नोकझोंक वाली मिठास
नोकझोंक वाली मिठास
नीता और मीता दोनो बहने चालीस पार कर चुकी थी और अपनी अपनी गृहस्थी में पूरी तरह रमी हुई थी। ऊपर से दोनो ही बैंक में नौकरी करती थीं तो समय का अभाव होना स्वाभाविक था। कुछ साल पहले तक तो दोनो एक हो शहर में थी पर आना जाना ना के बराबर और अगर आए भी तो शाम की चाय से रात के खाने तक के लिए। कुछ सालों पहले नीता का स्थानांतरण दूसरे शहर में हो गया था साथ ही उसके पति ने भी उसी शहर में स्थानांतरण ले लिया तो अब दोनो बहने अलग अलग शहरों में रहने लगी थी।
कुछ काम के सिलसिले में दो दिनों के लिए नीता अपने पुराने शहर आई थी तो वह पहली बार अपनी बहन मीता के घर दो दिनों के रुकी।
सुबह नाश्ते की मेज पर नीता और मीता की अठारह साल की बेटी बैठे थे और मीता का उसके पति से नोक झोंक चल रहा था जो दूर से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनो के बीच कुछ अनबन हो रही है। मीता कह रही थी बस नहा का आ गए और कपड़े मुझ से ही माँगो , खुद निकाल कर नही जा सकते थे। "अब पराँठे बनाना बंद करो और आकर शर्ट निकाल कर दो , किसी की बटन टूटी है और कोई प्रेस नही है, क्या पहनू मैं", मीता को आवाज़ देता हुए उसके पति अजय ने कहा। ग़ुस्से में भनभनती हुई मीता ने पराँठे बनाना बंद किया और पैर पटकती कमरे में गई और ज़ोर से बोली "देखो ये रखे है तुम्हारे सारे शर्ट , हर दिन बताती हूँ और फिर सुबह तुम्हारा वही राग शुरू हो जाता है। मुझे भी तो बैंक जाना है अब तुम्हारे पीछे भागूँ या की खाना बनाऊँ या की मैं तैयार हुँ समझ ही नही आता।" इसपर अजय कहता हैं "ऐसा है जैसे मैं पराठे नही बना सकता ,जाओ जा कर तैयार हो मैं बनाता हूँ पराँठे और सभी को खिलता हूँ नाश्ता। ऐसा को बड़ा तीर नही मार रही हो।अब बैठी क्या हो बस ताने मारने है , जाती क्यों नही नहाने , हाँ।" कहता हुआ अजय रसोई की तरफ़ आने लगा और मीता नहाने को जाने लगी।
दोनो के बीच हो रही बातचीत सुन कर नीता थोड़ी सी परेशान थी। तभी मीता की बेटी स्नेहा कहती है "मासी ना परेशान हो ये तो इनका प्यार है। नोकझोंक में घुली हुई मिठास है। और पता है मासी जिस दिन इनके बीच ऐसी बातें नही होती है तो दोनो को बैंक में भी मन नही लगता है। एक दूसरे को पल-पल फोन करते रहते है।" नीता ने पूछा "तुझे कैसे पता।" "जब एक का फ़ोन दूसरा नही उठता तो मुझे कहा जाता है पता करो हाल-चाल कैसा है।" मैं तो इन्हें ऐसे ही देखती हुई इतनी बड़ी हुई हुँ और जानती हूँ दोनो एक दूसरे के बिना एक भी पल नही रह सकते। नीता भी स्नेहा से सारी बात जान कर धीरे से मुस्कुरा दी पराँठे के मज़े लेने लगी स्नेहा के साथ।