अटूट बंधन
अटूट बंधन
कंचन का पार्थिव शरीर घर के हाॅल में रखा था। सभी घर वालों के साथ बोनी और जैकी भी उदास बैठे थे। बोनी और जैकी कंचन के दो प्यारे कुत्ते थे। जो हमेशा उसके साथ रहते थे। कंचन उनको बिल्कुल बच्चों जैसा प्यार करती थी। थोड़ी देर बाद कंचन को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे। तो बोनी और जैकी दोनों कुत्ते आगे-आगे चलने लगे। आज इतने सारे नए-नए लोगों को देखकर भी वे दोनों भौंक नहीं रहे थे। जैसे ही शव को गाड़ी में रखा गया। दोनों छलांग लगाकर उसमें चढ़ गए ।दोनों को उतारने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन वो दोनों टस से मस नहीं हुए ।
गंगा के तट पर भी दोनों शांत बैठे रहकर अपनी मालकिन को अंतिम विदाई दे रहे थे। घर आकर जब शाम को सबने कुछ खाया।तब भी जैकी और बोनी ने कुछ नहीं खाया। इतना उछल-कूद करने वाले उन दोनों के चेहरों पर आज एक अजीब सी उदासी थी। शब्दों में बोलकर तो वे दोनों अपना दर्द बयां नहीं कर सकते थे। पर दोनों अपनी मालकिन के चले जाने से एकदम शांत हो गए थे। उनकी आँखें नम थीं। सभी लोग बोनी और जैकी का प्रेम देखकर आश्चर्यचकित थे।
परिवार के सभी सदस्यों के मन समय के साथ शांत हो गए। कंचन की यादें धुंधली पड़ती गई पर आज भी बोनी और जैकी कंचन का नाम सुनते ही भौंकना शुरू कर देते हैं और बेचैन होकर इधर-उधर घूमने लगते हैं। आँखें नम हो जाती हैं। लगता है कलियुग में पशुओं से सीख लेने का समय आ गया है। आज मानव के बंधन तो मात्र दिखावे रह गए हैं। जो कच्चे धागे के समान एक झटके में टूट जाते हैं।