मुक्ति का आनन्द

मुक्ति का आनन्द

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शीतल मन्द पवन चल रही थी, आकाश में बादल छाए हुए थे ।पक्षी प्रसन्न होकर आकाश में विचरण कर रहे थे ।नीचे बगीचे में बच्चे खेल रहे थे ।मेरी गुड़िया भी खुश होकर छत पर खेलने लगी। अचानक पिंजरे में लव बर्ड के जोड़े को देखकर बोली "मम्मा प्लीज इन्हें छोड़ दो "

"क्यों बेटा तुमने ही तो .जिद करके पापा से मंगाए थे।"

 "सारी मम्मा इन्हें प्रसन्न होकर घूमने का आनन्द लेने दो।"

मैंने जैसे ही पिंजरा खोला,पक्षी धीरे - धीरे पिंजरे के द्वार पर पहुंचे और बाहर निकलकर थोड़ी देर के बाद धीरे-धीरे उड़े और आकाश में विचरण करने लगे।

दोनों लव बर्ड को आकाश में उड़ता देखकर गुड़िया ताली बजाने लगी और मैंने राहत की सांस ली।

सच " मुक्ति का आनन्द " कुछ और ही होता है।


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