STORYMIRROR

Neelam Tolani

Abstract

3  

Neelam Tolani

Abstract

नज़रिया

नज़रिया

1 min
424

ऐसे ऑफिस में काम करने से तो बेहतर है, इस्तीफा ही दे दो ।दो- दो बॉस एक की सुनो, तो दूसरा नाराज !

कोई कब तक निभाए ?

सोचते-सोचते कबीर घर में दाखिल हुआ .. "माँ ओ माँ !

अचानक सुबह की बात याद आते ही...वह सुबह के पापा और दादाजी के झगड़े का क्या हुआ माँ ?

तुम सच दोनों के बीच पीस जाती हो।

"न रे !पिसना कैसा? तेरे भी तो दो बॉस हैं, वैचारिक मतभेद तो वहाँ भी होंगे ही। तू क्या सामंजस्य नहीं बैठाता। देख मैं तुझे ब्रह्म वाक्य बताती हूं हमेशा एक को यह बताओ कि दूसरा आपकी कितनी इज्जत, प्यार और तारीफ करता है और फिर प्रतिक्रिया देखना, हमेशा वही होगा जो तुम चाहोगे।

और रिश्तों में मिठास अलग से।

 चिड़िया के छोटे-छोटे बच्चे जब उड़ान भरना सीखते हैं ,तो अपने पंखों से नहीं उड़ते, मम्मी चिड़िया के दिए हौसलों से उड़ान भरते हैं ,और अपने आप सीखते हैं ...दाना पानी की खोज और शिकार से बचना। समझा अब कबीर भी तैयार था, हौसलों की एक नई उड़ान भरने को।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract