मानसिक स्वास्थ्य
मानसिक स्वास्थ्य
सुमन का भरा पूरा परिवार होते हुए भी उसकी जिन्दगी में नितान्त अकेलापन था। दो शादीशुदा बेटियाँ अपने-अपने परिवार में खुश और व्यस्त थीं। दो शादीशुदा बेटे अपने व्यवसाय में व्यस्त थे।बहुएँ अपनी किटी पार्टी आदि में खुश रहती थीं।पोता पोती भी थे लेकिन वे भी अपनी आधुनिक जिन्दगी में व्यस्त थे। घर में नौकर चाकर सब थे, लेकिन सुमन अपना सारा काम स्वयं करती थी। पति की मृत्यु हुए पांच साल हो गए थे। तब से वह बच्चों के साथ ही रहती थी। 80 साल की उम्र में भी उसमें बहुत फुर्ती थी। परिवार में सब अपने आप में व्यस्त थे। किसी को भी मां से दो मिनट बात करने या पास बैठने की फुर्सत नहीं थी।
कुछ समय से सुमन का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था। उसका मानसिक तनाव दिन प्रतिदिन बड़ता जा रहा था। वह निराशा में डूबी गुमसुम सी अपने कमरे में पड़ी रहती थी। खाना भी बहुत कम कर दिया था। शारीरिक रूप से वह स्वस्थ थी लेकिन मानसिक स्वास्थ्य खो चुकी थी।एक दिन सुमन लाॅबी में बैठी भगवान के कपड़े बना रही थी। तभी उसके दोनों बेटे गौरव और गर्वित आफिस से आते हैं,और वहीं बैठ जाते हैं।रामू पानी लेकर आ जाता है।रामू सुमन को भी पानी के लिए पूछता है। सुमन कहती है -मुझे प्यास नही है।तभी गौरव कहता है मां, पानी खूब पीना चाहिए।बिना प्यास के भी पी लेना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है।
तभी सुमन कहती है -बेटा पानी पीने से तो शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है लेकिन मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए तो मुझे परिवार का अपनापन प्यार और कुछ पलों की आवश्यकता है। अगर तुम लोग कुछ पल मेरे साथ बिताओ तो मेरी अंतरात्मा की प्यास शांत हो जाएगी। मैं तृप्त हो जाऊँगीं। जब मैंने तुम लोगों को जन्म दिया था तब मैं मातृत्व सुख से तृप्त हो गई थी। ये कहते हुए सुमन की आँखों से आँसू बहाने लगते हैं।
मां की बात दोनों बेटे बड़े ध्यान से सुन रहे थे। उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है। दोनों मां के गले लग कर क्षमा मांगते हैं। वे यह निश्चित करते हैं कि अब से सुबह-शाम परिवार का हर सदस्य मां के साथ कुछ समय बिताएगा। बच्चों की प्यार भरी बातें सुनकर सुमन गदगद हो जाती है। बच्चों ने माँ को बहुत समय बाद हँसते हुए देखा था। उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था। आज उन्हें पता चला कि शारीरिक स्वास्थ्य से बढ़ कर मानसिक स्वास्थ्य है और हम बच्चे ही अपने माता-पिता को मानसिक स्वास्थ्य दे सकते हैं।