Mukta Sahay

Abstract Horror Thriller

4.0  

Mukta Sahay

Abstract Horror Thriller

नया घर और (भाग-4)

नया घर और (भाग-4)

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रजनी यंत्र को गौर से देख रही थी। ताम्बे का चार बटे चार इंच का चौकोर यंत्र, जिस पर सात आकृति बनी थी जो रजनी को कुछ समझ नही आ रही थी। हर कोने पर एक, बीच में दो और इन दो के नीचे सातवाँ। सातवीं आकृति सभी से कुछ ज़्यादा बड़ी थी जिसमें पाँच काँटे बने थे।

कोने वाली आकृतियाँ तो सही थीं किंतु सातवीं आकृति को ख़राब की गई थी जिसके कारण उसके ऊपर वाली दोनो आकृति भी थोड़ी ख़राब हो गाईं थी। रजनी समझने की कोशिश कर रही थी की आख़िर इस यंत्र में ऐसा क्या है जो पंडितजी इसे इतना महत्व दे रहे हैं और वह कौन सी शक्तियाँ हैं जो इसे ख़राब कर रही हैं।

इन सब के साथ रजनी के माँ-मस्तिष्क में कौतूहल मचा था कि नए घर में ऐसा क्या है जो पंडितजी ने इस ख़ास यंत्र पर ज़ोर दिया था। जब भी उसने समस्या बताई पंडितजी ने यंत्र के बारे में पूछा। जिस गाड़ी से पंडितजी की टक्कर हुई वह भी कह रहा था की पंडितजी को किसी ने गाड़ी के सामने फेंका था। रजनी जितना ही इन सब बातों को सोंचती उतना ही भयभीत होती जाती। वह अब डर से काँपने लगी थी। तभी उसके कंधे पर एक हाथ पड़ता है। वह डर से चिल्ला पड़ती है। रमेश उसे शांत करता है और रजनी को हौसला देता है की सब ठीक होगा।

हाथ में यंत्र को थामे वह पंडितजी के होश में आने का इंतज़ार कर रही थी ताकि उसके सवालों के जवाब मिल जाएँ। इन सारे घटनाक्रमों के बीच अब शाम हो आई थी और रजनी -रमेश को आने वाले रात का भय सताने लगा था कि आज की रात क्या भयानक ले कर आने वाली है। क्रमशः  


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