Sheel Nigam

Romance

4  

Sheel Nigam

Romance

मिलन

मिलन

1 min
277


"न जाने कौन दफ़ना गया है किसी को यहाँ ?" अपनी कब्र से निकल कर बाहर आई रूह को आश्चर्य हुआ।

"मैं हूँ तुम्हारी हसीना। तुम मुझे हसीना ही तो कह कर पुकारते थे।एक आवाज ने चौंका दिया।

"अरे, तुम कब आईं यहाँ ?"

"आज ही,कुछ देर पहले।आसिफ़, तुम्हारे जाने के बाद अकेली पड़ गयी। बहुत याद सताती थी।बचपन का प्यार था हमारा। कैसे भूलती तुम्हें ?"

"तो फिर क्या हुआ ?"

"तुम्हारी याद में बहुत बीमार पड़ गयी। डाक्टरों ने जवाब दे दिया। जीवन के लक्षण झड़ने लगे, ठीक एक सूखते पेड़ की तरह। धीरे-धीरे मौत पास आ गई।

"पर तुम्हारा धर्म तो यहाँ आने की इजाजत नहीं देता, मौत के बाद।"

"मरने से पहले, भाई को राखी बाँध कर, उसके सामने अपना पल्लू फैला कर यही माँगा कि जीते-जी तो तुम से मिलने नहीं दिया, कम से कम मरने के बाद यहाँ वह मुझे तुम से मिला दे।"

"तो तुम्हारे भाई ने राखी का मान रख लिया।अब हमें कोई जुदा नहीं कर सकता।"

"हाँ, अब इन वीरानी साँझों में नदी के किनारे बैठ कर हम दोनों रूहें अपने अशेष जीवन की रूपरेखा तैयार करेंगी, जहाँ कोई रोक-टोक नहीं। जाति-बंधन और जीवन-मृत्यु की कोई सीमा-रेखा नहीं।बस मिलन ही मिलन।रुह का मिलन।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance