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Dr Jogender Singh(jogi)

Abstract

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Dr Jogender Singh(jogi)

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नमक वाली चाय

नमक वाली चाय

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मैला सा झोला लटकाये , मैले चीथड़ों से कपड़ों से किसी तरह तन ढक कर ,थकी / हारी आ कर दुकान के बाहर बैठ गयी ।

"एक चाय देना भाई " हरिकिशन चाय वाले की दुकान पर सभी बच्चे भट्टी से मिलने वाली गर्माहट के लालच में छोटा सा घेरा बनाये खड़े थे । बात उन्नीस सौ छीहतर की है । स्कूल शुरू होने में लगभग बीस मिनट का समय बाक़ी था । हरिकिशन बच्चों की चक चक से चिड़चिड़ा हो रहा था । उसी समय इस बांग्लादेशी औरत ने चाय की फ़रमाइश की ।

"चार आने की बनेगी दूध की चाय ? हरिकिशन को मानो शक था वो पैसे देगी भी या नहीं ? "

"बीस पैसे की मिलती है , मुझे पता है" , वो दबी आवाज़ में बोली ।

मैंने मदन की तरफ़ देखा " बीस पैसे की ही तो मिलती है" , मदन बोला ।

"भागो यँहा से तुम लोग , घेरा बनाये खड़े हो जाते हो रोज़ ।"

"तो कौन सा सामान खा ले रहें है आपका , खड़े ही तो है ।" मदन सबसे निडर था ।

"कोयला लगता है , भट्टी धोंकने में , मुफ़्त नहीं आता ।" भाग जाओ ।

"चल उधर खड़े हो जाते हैं" , मैंने धीरे से मदन से कहा।

"जाओ भागो" , हरिकिशन चिल्लाया ।

सभी बच्चे सड़क की तरफ़ हट कर खड़े हो गये ।

"पच्चीस पैसे पड़ेंगे , बनाऊँ चाय ? "

"ठीक है ! "

"लाओ पैसे" , मानो हरिकिशन को विश्वास ही नहीं था कि उसके पास पैसे होंगे ।

चाय तो पिला दो पहले ।

"पहले पैसे" , अब तो हरिकिशन को पक्का विश्वास हो गया । पैसे नहीं चली आयी चाय पीने ।

औरत ने अट्ठनी निकाल कर दी ।"थोड़ा नमक भी डाल देना" , जुकाम हो गया है ।

"मिर्चा मिला नमक है डाल दूँ ?" हरिकिशन ने चवन्नी वापिस करते हुये पूछा ।

पता नहीं मिर्चा वाली बात वो औरत शायद सुन नहीं पायी थी ,उसने बोल दिया हाँ डाल दो ।हरिकिशन ने नमकदानी से लाल मिर्च मिला नमक चाय में डाल दिया ।लाल मिर्ची चाय के पैन में तैर रही थी ।स्कूल की घंटी बज गयी , सब बच्चे भागे ।मदन ने मुझे रुकने का ईशारा किया ।“देर हो जायेगी “मैं बोला ।

"बस दो मिनट रुक जाओ ।"

हरीकिशन ने चाय काँच के गिलास में डाल कर औरत को पकड़ाई ।बड़े चाव से उसने घूँट भरा और खाँसने लगी ।

"लाल मिर्ची डाल दी" , वो गुर्रायी ।

"पूछा तो था तुमसे" , उसकी हालत देख हरिकिशन घबरा गया । मिर्च जुकाम में फ़ायदा करेगी ।

"अपनी माँ को पिलाता है तू जुकाम में लाल मिर्च" अब वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी ।

"मार डालना चाहता है ।" भीड़ इकट्ठी हो गयी ।

सबको हरिकिशन की गलती लगी ।हरिकिशन से चवन्नी वापिस करवाई गयी ।मदन और मुझे स्कूल जा कर मुर्ग़ा बनना पड़ा ।मसालेदार चाय के मसालेदार नज़ारे की वजह से।



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