मिली साहा

Abstract Inspirational

4.5  

मिली साहा

Abstract Inspirational

निडरता की मिसाल - किरण बेदी

निडरता की मिसाल - किरण बेदी

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"औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। औरत शक्ति है, आधार है जिसके बिना संसार की दशा किसी बिना इंजन वाली गाड़ी के समान है। औरत को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वाधिक उचित ही होगा, क्योंकि नारी शक्ति में ही संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। एक पुरुष जो नारी को कमज़ोर कहता है, उसे सम्मान नहीं देता, उसका तिरस्कार करता है। उसे इस बात का ज्ञान क्यों नहीं कि औरत के बिना उसका अस्तित्व ही क्या है?

औरत उस वृक्ष के समान है जो विषम से विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ खड़ी रहकर राहगीरों को छाया प्रदान करती है। किंतु औरत की इस सहनशीलता और कोमलता को यह पुरुष प्रधान समाज उसकी कमज़ोरी समझ लेता है। किन्तु यह समाज समझ नहीं पाता कि नारी की सहनशीलता और कोमलता के बिना मानव जीवन का अस्तित्व संभव ही नहीं। इस बात में किंचित मात्र भी संदेह नहीं है कि औरत ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक का कार्य करती है। संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय औरत को ही जाता है।

हमारी भारतीय संस्कृति में औरतों के सम्मान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है किंतु वर्तमान में औरतों के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। एक नारी का अपमान अर्थात इस संसार का, इस समाज का नैतिक पतन है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का सम्मान दिया गया है। और यह यथोचित सम्मान उन्हें मिलना ही चाहिए इस सम्मान की वो अधिकारी हैं।

एक समय था जब औरत को उसके पति के देहांत के बाद उसे उसके साथ जिंदा जलकर सती हो जाना पड़ता था। ऐसी ही समाज की अनगिनत कुप्रथाओं के कारण औरत को हर युग में रीति-रिवाजों की बेड़ियों में बाँधकर सामाजिक सुख सुविधा, गतिविधियों और शिक्षा से दूर रखा जाता था। किंतु इन सभी बंधनों के बावजूद भी कितनी ही ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने अपने हिम्मत और हौसले से अपनी उपस्थिति को हर क्षेत्र में दर्ज़ करवाया है, इतिहास रचाया है, अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाया है। पूर्व काल से ही नारी अपने हक के लिए लड़ती आई है और आज भी लड़ रही है। इस हक की लड़ाई का ही परिणाम है कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर देश और समाज की प्रगति में अपनी भूमिका अदा कर रही है। उन्होंने अपनी शक्ति और कौशल से कर दिखाया है कि वो किसी भी मायने में कमज़ोर नहीं, वो एक शक्ति है जो अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है।

ऐसी अनेक सशक्त महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलीयत के दम पर सफलता के कई मुकाम हासिल किए हैं जो हर किसी के लिए एक मिसाल है, जिन्होंने इस पुरुष प्रधान समाज में, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है।

ऐसी ही एक सशक्त महिला और महान शख्सियत है अपने साहसिक कार्यों के लिए पहचानी जाने वाली महिला, "किरण बेदी"। जिनका कहना है.....…..

"सब कुछ संभव है कुछ भी असंभव नहीं है, किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सिर्फ कोशिश करने की ज़रूरत है।"

"किरण बेदी" के इसी तरह के महान विचार, उनका जज़्बा हिम्मत और हौसले से ही उन्हें देश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर का गौरव हासिल हुआ है। जिस वक्त पुलिस विभाग में केवल पुरुषों का वर्चस्व उनका दबदबा रहता था उस दौरान "किरण बेदी" ने आईपीएस ऑफिसर बनकर समाज में एक बदलाव की ओर इशारा किया था उन्होंने यह साबित कर दिया था कि महिलाएंँ भी किसी मायने में पुरुषों से कम नहीं।

"किरण बेदी" ने एक पुलिस अफसर के तौर पर न सिर्फ कैदियों की दशा को सुधारा बल्कि महिला सशक्तिकरण का मुद्दा भी उठाया। किरण बेदी एक सशक्त राजनेता और बेहतरीन सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।

"किरण बेदी" के माता-पिता ने पुरुष प्रधान समाज में अपनी बेटियों को पढ़ाने लिखाने में बहुत संघर्षों को झेला। किंतु "किरण बेदी" अपने माता-पिता के उम्मीदों पर खड़ी उतरी। न सिर्फ शिक्षा बल्कि खेल और लेखन में भी किरण बेदी ने अपनी प्रतिभा को साबित किया है।

"किरण बेदी" अपने कार्य के प्रति इतनी समर्पित हैं कि उन्होंने गलत पार्किंग करने पर देश की प्रथम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक का चालान काट दिया था। और यह इस बात का प्रमाण है कि उनमें हौसले और हिम्मत की कोई कमी नहीं। अपने तेजतर्रार स्वभाव के कारण "किरण बेदी" को कई बार आलोचनाओं से गुज़रना पड़ा। किंतु उन्होंने कभी हार नहीं मानी। डटकर खड़ी रही। उनके इस जज्बे और हौसले को सलाम।

"किरण बेदी" कहती हैं, "जो लोग समय रहते अपने जीवन का चार्ज नहीं लेते, वो बाद में समय द्वारा लाठी चार्ज किए जाते हैं।"

"किरण बेदी" का यह सुविचार हमें जीवन की एक बहुत बड़ी सीख देता है और वक्त के महत्व को बताता है। "किरण बेदी" महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं वह हमेशा एक निडर महिला की तरह रहीं।

"किरण बेदी" के सशक्त किरदार को देखकर हम यह कह सकते हैं कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं। जिस प्रकार वो बड़ी ही जिम्मेदारी के साथ घर को चला सकती हैं उसी प्रकार देश और समाज के लिए भी अपना योगदान दे सकती हैं। फिर चाहे देश की राजनीति , खेल जगत, देश की रक्षा या फिर कोई बिजनेस या कोई भी क्षेत्र हो हर जगह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का साहस रखती है। इसलिए तो कहा जाता है दृढ़ इच्छाशक्ति वाली महिलाओं से शक्तिशाली और कोई ताकत नहीं। जब एक औरत ठान लेती है तो कुछ भी कर गुज़रती है।

जब एक "औरत", एक "नारी" के बिना "पुरुष", "समाज", ये संसार अस्तित्व विहिन है तो फिर क्यों केवल 8 मार्च "महिला दिवस" के दिन ही नारी का गुणगान किया जाता है? 

इस उपलक्ष में कुछ पंक्तियाँ नारी शक्ति को समर्पित.......

नारी ही तो शक्ति है, आधार है, जग की पालनहारी है,

प्रत्येक दिन, प्रत्येक क्षण नारी सम्मान की अधिकारी है,

बांँध दो कितनी भी बेड़ियों में, अपना रास्ता ढूँढ ही लेगी,

जितना तोड़ने की कोशिश करोगे उतनी ही मज़बूत होगी।


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