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PRATAP CHAUHAN

Abstract

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PRATAP CHAUHAN

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मेरा परिवार

मेरा परिवार

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मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करके एक सरकारी नौकरी के लिए तैयारी की।बहुत मेहनत की और परीक्षा पास कर ली ।पहली पोस्टिंग मेरी मुंबई में हुई।


मेरी नौकरी के जब 5 वर्ष पूर्ण हुए तो मैंने अपनी प्रेमिका शिल्पी से शादी कर ली। यह एक प्रेम विवाह था जिसकी एक शर्त थी कि जब तक शिल्पी अपनी शिक्षा पूर्ण नहीं कर लेती वह मेरे साथ मुंबई नहीं जाएगी।मैं 1 महीने की छुट्टी बिता कर वापस मुंबई चला गया।हम दोनों एक दूसरे से दूर रहकर तड़पने लगे थे।एक दूसरे के मन की बात जानने के लिए हमें पत्राचार का सहारा लेना पड़ता था।महीने में एक दो बार फोन भी कर लिया करते थे।फोन पर आवाज सुनकर ऐसा लगता जैसे मुलाकात हो गई हो।


 कुछ वर्ष बाद शिल्पी की शिक्षा पूर्ण हुई।मैंने 1 महीने की छुट्टी ली और पहुंच गया अपने घर ।घर पर जब शिल्पी से मुलाकात हुई तो शिल्पी ने कहा कि अब हम साथ-साथ रहेंगे।अब दूरियां बर्दाश्त नहीं होती।छुट्टियां खत्म हुई और हम लग गए गृहस्ती का सामान तैयार करने में, और आखिरकार फिर हम दोनों आ गए मुंबई ।


 मुंबई आकर हम दोनों खूब घूमे।जुहू चौपाटी घूमे।गेटवे ऑफ इंडिया, मेट्रो सिनेमा, कोलाबा मार्केट जैसी जगह बहुत पसंद आई ।संग साथ में जो आनंद मुंबई की सड़कों पर घूमने में हैं।वैसे अन्य किसी शहर में नहीं।बिना किसी बंधन के स्वच्छंद होकर आप मुंबई शहर में घूम सकते हैं ।


 मुंबई में रहते रहते 1 वर्ष बीत गया फिर हमारे घर आई एक नन्ही परी जिसका नाम रखा हमने आंचल। मैं पिता बना शिल्पी मां बनी और बन गया,



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