Rekha gupta

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Rekha gupta

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मन की गुल्लक

मन की गुल्लक

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जिया और आशी घर मे घुसते ही चिल्लाने लगती हैं-दादी दादी आज कौन सी कहानी सुनाओगी? दोनों दादी से चिपट जातीं हैं। 

दादी- अरे अरे, अभी तो घर में घुसी हो और शोर मचाना शुरू। पहले कपड़े बदल कर खाना खाएंगे फिर कुछ सुनाएंगे। 

ठीक है दादी। फिर तीनों खाना खाते हुए स्कूल की बाते करते हैं। 

खाना खाकर दोनों दादी के एक एक तरफ लेट जाती हैं। तभी जिया कहती है-अच्छा दादी अब सुनाओ कहानी। कौन सी कहानी सुनाओगी।

दादी कहती हैं-आज मैं तुम दोनों को 'भावो की गुल्लक ' के बारे में बताऊँगी।

आशी पूछती है- दादी ये कौन सी गुल्लक होती है। भाव कौन सा पैसा होता है, हमारी गुल्लक में है क्या ? बताओ न दादी, बताओ न दादी। 

अच्छा अच्छा बताती हूँ ध्यान से सुनना। 

जैसे एक गुल्लक होती है जिसमें तुम पैसे जमा करती हो। वैसे ही एक गुल्लक हमारा मन है जिसमें बहुत से भाव जमा होते हैं। तुम्हारे मन की गुल्लक में भी बहुत से भाव हैं ।

तभी आशी पूछती है-पर दादी ये भाव क्या होते हैं। 

खुशी का भाव,दुख का भाव,अपनेपन का भाव, किसी की सहायता का भाव, बुराई,भलाई, अच्छाई का भाव, गुस्सा, प्यार, डर का भाव। ऐसे ही बहुत से भाव हमारे मन की गुल्लक में हम जमा करते हैं हमेशा हमें अपने मन की गुल्लक में अच्छे भाव जमा करने चाहिए। उससे हम एक अच्छे इंसान बनते हैं और सब हमें बहुत प्यार और सम्मान देते हैं।

जैसे जब तुम्हारी दादी बीमार होती है तो तुम दोनों मेरा सिर दबाती हो पैर दबाती हो। ऐसा तुम इसलिए करती हो क्योंकि तुम दोनों की मन की गुल्लक प्यार,सेवा और अपनत्व के भाव से भरी हुई है। 

जब आशी खेलते हुए गिर जाती या तुम्हारी कोई सहेली को चोट लगती है तो तुम तुरंत उनकी सहायता करती हो, तो ये तुम इसलिए करती हो क्योंकि तुम्हारी मन की गुल्लक सहायता के भाव से भरी हुई है। 

हमें हमेशा अच्छे भाव अपने मन की गुल्लक में जमा करने चाहिए और बुरे भावों को अपने मन की गुल्लक में जमा करने का खयाल भी अपने दिमाग में नहीं लाना चाहिए और ये मन के भाव तुम्हारे उन सिक्को से कहीं ज्यादा कीमती होते हैं जो तुम मिट्टी की गुल्लक में जमा करते हो।

 तो आज से हम सब अपने मन की गुल्लक में क्या जमा करेंगे...दोनों चुपचाप बडे ध्यान से दादी की बातों को सुन रहीं थीं 

 तभी चिल्लाकर बोलीं-केवल अच्छे भाव जमा करेंगे। 

शाम को जब मम्मी पापा दफ्तर से आते हैं तो दोनों दौड़कर आती हैं और बोलना शुरू कर देती हैं 

पापा मम्मी पता है आज दादी ने हमें क्या सिखाया ?

पापा पूछते हैं- क्या सिखाया दादी ने बेटा 

तब जिया बताती है-हमें दादी ने मन की गुल्लक के बारे में बताया जिसमें बहुत सारे भावों के पैसे होते हैं। प्यार दर्द अपनापन ये सब उन सिक्को से ज्यादा कीमती होते हैं जो हम मिट्टी की गुल्लक में जमा करते हैं ।

बच्चों के मुख से ये बाते सुनकर दोनों कुछ सोच में पड जाते हैं। 

 बच्चियों की बाते कहीं न कहीं दोनों को अपने आपसी व्यवहार और माँ के प्रति व्यवहार का भी आभास कराती हैं। 

दोनों कभी एक दूसरे को तो कभी माँ को देखते हैं और जिया आशी को गले लगा लेते हैं। 


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