भेदभाव

भेदभाव

3 mins
1.1K


रिजल्ट निकलने का दिन था। मिसेज गुप्ता खुश होकर छात्रों को रिजल्ट दे रही थी और उनके अच्छे अंक आने पर बधाई भी दे रही थी। तभी छात्र यूसुफ ने अपना रिपोर्ट कार्ड मांगा तो मिसेज गुप्ता ने कहा " तुम्हारे पेरेंट्स नहीं आए, युसूफ यह कार्ड तो पेरेंट्स को ही उनकी मैग्जीन के साथ दिया जाएगा क्योंकि उनके हस्ताक्षर भी तो लेना है। "

"यस मैम पापा आ रहे हैं, अभी मेरे साथ

ड्राइवर अंकल हैं। आप रिजल्ट तो दिखाइए। " युसूफ बड़े भोलेपन से पर उत्साह पूर्वक बोला

मिसेज गुप्ता ने रिपोर्ट कार्ड निकाला और देकर कहा " तुम्हारा 27 वां रैंक है और सेकंड डिवीजन है। "कहकर मिसेज गुप्ता मेज पर रखे रिपोर्टकार्ड देखने लगी और अन्य पालकों को रिपोर्ट कार्ड देने में व्यस्त हो गई। तभी ड्राइवर रिपोर्ट कार्ड लेकर आया और बोला "मैडम आपने इस पर रेंक और डिवीजन तो लिखे ही नहीं है। मिसेज गुप्ता ध्यान से रिपोर्ट कार्ड देखने लगी और सोचने लगी कि यूसुफ के इस कार्ड में सभी विषयों में 60 से ऊपर मार्क्स हैं, ऐसा कैसे हो सकता है ?मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है ? उन्होंने रिपोर्ट कार्ड को बड़े ध्यान से देखा तब समझ में आया कि यह हैन्डराइटिंग उनकी नहीं है। उन्होंने मस्तिष्क पर जोर दिया,

"अचानक उन्हें याद आया कि यूसुफ ने हाफ इयरली के बाद अपना रिपोर्ट कार्ड खो दिया था और डुप्लीकेट कार्ड ले लिया था "।

मिसेज गुप्ता ड्राइवर से बोली " यूसुफ कहाँ है ? मैंने उसे जो कार्ड दिया था, वह कार्ड कहाँ है ?,यह कार्ड तो वह है जो उसने हाफ इयरली के बाद खो दिया था और फिर डुप्लीकेट कार्ड बनवा लिया था। उसे जल्दी से बुला कर लाओ। थोड़ी देर में ड्राइवर यूसुफ को लेकर आया तो मिसेज गुप्ता ने कहा "अपना डुप्लीकेट कार्ड लेकर फादर के पास चलो, तुम हमेशा चालाकी करते हो "। फिर ड्राइवर से बोलो "आप इसके पापा को लेकर ऑफिस में आइए"। गुप्ता मैडम ने फादर को पूरी वस्तुस्थिति से अवगत कराया।

फिर फादर ने यूसुफ से डुप्लीकेट कार्ड मांगा तो यूसुफ ने बताया कि उसने काउंसिल रूम में, जो बंद है उसके दरवाजे के नीचे कार्ड डाल दिया है। तब फादर ने चौकीदार से दरवाजा खुलवा कर कार्ड निकलवाया। फादर और मिसेज गुप्ता उन दोनों कार्ड को देखकर हैरत में थे कि कितनी सफाई से उसने मैडम के हस्ताक्षर कर लिए हैं। तब तक उसके पापा आ गए। प्रिंसिपल साहब ने उन्हें सारी स्थिति से अवगत कराया और कहा कि अब हम इसे टीसी दे रहे हैं, ऐसे स्टूडेंट को हम स्कूल में नहीं रख सकते। उसके पापा ने तब उसे डाँटा और पूछा "तुमने ऐसा क्यों किया ? तो उसने कहा "मम्मा हमेशा मेरे मार्क्स देखकर मुझे डाँटती थी और दीदी के मार्क्स देखकर हमेशा खुश होती है, उसे गिफ्ट भी देती थी और उसकी तारीफ करती थी। मैं कोशिश करने के बाद भी दीदी जैसे मार्क्स नहीं ला पाता था "। सभी उसकी बातों को सुनकर दंग रह गए। प्राचार्य फादर बोले " देखिए सर, आपकी पत्नी के भेदभाव के व्यवहार के कारण आज आपके बेटे ने गलत कदम उठाया है, ऐसे व्यवहार से बच्चे हीन भावना का शिकार हो जाते हैं और अपराधी बन जाते हैं। आप अपने घर का वातावरण ठीक करिए। "


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama