जीवनसाथी
जीवनसाथी


घर में शादी की पूरी तैयारी हो चुकी थी। निमंत्रण पत्र वितरित हो चुके थे। रामदयाल जी बहुत प्रसन्न थे जैसी तैयारी वे अपनी इकलौती बिटिया की शादी में चाहते थे उन्होंने तन मन धन से वैसा ही प्रबंध किया था। बढ़िया शानदार होटल में शादी का प्रबंध किया था और मेहमानों के रहने के लिए अलग होटल में प्रबंध किया था।सब कुछ बड़े शानदार तरीके से सुव्यवस्थित रूप से कार्य हो रहा था। दो दिन विवाह के रह गए हैं, परसों उनकी लाडली उन्हें छोड़कर अपनी ससुराल चली जाएगी। इसी सोच में भी थोड़े गमगीन हो रहे थे ,बस हम दोनों पति-पत्नी रह जाएंगे।
अचानक बेटी अनुष्का को देख कर हर्षित हो उठे पर बेटी को उदास देखकर उनका हृदय कांप उठा कि बेटी शादी से खुश है या नहीं।
बेटी, "क्या बात है तू खुश तो है न "उन्होंने अनुष्का से पूछा।
"पापा मैं यै शादी नहीं करूंगी " अनुष्का दृढ़ स्वर में गंभीर होकर बोली।
लेकिन बेटी शादी की तैयारी पूरी हो चुकी है तुम लोग एक-दूसरे को पसंद करते हो फिर क्या परेशानी है ?
पापा वह मुझसे नहीं मेरे पैसों से शादी कर रहा है हमेशा वह मुझसे पैसे की ही बात करता है। कार इत्यादि
सब कुछ देते हुए भी फ्लैट की इच्छा मुझे बताने लगा कि तुम्हारे पापा फ्लैट तो दिलवा ही देंगे।
रामदयाल जी यह सुनकर सकते में आ गए। अभी शादी से पूर्व ही यह हाल है तो फिर बाद में क्या होगा ?पापा मैं ऐसा जीवनसाथी चाहती हूँ जो अपनी मेहनत से स्वयं कुछ कर सके। रवि इंजीनियर होने के बाद भी अभी ही मुझसे और आप से धन की अपेक्षा कर रहा है तो बाद में उसका रूप क्या होगा।अगर आप अनुमति दें तो मैं आपके मित्र के बेटे प्रशांतजो एक मेहनती व ईमानदार। कैमिस्ट है उससे विवाह करने को तैयार हूँ।
ठीक है बेटी मैं प्रशांत के डैडी से बात करता हूँ।