मंत्र
मंत्र
दो कमरों की झोपड़ी! काले धुंए से चीकट पड़ी दीवारें। बाहर वाले कमरे में बीच में धूनी लगाए, अधेड़ अवस्था का पुरुष। ऊपर तन अधखुला ,नीचे नारंगी लंगोट पहने, धूनी की राख में मटमैला शरीर। खिचड़ी दाढ़ी ,खिचड़ी बाल। हाथ में मोर पंखों का लंबा गुच्छा... जिसे हर आने वाले के सिर पर फेरा, बाबा कुछ कुछ बुदबुदा देता ,और धोनी की राख से तिलक लगा, एक पुड़िया बढ़ा देता।
घर पर खाने को ।
बाहर लोगों की लंबी कतारें... कोई पीलिया का मंत्र पड़वाने, कोई दूजी बीमारी ,जर जोरू जमीन धंधा और जाने क्या-क्या ?
किन-किन चीजों की ख्वाहिशें...
इलाज सिर्फ एक" बाबा का मंत्र"
इधर पास के मोहल्ले में पुनिया और उसके पति राम चरण का संवाद!
राम चरण :बड़ी दूर दूर से लोग आते हैं बाबा के पास। तू क्यों नहीं चलती ? क्या पता तेरी भी गोद हरी हो जाए.. मेरे दोस्त के पहचान वाले को भी यहीं से बच्चा हुआ...
पुनिया ;रहने दो, मुंह मत खुलवाओ ।चाहे ज्यादा पढ़े-लिखे ना हम,
पर सभी के घर काम कर इतना तो समझ ही गए हैं,
यह सब बाबा ढोंगी होते हैं।अखबार में रोज नहीं आता क्या ?
और बच्चा होने का कौन सा मंत्र पढ़ते हैं.. सब जानती हूं। महीने भर तक घर बुलाएगा, मंत्र पढ़ने..दोपहर में। तुम्हारी अक्ल पर पत्थर पड़े हैं क्या?
कल डॉक्टर के पास चलेंगे.. बड़े अस्पताल में, मैंने काम से छुट्टी ली है तुम भी ले लेना।
