महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
उमा भाभी मंदिर कितने बजे जाना है। निकलते समय मुझे भी आवाज़ दे देना साथ ही चलेंगे। शीला और पायल भी कह रही थी वो भी साथ चलेंगी।राधिका घर के बाहर से ही उमा को आवाज़ लगा रही थी। तभी अंदर से उमा की आवाज़ आती है, "अरे मेरी प्यारी ननद अंदर तो आ जाओ बाहर ही खड़ी रहोगी क्या? तुम्हारे महेश भाई साहब गए हैं पूजा की सामग्री लाने बस जैसे ही आते हैं वैसे ही निकल पड़ेंगे।"
"ठीक है भाभी तो फिर मैं भी जल्दी से जाकर अपनी पूजा की थाली सजा लेती हूँ। शीला और पायल से भी कह देती हूंँ कि वो लोग भी तैयार हो जाएं। और हांँ भाभी अभी अंदर आने का समय नहीं है, बाद में आऊंँगी घर के कुछ काम भी निपटाने हैं।"
इतना कह कर राधिका वापस अपने घर चली जाती है। और उमा भी पूजा की तैयारी में लग जाती है। उमा सुबह से ही भागदौड़ कर रही थी। उमा को हर काम में साफ-सफाई बहुत पसंद थी इसलिए सुबह चार बजे से ही उठकर लगी हुई थी।
उमा बहुत ही शांत और मृदुल स्वभाव की एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी उसके पति महेश का स्वभाव भी उससे बहुत ही मेल खाता था। उमा के दो बच्चे थे बेटा विनायक और बेटी किशोरी। बेटा चार साल का और बेटी सात साल की।
दोनों बच्चे सुबह से मम्मी पापा को भागदौड़ करते हुए देख रहे थे। तभी किशोरी ने उमा से कहा, मम्मा ये कौन सी पूजा है?, राधिका बुआ क्या बोल रही थी, हमें कौन से मंदिर जाना है?
किशोरी की बात सुनकर विनायक भी दौड़ा दौड़ा आया और वही सवाल करने लगा। तब उमा ने बताया, बच्चों आज महाशिवरात्रि है, भगवान भोलेनाथ का दिन। हम उन्हीं की पूजा करने मंदिर जाएंँगे।
तभी विनायक आकर कहता है, "मम्मा जिनके हाथों में डमरू और त्रिशूल है क्या वही भोलेनाथ हैं? हम उन्हीं की पूजा करेंगे?"
उमा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हांँ बेटा वही भगवान भोलेनाथ है, शिव शंकर हैं। देवों के देव महादेव हैं वो। सब का कल्याण करते हैं।"
भगवान शिव के इतने सारे नाम सुनकर किशोरी ने आश्चर्य से पूछा, "मम्मा अभी आपने भोलेनाथ कहा था फिर शिव शंकर और महादेव कौन है?"
किशोरी की बात का उमा ने बड़े ही प्यार से जवाब दिया, "बेटा भोलेनाथ के कई नाम हैं जैसे महादेव, शिव शंकर, कैलाशपति, उमापति, डमरूधारी, महेश्वर, भूतनाथ, नीलकंठ, ओमकारेश्वर, विष्णुवल्लभ, कपाली, विश्वेश्वर शिवाप्रिया, सदाशिव, वीरभद्र, महाकाल, शंभू, पिनाकी इसके अतिरिक्त और भी कई नाम हैं।"
इतने सारे नाम सुनकर विनायक ने बड़े ही भोलेपन से कहा, "बाप रे बाप इतने सारे नाम मेरे तो बस दो ही है। एक घर का और एक स्कूल का।"
विनायक की बात सुनकर किशोरी हंँसते लगी। "अरे बुद्धू, वो तो भगवान है इसलिए उनके इतने सारे नाम है।" फिर उमा की ओर देखते हुए कहने लगी, "है ना मम्मा मैं बिल्कुल ठीक बोल रही हूंँ ना।"
उमा जवाब दे ही रही थी कि इतने में महेश पूजा की सामग्री लेकर आ गया। और उमा को आवाज़ लगाने लगा, लो उमा मैं पूजा की सारी सामग्री ले आया। "अब जल्दी से मंदिर जाने के लिए पूजा की थाली तैयार कर लो।"
"हांँ, मैं कर लेती हूंँ आप जाइए तैयार हो जाइए। फिर महेश बच्चों से कहता है चलो-चलो बच्चों तैयार हो जाओ जल्दी मंदिर चलना है"।
बच्चे उत्साहपूर्वक तैयार होने के लिए जाते-जाते उमा से कहते हैं, "मम्मा मंदिर से आकर फिर हमें महादेव की पूरी कहानी सुनाना। हमें महादेव के बारे में और भी जानना है।"
"ठीक है बाबा ज़रूर सुनाऊंँगी। अब चलो, जल्दी तैयार हो जाओ तुम लोग। राधिका बुआ और बाकी लोगों को भी तो साथ लेकर जाना है।"
फिर सब तैयार होकर एक साथ पास ही के एक मंदिर जाते हैं। जहांँ भगवान शिव के भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई थी। चारों और भक्ति पूर्ण वातावरण। "ऊँ नमः शिवाय" मंत्र ध्वनि से मंदिर का कण-कण गुंजायमान हो रहा था।
उमा परिवार सहित मंदिर में जाकर भगवान शिव का अभिषेक कर उन्हें फल-फूल चंदन, बेलपत्र आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना कर प्रार्थना करती है कि हे महादेव अपनी कृपा हम पर सदा बनाए रखना और हम जीवन भर आप की भक्ति में लीन रहें ऐसा वर देना।
भक्तिभाव पूर्वक पूजा अर्चना कर सब अपने घर लौट आए और भगवान शिव का प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात बच्चे उमा से जिद करने लगे महादेव के विषय में बताने के लिए। महेश ने कहा बच्चों आज तुम्हारी मम्मा का व्रत है उन्हें ज़्यादा परेशान मत करो।
महेश की बात सुनकर उमा कहती है महाशिवरात्रि के दिन महादेव के विषय में बताने में आखिर कैसी थकान। आओ बच्चों मैं तुझे बताती हूँ महादेव के विषय में।
उमा बच्चों को प्यार से सहलाते हुए कहती है, "बच्चों आज महादेव का दिन है ना तो चलो सबसे पहले "ऊँ नमः शिवाय" का जाप करते हैं। जानते हो इस मंत्र में संपूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित है।
"ऊँ नमः शिवाय" जाप के पश्चात उमा बच्चों से बोली, जानते हो बच्चों हमारे महादेव अनादि है अनंत हैं उनकी संपूर्ण व्याख्या करना तो हम जैसे मनुष्यों के बस की बात ही नहीं। गुरुओं के गुरु है वो, सर्वज्ञानी है। संपूर्ण सृष्टि पर उनकी नज़र है, वो सर्वज्ञाता हैं।
तभी विनायक अचानक बोल पड़ा, मम्मा क्या महादेव हमें अभी भी देख रहे हैं, राधिका बुआ और मेरे दोस्तों को भी। उमा ने जवाब दिया, हांँ बिल्कुल। उनकी दृष्टि तो सब पर रहती है और वो सबका भला करते हैं।
जानते हो बच्चों, त्रिदेवों में श्री ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं, श्रीहरि जिन्हें हम नारायण कहते हैं सृष्टि के पालनहार हैं और महादेव संहारक। महादेव अजन्में हैं अर्थात जब इस सृष्टि इस संसार की रचना भी नहीं हुई थी उससे भी पहले से हैं और इस सृष्टि के बाद भी महादेव ही रहेंगे।
उमा ने बात आगे बढ़ाते देखा, माता पार्वती भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं उनकी पत्नी। माता पार्वती आदिशक्ति हैं भगवान शिव की शक्ति। शक्ति के बिना भगवान शिव अधूरे हैं। और महादेव का अर्धनारीश्वर रूप तो तुम लोगों ने देखा है वो इस बात का प्रमाण है। और जानते हो इस रूप में भगवान महादेव संपूर्ण सृष्टि को प्रेरणा देते हैं कि स्त्री ( प्रकृति ) और पुरुष एक दूजे के बिना अधूरे हैं। और इनमें से किसी की भी महत्व कम नहीं है दोनों एक समान हैं।जेड
बड़े ही ध्यान पूर्वक दोनों बच्चे अपनी मांँ की बात सुन रहे थे थोड़ी दूर पर बैठा महेश भी मंत्रमुग्ध होकर उमा की बातें सुन रहा था। तभी किशोरी में उमा से पूछा, "मम्मा महादेव कहांँ रहते हैं क्या वो भी हमारी तरह किसी घर में रहते हैं।"
तब उमा ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं बेटा महादेव तो महयोगी हैं, उन्हें धन दौलत आडंबर से कोई मोह माया नहीं है। वो तो खुले आसमान में सभी जीवो के बीच बड़े ही प्रसन्न रहते हैं।
हमारे भोले महादेव माता पार्वती, पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ कैलाश पर्वत पर रहते हैं। नंदी और शिवगण भी उनके साथ उसी पर्वत पर निवास करते हैं। कैलाश पर्वत ही महादेव का घर है।
और जानते हो महादेव ने तो चंँद्रमा को, जिसे तुम बच्चे अपना चंदामामा करते हो, अपने सर पर धारण किया हुआ है सोचो, चंँद्रमा के लिए ये कितने गर्व की बात है कि वो स्वयं महादेव के सर पर विराजित है। और हमारी पवित्र नदी गंगा जिसके विषय में मैंने तुम्हें बताया था याद है ना। वो महादेव की जटाओं से निकलकर की धरती पर प्रवाहित होती है। महादेव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेट रखा है।
तुम्हें पता है बच्चों, भगवान महादेव को जीवन, मृत्यु, विध्वंस और पुनर्जन्म का देवता माना जाता है। और जानते हो, भगवान महादेव अगर संहारक है तो शांति भी हैं, वो अंधकार भी है प्रकाश भी हैं, पुरुष भी है स्त्री भी हैं, आकार भी हैं और निराकार भी, आदि भी वही और अनंत भी।
बच्चों तुम्हें पता है, हमारे महादेव इतने भोले हैं कि एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। महा कल्याणकारी है हमारे महादेव सदैव सबका कल्याण करते हैं। इनके तो बस स्मरण मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। और आज हमारे उन्हीं महादेव का विशेष दिन है जिसे हम "महाशिवरात्रि" के नाम से जानते हैं वैसे तो हम लोग प्रत्येक दिन महादेव का नाम लेते हैं लेकिन आज के दिन उनकी खास पूजा होती है। फाल्गुन मास की चतुर्दशी को मनाए जाने वाले शिवरात्रि का साल के बारह शिवरात्रियों में विशेष स्थान है। आज के दिन भक्तजन व्रत रखकर भगवान शिव शंकर की पूजा करते हैं। इस दिन कुछ लोग पूरे दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग आधे दिन का। भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित कर ही भोजन या फलाहार ग्रहण करते हैं।
तभी बीच में ही किशोरी बोली, आज आपने भी व्रत रखा है ना मम्मा। अगले साल से मैं भी रखूंगी भगवान महादेव का व्रत। किशोरी को देखकर विधायक की उत्साह पूर्वक कहने लगा और मैं भी रखूंँगा।"
उमा ने सर हिलाते हुए कहा, "हांँ बिल्कुल रखना, बच्चों से तो भगवान भोलेनाथ और भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। उमा की बात सुनकर बच्चों के मुख पर मुस्कान आ गई। और फिर मन लगाकर उमा की बातें सुनने लगे।"
उमा ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "आज का ये पवित्र और खास दिन "महाशिवरात्रि" शिव विवाह के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है आज ही के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। जानते हो बच्चों भगवान महादेव की बारात इतनी भव्य और विशाल थी जैसी इस संपूर्ण ब्रह्मांड में किसी की नहीं हो सकती। असुर, देवता, ऋषि मुनि और इस ब्रह्मांड का प्रत्येक जीव इस बारात में शामिल हुआ था। "
बच्चे को मांँ की बात सुनकर आश्चर्यचकित रह गए। इतनी बड़ी बारात हमने तो कभी नहीं देखी। तब उमा ने कहा, हांँ बेटा महादेव के बारात जैसी बारात तो किसी की हो भी नहीं सकती। वो सब में शामिल होकर भी सबसे अलग है। वो स्वयं ही अद्भुत है, अद्वितीय हैं तो उनकी बारात भी तो अद्भुत और अनोखी होगी। जानते हो शिव पार्वती विवाह को ब्रह्मांड का सबसे खूबसूरत और अनोखा विवाह कहा जाता है।
बच्चे और महेश बड़े ही आनंद पूर्वक भक्ति भाव से उमा के मुख से महादेव की कथा सुन रहे थे। तब मैंने कहा जानते हो बच्चों, जैसे तुम लोगों को गर्मी की छुट्टियों का माह बहुत पसंद आता है वैसे ही भगवान भोलेनाथ को सावन का माह बहुत पसंद है। इसके पीछे भी एक कहानी है सुनना चाहोगे।
बच्चों ने उत्सुकता जताते हुए कहानी सुनने की इच्छा जाहिर की। पप्पू माने कहानी सुनाते हुए कहा, भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष की पुत्री सती के रूप में जन्मीं थीं। उन्होंने प्रत्येक युग में शिव को वरने का निर्णय लिया था। किंतु शिव से विवाह उपरांत उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव का बहुत अनादर किया था। जिसे माता सती सहन न कर पाई और स्वयं को अग्नि में भस्म कर दिया। माता सती के प्राण त्यागने पर भगवान शिव दुनिया से विरक्त हो गए थे। तब माता सती ने हिमालय राज और मैना रानी की पुत्री बनकर पार्वती के रूप में जन्म लिया। बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव से जुड़ाव महसूस करती थी। इस युग में भी वो भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की। और जिसके परिणामफल स्वरूप माता पार्वती से भगवान शिव का विवाह हुआ। सावन के माह में ही माता पार्वती ने कठिन तपस्या की और शिव को प्राप्त हुई थी। तब से भगवान शिव को सावन माह बहुत प्रिय है।
और बच्चों जानते हो महादेव ही एक ऐसे भगवान है जिन्हें देवता और असुर दोनों पूजते हैं और उनकी भक्ति करते हैं। और भगवान महादेव भी दोनों को समान नज़रों से देखते हैं। और उनकी भक्ति का उन्हें बिना किसी पक्षपात के समान रूप से फल देते हैं।
महादेव के विषय में बताते सुबह से शाम हो गई। उमा को वक़्त का पता ही नहीं चला। तब महेश ने कहा उमा तुम्हारे व्रत खोलने का समय हो गया है जाओ फलाहार कर लो। उमा बोली , हांँ अभी जाकर कर लेती हूंँ। वैसे भी महादेव के विषय में जितना कहो उतना कम है। उमा ने बच्चों से कहा बच्चों आज बस इतना ही कल फिर तुम्हें महादेव की और कहानियांँ सुनाऊँगी।
इतना कहकर उमा फलाहार करने चली जाती है महेश और बच्चे भी महादेव की मनमोहक छवि मन में बसाकर मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चले जाते हैं।
