पड़ोसन
पड़ोसन


पुष्पा ने इस बार होली आने के 6 दिन पहले ही डिब्बा भरके गुझिया ,मठरी, पपड़ी और लड्डू बना लिए। उसने बेटे के पास जाने की पूरी तैयारी कर ली। दूसरे दिन पुष्पा और उसके पति दोनों मुंबई जाने के लिए रवाना हो गए। दोनों पति-पत्नी के हृदय में त्योहार की उमंग थी और अपार हर्ष था कि इस बार होली बेटे के यहाँ मनाएंगे ।बेटे अनुज को 5 साल हो गए थे तब से उसका ग्वालियर आना नहीं हो सका और होली पर एक दिन की छुट्टी होती थी इसलिए कभी उसने ग्वालियर आने का प्रोग्राम नहीं बनाया ।पुष्पा के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी ।बेटी की शादी को 6 साल हो गए थे और बेटा अनुज 5 साल से मुंबई में मैं रह रहा था ।बेटी की शादी के एक साल बाद ही अनुज को मुंबई में सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब मिल गया था। दोनों पति पत्नी अपने अपने गांव वालों के साथ, रिश्तेदारों और मित्रों के साथ होली का त्योहार धूमधाम से मनाते थे पर अनुज की याद उन्हें हमेशा आती थी। इस बार पुष्पा ने अनुज से कहा बेटा क्या इसबार होली पर हम मुंबई आ जाएं। अनुज ने कहा माँ मेरी तो एक दिन की छुट्टी होती है। और यहां अपने शहर जैसी होली नहीं होती है फिर भी अगर तुम्हारी इच्छा है तो आप पापा को लेकर आ जाओ ।
मुंबई में पुष्पा और उसके पति कई बार आ चुके थे पर होली मनाने वे पहली बार आ रहे थे अतः खाने पीने के सामान के साथ वह रंग भी लाये थे। मुंबई पहुँचने पर अनुज ने कहा माँ इतना सारा सामान क्यों लाई हो? अरे बेटा होली का त्यौहार है ,तेरे दोस्त भी तो आएंगे और यहां तो बाई खाना बनाती है उससे हम क्या बनवाते इसलिए मैं सब कुछ वहीं से बना कर लाई हूँ।
अरे माँ यहाँ कोई भी होली पर नहीं आता? अपने शहर में ही होली पर मिलने के लिए आते हैं। यहां तो सबका व्यस्त जीवन है, बस थोड़ा बहुत रंग लगा लिया।
कछु बात नहीं बेटा हमें तो तेरे संग होली मनाने की इच्छा थी ।यहां होली नहीं जलाते हैं क्या ?मुझे तो ऊंची- ऊंची बिल्डिंग दिखाई दे रही है और होली कहीं दिखाई नहीं दे रही ?
अरे माँ अभी तो 2 दिन है ,यहाँ तो एक दिन पहले ही होली दहन के लिए लकड़ी, पेड़ आदि रख देते हैं ।
बेटा , मैं तो होली की पूजा करके ही खाना खाती हूँ पर बेटा तू चिंता मतकर।
होली के दिन पुष्पा ने सुबह उठकर विष्णु जी की पूजा की और सत्यनारायण की कथा की। उसके बाद उसने अपने पति और बेटे को प्रसाद दिया। अनुज बोला माँ आज होली की पूजा करनी है ।शाम को तैयार रहना।
पुष्पा बोली ठीक है बेटा तू तो अपने ऑफिस जा आराम से। यहाँ आसपास कोई बात नहीं करता है ?
क्या माँ मैं तो सुबह ऑफिस जाता हूँ और शाम को आता हूं इसलिए समय ही कहाँ है बात करने के लिए ।पास में मैंनेजर रहते हैं
पर उनसे कभी मेरी बात नहीं होती है।
अनुज तो ऑफिस चला गया और उसके पति टीवी देखने में मस्त हो गए। पुष्पा उठी और डरते -डरते उसने बगल वाले फ्लैट की घंटी बजा दी। तभी अंदर से युवती निकली और बोली "आन्टी आपको किससे मिलना है ?
पुष्पा बोली 'मुझे तुमसे ही मिलना है। हम तुम्हारे बगल वाले फ्लैट में ही रहते हैं। हम कल ही ग्वालियर से आए हैं अपने बेटे के पास होली मनाने के लिए ।
"अच्छा-अच्छा आंटी अंदर आइए ' मेरा नाम कविता है।
बेटा हम आज होली की पूजा करते हैं यहां होली कहाँ रखी जाएगी ?
आंटी शाम को रखी जाती है पूजा करने से दो घंटे पहले ।आप मेरे साथ चलिये।
पुष्पा खुश होगई चलो कोई तो यहाँ अपना बना। शाम को कविता के साथ पूजा करने गई। शाम को जब बेटा घर आया तो पुष्पा बोली "बेटा मैं पड़ौस वाली के साथ पूजा कर आई।"
बेटा दूसरे दिन ऑफिस चला गया और उसके पति टीवी देखने में मस्त हो गए। पुष्पा अकेली बैठी थी, उसे याद आ रहा था अपना ग्वालियर। रंगों की बौछार, रंगों की फुहार, ढोलक की थाप पर गाने। सब लोग गूझे ,पपड़ी खाते और एक दूसरे को बधाई देते। कोई चाची कहकर आवाज लगाता ,
कोई मामी कहकर आवाज तो कोई भाभी कहकर रंग लगाता ।
पर आज जैसी होली तो उसकी कभी नहीं हुई एकदम सूनी। न किसी ने उसके ऊपर रंग डाला और न उसने किसी के ऊपर ।इस सब के लिए वह स्वयं ही जिम्मेदार है इसलिए वह अपने पति से भी शिकायत नहीं कर सकती ।अचानक दरवाजे की घंटी बजी। पुष्पा ने जल्दी से दरवाजा खोला तो देखा कि पड़ोसन कविता हाथ में रंग लेकर खड़ी है ।वह बोली " आंटी आइए शगुन का रंग तो लगा दूं और आपका आशीर्वाद ले लूँ ।
पुष्पा बोली आओ बेटा अंदर आओ। मैं भी रंग लाती हूं ।कविता ने पुष्पा के माथे पर रंग लगाया और चरण स्पर्श किए। पुष्पा देवीने कविता के गालों पर रंग लगाया और बाहों में भर लिया ।पुष्पा बोली आओ बेटा मुँह तो मीठा कर लो ।कविता बोली " आन्टी शाम को आऊंगी ।"
ठीक है बेटा शाम को अवश्य आना अपने पति और बच्चों के साथ ।
शाम को अनुज ने देखा कि माँ टेबल पर नाश्ता सजा रही है।वह बोला" माँ यह क्या कर रही हो यहाँ कोई नही आयेगा।
अरे बेटा , अब मेरी नई पड़ोसन बन गई है।वे सब आ रहे हैं।
वाह माँ ।