मवाना टॉकीज भाग 10

मवाना टॉकीज भाग 10

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अभय के माथे पर बल पड़ गए। इसका मतलब इस बार सोमू सही कह रहा है। चलो, वह सोमू से मुखातिब होकर बोला, लेकिन अगर इस बार भी तुम्हारी बातें कल्पना की उड़ान हुई तो पछताओगे। 
संकेत पाकर पुलिस ड्राइवर ने जाकर बोलेरो स्टार्ट कर दी और अभय सोमू को साथ लेकर मवाना टॉकीज की तरफ चल पड़ा। 
मवाना टॉकीज के पास पहुंचकर अभय ने देखा कि सोमू के माथे पर पसीना चुहचुहा आया है। 
क्या बात है? उसने कड़ककर पूछा। 
सर! गाड़ी, गाड़ी!! वह मुश्किल से बोल पाया।
क्या गाड़ी? अभय ने डपटते हुए पूछा।
सर, गाड़ी गायब है, लेकिन सुबह यहीं थी। मैं खुद आकर देख गया था। 
अभय ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ छोटा सा डंडा उसके पेट में चौंकते हुए कहा, आ गए अपने रंग में? अगर आज चकमा देने की कोशिश की तो उल्टा लटका कर पीटूंगा समझ लेना! 
सोमू बुरी तरह हकलाने लगा। 
अभय ने आँखें तरेरते हुए पूछा, कहाँ थी गाड़ी? 
सोमू ने एक जगह की ओर इशारा कर दिया। अभय ने पास जाकर देखा और सोमू की तरफ मुड़कर बोला, बच गए बच्चू! यहाँ कोई गाड़ी खड़ी थी, जिसे ट्रैफिक वाले उठा ले गए हैं। देखो चॉक से लिखा भी हुआ है। परिवहन विभाग किसी की गाड़ी टो करके ले जाता है तो उस जगह पर चॉक से मार्किंग कर देता है। 
सोमू की जान में जान आई। वह जल्दी जल्दी सहमति में सिर हिलाने लगा। 
लेकिन इससे सिद्ध नहीं होता कि तुम सच बोल रहे हो, अभय उसे धमकाता हुआ बोला, तुम बड़े खिलाड़ी आदमी हो, तुम्हारी कलाकारी मैं कई बार देख चुका हूँ अभी यह नहीं सिद्ध हुआ है कि यहाँ से उठाई गई गाड़ी डॉ चटर्जी की ही है समझे? 
सोमू फिर रुआंसा हो गया। अभय ने परिवहन कार्यालय में फोन कर के घटना की जानकारी देते हुए सम्बंधित कार की डिटेल मांगी तो थोड़ी देर में देने का आश्वासन देकर फोन काट दिया गया। अब अभय सोमू के साथ मवाना टॉकीज के उस रंगमंच पर दाखिल हुआ जहाँ अभी काफी नाटक खेले जाने थे। 
वहाँ के स्थानीय मूल निवासी, अर्थात कुत्ते आदतानुसार अपने अपने राग अलापने लगे। कोई सम तो कोई विषम राग में अपनी प्रतिभा चमका रहा था। ऐसा लग रहा था कि वे टेलीविजन के किसी रियल्टी शो का ऑडिशन दे रहे हैं। अभय उन्हें नजरअंदाज करता हुआ हॉल में घुस गया। सोमू उसके पीछे पीछे था। 


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