये पूछा।

मोनिका फूट / फूट कर रोने लगी।

संतोषी घबरा कर उसके पास आयी, उसका सिर सहलाती रही। मोना हिचकियाँ ले कर रोती रही।

जब शान्त हुई तो बताया परसों हुये टेस्ट में अमिता के मार्क्स उस से ज़्यादा आ गये थे।

तू पागल है। संतोषी ने मोना को दुलारा। चल खाना खा, हाथ / मुँह धो कर आ। राजमा बना है।

मोना ने अनमने थोड़ा राजमा/ चावल खा लिया।

सुन ! मैं थोड़ी देर के लिये बाज़ार जा रही हूँ। पापा आयेंगे तो उनको चाय बना देना।  

ठीक है माँ।

सात बजे रूपेश का फ़ोन आया," रोहिणी हॉस्पिटल आ जाओ।"  

"आप घर नहीं गये " ? मोना अकेली है।  

तुम आओ, फिर बताता हूँ। रूपेश ने फ़ोन काट दिया।

दवाई माँजी, राधे ने संतोषी की तन्द्रा तोड़ी।

दवाई का पैकेट सिस्टर को पकड़ाते हुये संतोषी ने भरी आँखों से उनको देखा।

सिस्टर ने संतोषी का हाथ पकड़ते हुये दिलासा दी " ऊपरवाला सब ठीक करेगा।"  

संतोषी फिर से बेंच पर बैठ गयी। नाज़ों से पली मोना, अलार्म बजाती मशीनों के बीच वेंटिलेटर के सहारे साँस लेती मोना। सिर्फ पाँच नम्बर के लिये। पाँच नम्बर ही तो कम आये थे, अमिता से।  

भागी / भागी जब संतोषी रोहिणी हॉस्पिटल पहुँची थी, रूपेश की आँखें रो कर सूज गयी थी। मोना ने ढेर सारी पैनकिलर खा ली, उसका असर लिवर और दिमाग़ पर हो गया है। वेंटिलेटर पर रखा गया है।  

संतोषी को चक्कर आ गया था।

" हम लोग अच्छे माँ/ बाप नहीं बन पाये रूपेश", " उसको जीतना सिखाया, हार भी होती है, यह सिखाना भूल गये।"

सारी गलती मेरी है, मेरी बच्ची इस हाल में मेरी वजह से है। संतोषी रोती जा रही थी।  

मोनिका शर्मा के साथ कौन है ? डॉक्टर से मिल लीजिए।

" कैसी हालत है डॉक्टर साहब ?" संतोषी ने रस्मी तौर पर पूछा। पिछले तीस दिनों से रोज़ यही तो पूछ रही थी। डॉक्टर का भी वही ज़वाब " अभी कुछ नहीं कह सकते, हालत नाज़ुक है।  

आज उसने आँखें खोली है ? ऐसा ही रहा तो शायद हफ़्ते भर में ठीक हो जाये, लिवर की रिपोर्ट भी बेहतर है। शी इज़ ए फ़ाइटर( she is a fighter )। जीत रही है वो, अच्छा होगा माँजी।  

थैंक्स डॉक्टर !! 

रूपेश, हेल्लो अभी डॉक्टर से बात हुई, मोना की हालत सुधर रही है। बस वो ठीक हो जाये। फिर उसको सिखाऊँगी कि हारना भी ज़िन्दगी का हिस्सा है। जीतना तो उसे आता ही है।  

ठीक, आता हूँ अभी। रूपेश की तसल्ली भरी आवाज़ ने संतोषी को सुनाई दी।

राधे ! बेटा एक कप चाय ले आ।

"जी माँ जी "



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