नया घर और ...(भाग-3)....
नया घर और ...(भाग-3)....
रजनी और रमेश हर आहट पर बाहर झांकते पंडितजी की आस में। तभी बाहर से झूले के हिलने की आवाज़ आई तो दोनों बाहर आए ये देखने की झूले पर कौन बैठा है। झूला तो ख़ाली था और आसपास भी कोई नहीं था। किंतु झूला वैसे ही झूल रहा था जैसे कोई उसपर बैठा हो। हिम्मत जुटाते दोनों आगे बढ़े। वह यंत्र अब भी रजनी के हाथ में ही था। जैसे जैसे रजनी और रमेश झूले के क़रीब हो रहे थे झूले के झूलने की गति तेज-बहुत तेज होती जा रही थी। दोनों झूले से फलांग भर की दूरी पर थे और झूला आकाश को छूने लगा। रजनी और रमेश के तो जैसे होश ही उड़ गए थे और पैर ज़मीन में गड़ से गए थे।
ख़ाली झूला तेज गति से झूल रहा था और रजनी-रमेश स्तब्ध खड़े उसे देख रहे थे, रजनी के हाथ की पकड़ हल्की हुई और यंत्र ज़मीन पर गिर गया। यंत्र के गिरते ही झूला अचानक से रुक गया और ज़ोर की हवा का झोंका रजनी के बग़ल से गुजरा। रमेश को ना यह हवा का झोंका नज़र आया और ना ही महसूस हुआ। वह यंत्र अब नीचे नहीं था। झूला शांत, स्पंदनहीन था। लग ही नहीं रहा था की थोड़ी देर पहले कुछ हुआ भी था।
रजनी यंत्र को ढूँढना शुरू करती है। रमेश से कहती है अभी तो मेरे हाथ में था और नीचे गिर था फिर वह तेज हवा का झोंका आया और वह यंत्र कहाँ ग़ायब हो गया। आस-पास कहीं नहीं दिख रहा था वह। रजनी बगीचे में लगे हर बेल, हर पौधे में अच्छी तरह से देख रही थी, रमेश भी साथ था। पूरा बगीचा देख लिया पर वह नहीं मिला। ढूँढते ढूँढते दोनों गेट के क़रीब आ गए थे। दोनों की नज़र उसी जंगली बेल के पास गई जहां से वह पहले मिला था। यंत्र फिर वही गिरा पड़ा था। रजनी और रमेश एक दूसरे को हतप्रभ से देखने लगे।
सड़क पर से अचानक किसी गाड़ी के, ज़ोर से, घसीटते हुए रुकने की आवाज़ सुन कर दोनों उस ओर पलटे तो देखा पंडितजी लहूलुहान सड़क पर गिरे हैं। दोनों दौड़ते हुए पास पहुँचे तो पता चला की जीप वाले से टक्कर हो गई थी। जीप का चालक बार बार कह रहा था की उसकी गाड़ी बहुत धीमी गति से थे और ये पंडितजी खुद ही उसकी गाड़ी के सामने आ गए ऐसे जैसे किसी ने इन्हें जीप के आगे फेंका हो। प्रत्यक्षदर्शियों का भी यही कहना था।
सभी की बातें सुन कर रजनी और रमेश का भय बढ़ता ही जा रहा था। हर पल होती घटनाएँ उन्हें भीतर तक झकझोर रहीं थी। लेकिन इस समय पंडितजी को अस्पताल ले जाना ज़्यादा ज़रूरी था सो दोनों उन्हें ले अस्पताल गए। पता चला इस दुर्घटना में पंडितजी के कूल्हे की हड्डी टूट गयी है और अब वह तीन महीने के लगभग बिस्तर पर ही रहेंगे। अभी पंडितजी पर दवाइयों का असर सो होश में आने में समय लग रहा था।
रमेश अस्पताल की प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए रिसेप्सन तक गया था और रजनी कमरे के बाहर पंडितजी के होश में आने का इंतज़ार कर रही थी। वह यंत्र रजनी के हाथ में था। दुर्घटना वाली जगह पर पहुँचने से पहले उसने वह यंत्र उठा लिया था। क्रमशः

