Dhan Pati Singh Kushwaha

Crime

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Crime

मिस्ट्री आफ एंडरसन केस-जासूस सुबोध

मिस्ट्री आफ एंडरसन केस-जासूस सुबोध

7 mins
692


सारे विश्व की उत्पत्ति से लेकर इसका संचालन विविध रहस्यों से परिपूर्ण है।प्रभु के इस रहस्यमयी संसार में हमें आश्चर्यचकित करने वाली समद जैसी प्रतिभाएं भी हैं। जिसने मात्र बारह वर्ष की आयु में ही छठवीं कक्षा का विद्यार्थी होते हुए में " द मिस्ट्री ऑफ़ द एंडरसन केस" जैसी जासूसी पुस्तक की रचना कर डाली।कितनी विचित्र है यह दुनिया कि कभी-कभी होता कुछ और है दिखता कुछ और है। बहुत सी हत्याओं को दुर्घटना बता दिया जाता है। कानून की देवी की आंखों पर पट्टी बनी है वह तो केवल उन साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देती है जिसके प्रमाण प्रस्तुत किए जाते हैं। धन और बल की ताकत से सच को झूठ और झूठ को सच में बदल दिया जाता है। संविधान में लिखे गए कानूनों का भाषाई विश्लेषण कुछ इस प्रकार किया जाता है कि बेईमान इमानदार साबित कर दिया जाता है और उसे बचा लिया जाता है। दुर्भावना के वशीभूत होकर अन्याय का साथ ना देने पर झूठे मुकदमे में सीधे सरल लोगों को फंसा दिया जाता है। धन के अभाव में या रिश्वत के रूप में पैसा ना देने वाले ईमानदार को बेईमान साबित करके उसे दंडित भी कर दिया जाता है। किसी भी व्यक्ति के अपने ही रिश्तेदार हमारी जान के दुश्मन बन जाते हैं अपने स्वार्थ की खबर हमें मृत्यु की नींद सुलाने में जरा भी नहीं हिचकते।


इंस्पेक्टर धीरज को कुछ ऐसी फाइलें सौंपी गई थी जिन पर निर्णय तो लिया जा चुका था केवल उनका पुनः एक बार निरीक्षण करके यह देखना था कि कहीं कोई ऐसी कमी तो नहीं रह गई जो लिए गए फैसले के खिलाफ जाती हो अर्थात केस में कहीं कोई ऐसा तथ्य तो नहीं है जिसको नजरअंदाज करने की वजह से जो निर्णय लिया गया था वह सही ना हो। अमर की मृत्यु रेगिस्तान में पानी न मिलने के कारण प्यास से हुई बताई गई थी लेकिन उसके साथ में कुछ ऐसे साक्षी मिले जिनको देखकर धीरज को लगा किया गया निर्णय और इसमें जो साक्ष्य उपलब्ध थे उनमें समानता नजर नहीं आई। धीरज तो बस नाम के ही धीरज थे। उनके मन में और कोई विचार उमड़ने घुमड़ने लगता तो उनका सारा का सारा धीरज जवाब दे जाता और जब तक वह उसकी तह तक नहीं पहुंचते तब तक वे बेचैन रहते थे। इस केस को देखते ही उन्होंने अपने परम मित्र सुबोध, जो कि एक प्राइवेट जासूस थे,को फोन करके तुरंत बुलाया । सुबोध के साथ मिलकर इस केस के विभिन्न पहलुओं पर तार्किक चर्चा की। केस में दर्शाए गए साक्ष्यों उनके आधार पर की गई विवेचनाओं पर फिर से सघनता के साथ विचार विमर्श किया गया। अंगने में दोनों इस निर्णय पर पहुंचे कि इस केस की जांच दोबारा होनी चाहिए क्योंकि यह दुर्घटना का नहीं बल्कि हत्या का केस होना चाहिए।


यह केस राहुल नाम के एक मोटरसाइकिल प्रतियोगिता के प्रतिभागी की मृत्यु को लेकर था जिसमें वह बेंगलुरु से मोटरसाइकिल रेस की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जोधपुर आया था। प्रतियोगिता से पांच दिन पहले ही वह यहां आ गया था और इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आने वाले बहुत सारे प्रतियोगियों को एक होटल में ठहराया गया था। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी भी उसी की तरह पांच दिन पहले आ गए थे बंगलुरु से भी उसके साथ हैं उस दिन तीन और साथ ही आए थे। राम की मृत्यु में यह बात बताई गई थी कि वह अभ्यास के लिए अपनी मोटरसाइकिल पर अपने साथ बैंगलोर से आने वाले तीन में से दो साथियों के साथ घूमने निकला उसके वे दोनों साथी तो वापस आ गए लेकिन राहुल वापस नहीं आया जब उसको ढूंढा गया तब दो दिन उसकी रेगिस्तान में लाश मिली थी। उसकी लाश को देखकर यह अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता था कि वह एक हत्या का केस भी हो सकता है उस समय पुलिस ने अपनी विवेचना में रेगिस्तान में रास्ता भटकने के बाद भोजन-पानी के अभाव को उसकी मृत्यु होने का कारण मानते हुए इसे एक दुर्घटना मानकर इस केस को बंद कर दिया गया था।


राहुल की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार उसके पेट में बच्चा खाना मिलने की बात लिखी गई थी इसके साथ ही उसकी रीढ़ में चोट लगने की बात कही गई थी। पुलिस के विवेचना अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में उसकी लाश के पास उसकी मोटरसाइकिल खड़ी होने की बात भी लिखी थी। होटल के टेलीफोन से जब उसको कॉल करने का प्रयास किया गया था तो उसका फोन नेटवर्क क्षेत्र के बाहर होने की बात बताई गई थी और इस बात का उल्लेख भी उस रिपोर्ट में किया गया था। उसके साथ बेंगलुरु से आए उसके दोनों ही साथी विक्रांत और सुशांत भी मोटरसाइकिल रेस के प्रतिभागी थे जिन्होंने यह बताया कि हम दोनों भी राहुल के ही साथ- साथ गए थे लेकिन राहुल इनसे आगे निकल गया । ज्यादा दूर निकलने के बाद जब वे आगे पहुंचे तो उन्हें राहुल का पता नहीं लग पाया कि वह किधर गया था? हम लोगों के फोन भी नेटवर्क क्षेत्र के बाहर हो गए थे। हमने अपने स्तर पर उसे ढूंढने का प्रयास किया लेकिन इसमें सफल नहीं हुए और हम लोग थक हारकर होटल पर वापस आ गये।


सुबोध ने धीरज के साथ केस के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार अगर राहुल के पेट में अच्छा खाना था इसका अर्थ हुआ कि भूख और प्यास से मृत्यु नहीं हो सकती जब व्यक्ति के पेट में भोजन है तब तक उसकी मृत्यु संभव नहीं और उसकी रेट में जिस प्रकार से चोट लगी तो उसका खड़ा होना या जिस स्थिति में अगर मोटरसाइकिल पर चलाते समय उसकी लड़ने इसी प्रकार इस प्रकार की चोट लगी तब वह मोटरसाइकिल को इस क्षेत्र में खड़ा नहीं कर सकता था उसका तो खड़ा होना ही संभव नहीं था फिर उसने अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कैसे की अवश्य ही ऐसा कोई व्यक्ति वहां ऐसा रहा होगा जिसने उसकी रीढ़ को नुकसान पहुंचा कर उसके गिर जाने पर उसकी मोटरसाइकिल को केवल पुलिस को धोखा देने के लिए खड़ा कर दी। किसी ने पीछे से उसके ऊपर वार करके रीढ़ को नुकसान पहुंचाया और उसके गिर जाने पर उसकी मोटरसाइकिल को वहीं खड़ा कर दिया। अब इस बात की गहन जांच पड़ताल करनी हो कि राहुल की हत्या किसने और कारण से की?


सुबोध और धीरज इस केस की जांच पड़ताल में फिर से लग गए। इसके लिए उन्होंने बंगलुरु में राहुल के परिजनों उसके साथ में आए मोटरसाइकिल की रेस में भाग लेने वाले तीनों प्रतिभागियों उनके परिवार वालों को और राहुल के अन्य मित्रों से कई बार मुलाकात की।


कई महीने के अथक प्रयासों और विभिन्न लोगों से मुलाकात करके राहुल उसके परिवार में उसकी पत्नी और उसके मित्रों से सघन पूछताछ में यह बात निकलकर आई। राहुल और ज्योति ने प्रेम विवाह किया था । राहुल के पास काफी संपत्ति और बहुत बड़ा बंगला था । राहुल अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता था लेकिन ज्योति राहुल को बहुत अधिक पसंद नहीं करती थी। इस भाग की जानकारी राहुल की मां ने सुबोध और धीरज को दी थी। विवाह के एक साल बाद ही यह स्पष्ट हो गया था कि ज्योति की नजर केवल राहुल की संपत्ति और बंगले पर थी। ज्योति ने विक्रांत को दस लाख रुपए उसकी हत्या के लिए दिए थे। किशन सिंह अभी इसमें सुशांत को भी शामिल कर लिया और अवसर देखने लगे जब जोधपुर में मोटरसाइकिल रेस आयोजन हुआ उन्होंने अपने षड्यंत्र को कार्य रूप दिया मोटरसाइकिल पर राहुल आगे था । काफी आगे निकलने के बाद सुनसान इलाका जहां दूर-दूर तक किसी इंसान या पानी का नामोनिशान नहीं था। दोनों ने राहुल की रीढ़ पर इस तरीके से वार किया कि उसकी रीढ़ पर ऐसी चोट पहुंची कि वहीं गिर गया । इन दोनों ने उसकी मोटरसाइकिल को उसके पास ही खड़ा कर दिया।


राहुल की पत्नी ज्योति और राहुल के साथी विक्रांत और सुशांत ने धीरज और सुमित को भ्रमित करने के लिए कई कहानियां गढ़ीं लेकिन लगातार सुबोध की पूछताछ के जल सूची जारी गिर जाने पर उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।


इसकी जांच पड़ताल पूरी करने के बाद इन तीनों को अदालत में पेश किया गया। जहां इस केस की करवाई प्रारंभ हुई अब देखना यह है कि इन्हें अपने गुनाह का क्या क्या दंड मिलता है? सुबोध की जासूसी की विविध कहानियों में नई कहानी बढ़ गई जो उसके सफल जासूस होने का एक और प्रमाण है। और हमारी यह धारणा कोई भी अपराधी अपराध करते समय इतनी ही सावधानी क्यों नंबर से लेकिन कुछ न कुछ ऐसे सबूत अवश्य सुनते हैं जिनसे अपराधी पकड़ा जाता है और जनमानस की यह अवधारणा की कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं जो अपराधी की गर्दन तक अवश्य पहुंचते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime