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Kunda Shamkuwar

Abstract

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Kunda Shamkuwar

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ना वाली हाँ

ना वाली हाँ

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 "मैं तुमसे प्यार करती हुँ।"यह बात पता नहीं क्यों तुमसे उस वक़्त मैं कह नहीं पायी थी? हम हमेशा ही मिलते रहते थे।घंटों बातें किया करते थे।कही घूमने जाना हो या साथ मे मूवी देखना हो तो हम साथ जाते थे।घर के लोगों को और हम दोनों के फ्रेंड्स को भी लगता था कि हम दोनों शादी करेंगे।

लेकिन यह हो नहीं सका।हम दोनों में से किसी ने कभी यह कहा ही नहीं।

हम दोनों की राहें जुदा हो गयी।वह किसी और शहर में और मैं यहाँ दिल्ली में। 

हमारा अक्सर गाँव में आना जाना होता था।पर पता नहीं क्यों हम दोनो की फिर कभी मुलाकात  नही हुयीं।

बच्चों की पढ़ाई और ऑफिस की मसरूफ़ियत में हम दोनों की जिंदगी उलझ गयी थी।

हर बार की तरह इस बार भी गर्मी की छुट्टियों में गाँव जाने का मौका हुआ और पहली बार हम लोग मिले।दोनो जैसे बदल गए थे।वह नजदीकियाँ पता नहीं कहाँ गायब हो गयी थी? हमारा मिलना एकदम फॉर्मल तरीके से हुआ। मैं अपने बच्चों के साथ उसकी फैमिली से पहली बार मिली।

हम औरतें पता नहीं कैसे इतनी जल्दी दोस्ती कर लेती है? मुझे लगता है इस मामले में मर्द जरा अलग होते है और थोड़ा ज्यादा टाइम लेते है।

बातों बातों में समझ ही नहीं आया कि रात ज्यादा हो गयी है।उसकी बीवी ने कहा,"आज तुम लोग सब यही रह लो।मजा आएगा।"

सब बच्चे खुशी से तालियाँ पीटने लगे।

रात को सोने के लिए उसकी बीवी ने कहा कि हम सब बच्चों के साथ उनके बैडरूम में सो जाते है।

सोने के लिए उसने मुझे अपना नाईट गाउन दिया।बाथरूम में जैसे ही मैं नाईट गाउन पहनने के लिए अपने कपड़े कील पर टाँगने लगी।अचानक मुझे वह जानी पहचानी गंध महसूस हुई।कील में उसका शर्ट टँगा था।पता नहीं मुझे क्या हुआ,मैं बेतहाशा वह शर्ट सूँघने लगी।मुझे उस शर्ट को सूँघना अच्छा लगा।

शर्ट की गंध को सूँघ कर शायद मैं उसकी कमी को पूरा कर रही थी।शर्ट में बसी उस देहगंध को जैसे मैं अपने दिलदिमाग मे क़ैद करना चाह रही थी।

आजतक लगता था कीं हम दोनो अपनी अपनी जिंदगी में खुश है।लेकिन आज उस शर्ट में बसी देहगंध को सूँघने की मेरी बेताबी और बेकरारी कुछ और बयाँ कर रही थी।

क्या वाकई हम दोनों अपनी अपनी जिंदगी में खुश है? यह सवाल मुझे कौंचने लगा।

मैं फिरसे उसके शर्ट को सूँघने लगी.....


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