ऑक्सीजन प्लांट
ऑक्सीजन प्लांट
“राहुल, विकास की मां का फोन था। बता रही थी कि, तुम लोग "पौधे लगाओ ऑक्सीजन बढ़ाओ" अभियान चला रहे हो”। राहुल की मां ने बताया ।
"हां माँ, सही कहा।"
"लेकिन इस कोरोना काल में ही क्यों राहुल?"
"मां मेरे पास बैठो सब बताता हूं।" कहकर राहुल ने कहना शुरू किया।
"मां पहले कहते थे पानी प्रचूर मात्रा में है और अब देखो नदी, नाले, तालाब, कुएं सब सूख गए हैं। जमीन के अंदर खनिज, कोयले भी खत्म होने को आए हैं। और अब यह कहकर कि वायुमंडल में ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में है,"ऑक्सीजन प्लांट बनने लगे हैं, इससे भी कुछ समय में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट आ सकती है। ऐसा न हो इसलिए हमने रोज 1000 पौधे लगाने व उनका रखरखाव करने की जिम्मेदारी ली है और इंटरनेट के माध्यम से हम जागरूकता फैला रहे हैं। जिसके चलते विभिन्न क्षेत्रों के बहुत से लोग हमारे अभियान से जुड़ते जा रहे हैं। और वैसे भी सारी समस्याओं का समाधान तो पेड़-पौधे ही है। चाहे बात पानी की हो, खनिज पदार्थों की हो,या कोयले की। अगर कंक्रीट के जंगलों के बीच में पेड़ पौधों का जंगल बन जाए तो सारी समस्याओं का समाधान चुटकी बजाते ही हो जाएगा।"
"वाह ! राहुल तो ठीक है, आज से मैं भी तुम्हारे अभियान की एक कड़ी हूं। मैं ही क्यों मेरी सारी सखियां भी समझ लो कि इस अभियान का हिस्सा बन चुकी हैं।"