नशा दे मुक्ति
नशा दे मुक्ति
आज एक नवम्बर 2021 है। यह वह तिथि है जब जब एक लंबे समय के अंतराल के उपरांत दिल्ली के विद्यालयों में देश के भावी कर्णधारों अर्थात विद्यार्थियों को विद्यालय में कोविड-19 से बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने अभिभावकों की सहमति के साथ विद्यालय आने का लंबी अवधि से प्रतीक्षित सुअवसर प्राप्त हुआ है। विद्यार्थियों में एक उत्साह है लेकिन वे सब ही भली-भांति जानते हैं कि हमें जोश में बिल्कुल ही होश नहीं खोना है। कई एक अभिभावकों के मेरे पास फोन आए थे जिनमें वे अपने नन्हे - मुन्नों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित नजर आए। मैंने उन्हें उनके अपने बच्चों को उनके द्वारा हस्ताक्षरित सहमति पत्र के साथ भेजने और अपने बच्चों को घर से भी उन सभी निर्धारित दिशा निर्देशों को बताकर भेजने का सुझाव दिया। वे इस बात से सहमत थे कि उन्हें अपने बच्चों के ऊपर विश्वास करना ही होगा तभी तो इन बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकेगा और विद्यालय में विद्यालय के शिक्षक गण और विद्यालय के सभी कर्मचारीगण अपने देश के इन नौनिहालों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञा होकर अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए कृत संकल्पित हैं। ऐसा हम सबको ही दृढ़ विश्वास होना चाहिए और हम सब का भी यह दायित्व है कि हम सब आपके भरोसे पर खरे उतरें। चूंकि आज पहला ही दिन था और विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति अनुमान के अनुरूप कुछ कम ही रही।
कक्षा में सभी विद्यार्थी उचित दूरी का पालन करते हुए कक्षा में अपना मास्क लगाए बैठे थे। मेरे लिए यह एक बड़े ही हर्ष की बात थी कि मेरी कक्षा मैं अन्य कक्षाओं की अपेक्षा अधिक विद्यार्थी उपस्थित हुए थे । कक्षा में विद्यार्थी उपस्थिति पंजिका में उपस्थित विद्यार्थियों की उपस्थिति अंकित करने के बाद अब उनके द्वारा कुछ अनुभव साझा करने का समय था । इसके पहले ऑनलाइन कक्षाओं में भी वे अपने अनुभव साझा करते रहे थे लेकिन कक्षा में उपस्थित होकर वे एक दूसरे के विचारों को जानने समझने के लिए बहुत ही उत्साहित नजर आ रहे थे।अभी समाचारों में मादक पदार्थों के संबंध में काफी चर्चा हुई थी। अपनी विचार श्रृंखला को प्रस्तुत करने की तमन्ना सबसे पहले तमन्ना ने ही पूरी की। तमन्ना कहने लगी कि मैं एक व्यंग्य के माध्यम से नशे के व्यसन के बारे में बताना चाहूंगी।
जागृति बोली-"तमन्ना, हम सबको जागृत करने की जो तमन्ना तुम्हारे मन में है। उसे व्यक्त करो हम तुम्हारे विचारों को जानने के लिए व्यग्र हो रहे हैं।"
" बिल्कुल बहन, जागृति एक दूसरे को जागृत करना हम सबका कर्तव्य है। जागृत होने के बाद स्वयं सकारात्मक क्रियाकलापों के द्वारा हम सबको अनुकरणीय आचरण और व्यवहार के माध्यम से अधिकाधिक लोगों को जाग्रत भी करना है इस जागरुकता को जन जन तक पहुंचाना है और उनके मन में यह जागरुकता की ज्योति अनवरत जलाए रखनी है।"- अपने विचारों को प्रस्तुत करने हेतु भूमिका प्रस्तुत करते हुए तमन्ना ने कहा।
तमन्ना के अपने विचारों को प्रस्तुत करने हेतु प्रोत्साहित करते हुए मैंने कहा-"बेटा तमन्ना, अपने विचारों के माध्यम से तुम एक बहुत ही आवश्यक विषय चुना है जो आज हमारे समाज को चिंतित करता है। इसके बारे में बताना चाहती हो। तुम्हारा स्वागत है।"
तमन्ना कहने लगी- " व्यंग्य के माध्यम से आप सभी को मैं यह बताना चाहती हूं कि जो व्यक्ति नशा करता है उसे कई लाभ होते हैं । पहला लाभ है कि वह कभी बूढ़ा नहीं होता। दूसरा यह लाभ है कि उसके घर में कभी चोरी नहीं होती है। तीसरा लाभ यह है कि उसे कुत्तों से कोई भय नहीं होता बल्कि वह कुत्तों को भयभीत कर सकता है। चौथे लाभ के रूप में उसमें सहयोग और ईमानदारी का भाव दृढ़ होता है।
सभी बच्चों की जिज्ञासा भरी नजरें तमन्ना की ओर एक साथ उठीं। ओमप्रकाश से नहीं रहा गया। उसने पूछ ही लिया-" कृपया अपने विचारों को स्पष्ट रूप से समझाइए। तमन्ना बहन।"
मधुर मुस्कान के साथ में तमन्ना ने बताना शुरू किया-"नशा करने वाला व्यक्ति इस दुर्व्यसन में फंसे जाने के कारण अपना स्वास्थ्य गंवा देता है और युवावस्था में ही वह स्वर्ग सिधार जाता है इस प्रकार उसके बूढ़े होने की नौबत ही नहीं आती।"
जिज्ञासा अपनी जिज्ञासा को रोक न सकी और उसने तमन्ना से पूछा-"ठीक है पहली बात तो समझ में आ गई लेकिन अपने दूसरे लाभ के रूप में तुमने कहा कि नशा करने वाले व्यक्ति के घर में चोरी नहीं होती। चोरी न होने और नशा करने का आपस में क्या संबंध है?"
"जिज्ञासा बहन ,ध्यान से सुनो ।" -तमन्ना ने जिज्ञासा की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहा-"नशे की लत लग जाने पर वह व्यक्ति शारीरिक , मानसिक और आर्थिक रूप से विपन्न हो जाता है। अपनी नशे के लिए अपनी घर की धन दौलत को बर्बाद करता है शरीर से कमजोर होने के कारण वह कोई काम नहीं कर सकता । उसका स्वास्थ्य बिगड़ते हुए बंद से बदतर स्थिति में पहुंच जाता है। वह सारी रात खांस- खांस कर सिर्फ अपने ही नहीं बल्कि पड़ोस के घरों को भी चोरी से सुरक्षित कर देता है। वह काम करने में अक्षम हो जाता है लेकिन नशे के लिए आवश्यक धन जुटाने के लिए वह अपने घर का आवश्यक सामान बेच - बेच कर नशा करता है जब उसके घर में चोरी लायक सामान ही नहीं बचता तो चोर उसके घर में चोरी करेगा भी तो क्या पाएगा। चोर भी उसके घर में चोरी करके अपना समय बर्बाद नहीं कर सकता।"
अगला प्रश्न पूछने की बारी अजय की थी। अजय ने पूछा-"बहन तमन्ना, कुत्तों से तो मुझे भी बहुत ही डर लगता है। नशा करने वाला कुत्तों के काटे जाने के भय से किस प्रकार मुक्त हो जाता है ? तुम तो कह रही हो कि कुत्ते भी उससे भयभीत रहते हैं ऐसा कैसे संभव है?"
तमन्ना बोली-"आर्थिक अभाव के कारण उसे न तो उसे पोषक भोजन मिल पाता है इसलिए उसका शरीर इतना दुर्बल हो जाता है कि वह लाठी का सहारा लिए बिना नहीं चल सकता। उसके हाथ में हर समय लाठी रहती है। कविवर गिरधर ने लाठी की महिमा का वर्णन अपनी एक कुंडली में किया है वह कुंडली तो तुम्हें भली-भांति याद ही होगी। तो लाठी ही वह कारण है जिसकी वजह से उसे कुत्तों का कोई भय नहीं होता बल्कि लाठी दिखाते ही कुत्ते भयभीत होकर उसके पास नहीं फटकते और भाग जाते हैं।"
सुशील ने नशा करने वाले व्यक्ति में सहयोग और ईमानदारी जैसे शालीन गुणों का उसके अंदर विकास होने के पीछे के गुप्त रहस्य को जानने की इच्छा व्यक्त की। सुशील ने पूछा -"नशा करने वाले व्यक्ति में सहयोग और ईमानदारी की भावना कैसे उत्पन्न होती है?"
तमन्ना ने बताया-"आज हमारे देश में लगभग सर्वत्र बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। यही कारण है कि ईमानदार व्यक्ति प्रायः परेशान और कुंठित रहता है। लोग भी हंसी हंसी में कहते हैं कि आज के समय में केवल दो प्रकार के व्यक्ति ही ईमानदार मिलते हैं पहले तो वे जिन्हें बेईमानी का अवसर ही नहीं मिला और दूसरे वे जो अवसर मिलने पर डर गये। चाहे वह उसके पकड़े जाने का भय हो या उसके मन में नैतिकता का डर हो। चाहे कोरोना की दूसरी लहर में मौत के मुंह पर बैठे व्यक्ति को आक्सीजन का सिलिण्डर दिलाने में कोई सहयोग करें या न करे लेकिन एक नशेड़ी दूसरे व्यक्ति को उसके साथ पूरा सहयोग करते हुए बताता है कि उसके लिए किस स्थान पर नशा उपलब्ध हो जाएगा। ऐसी सहयोग पूर्ण भावना अन्यत्र विरले लोगों में ही दिखाई पड़ती है। इस संसार में बिना स्वार्थ सहयोग की संभावना न के बराबर मिलती है। कुछ लोगों का आज ऐसा मानना है कि आज ईमानदारी केवल अवैध धंधों में ही रह गई है तभी तो जब व्यक्ति नशा खरीदता या बेचता है तो चुपके से पकड़ाई गए धनराशि या नशे के रूप में प्राप्त सामग्री की वचनबद्धता पूरी ईमानदारी से निभाई जाती है। ड्रग आपूर्ति के कार्य में लगे हुए ड्रग योद्धा पकड़े जाने पर अपने व्यावसायिक रहस्यों का रहस्योद्घाटन के स्थान पर अपने प्राणों का बलिदान करना बेहतर समझते हैं। उन्हें पता होता है कि रहस्य बताने पर आवश्यक सजा काटकर बाहर आने पर ड्रग माफिया उसका जो बुरा हाल करेंगे उसकी कल्पना मात्र से शरीर तो क्या आत्मा तक सिहर उठती है। यही कारण है कि ऐसे अवैध कामों में लगे लोग पूरे अनुशासन, सतर्कता और कर्तव्यपरायणता के साथ कार्य के प्रति समर्पित रहते हैं।"
तमन्ना का यह व्यंग्य कक्षा के सभी बच्चों को बेहद पसंद आया था इसका प्रमाण कक्षा के सभी विद्यार्थियों द्वारा पूरे मनोयोग से इसकी प्रशंसा में की गई करतल ध्वनि थी।
कक्षा के मॉनिटर ओम प्रकाश ने खड़े होकर कहा-" तमन्ना बहन ने जिस तरीके से नशे से दूर रहने की प्रेरणा हम सबको इस के माध्यम से दी इसके लिए मैं कक्षा के समस्त विद्यार्थियों की ओर से तमन्ना बहन का कोटि-कोटि आभार व्यक्त करता हूं और धन्यवाद देता हूं। मेरा आप सब से यह निवेदन है कि हम अपने आसपास भी इस संबंध में लोगों को नशे से दूर रखने के लिए जागरुक करते रहें यदि कोई व्यक्ति इस जाल में फंस गया है तो उसे नशे की लत छुड़वाने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों की सहायता लेने में उनकी मदद करनी होगी। यही आज के समय में हम सबका उद्देश्य, समाज के प्रति दायित्व और देशभक्ति है।
