Priyanka Gupta

Abstract Inspirational

4  

Priyanka Gupta

Abstract Inspirational

मेहनत रंग लायी day-27

मेहनत रंग लायी day-27

3 mins
562


घर में बहुत चहल -पहल थी। मेरे चाचा की शादी होने वाली थी। मुझे भी नए कपड़े मिले थे और बहुत से पकवान भी खाने को मिल रहे थे। दो दिन बाद चाचा के साथ चाची हमारे घर पर आ गयी थी।

गोरी-चिट्टी बड़ी-बड़ी आँखों वाली मेरी चाची के मैं धीरे -धीरे बेहद करीब हो गयी थी। चाची मेरे साथ गुट्टे,पैलदूज आदि खेल खेला करती थी।

फिर एक दिन मेरी माँ ने मुझे बताया कि हमारे घर पर एक नन्हा मेहमान आने वाला है और चाची इस नए नन्हे मेहमान को लेकर आने वाली है। मैं बहुत खुश थी।

एक दिन रात को चाची के ज़ोर-ज़ोर से दर्द से चिल्लाने की आवाज़ आयी। चाची को घर के सबसे आगे वाले कमरे में ले जाया गया। भी २-४ दिन पहले ही मैंने माँ को वह कमरा साफ़ करते हुए देखा था।

अगली सुबह घर के बाहर बहुत से लोग थे। माँ आगे वाले कमरे से अपने आँसू पोंछते हुए बाहर निकली थी। माँ के साथ न तो चाची थी,न ही नन्हा मेहमान। मेरी चाची अत्यधिक रक्तस्नाव के कारण इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी थी।

"माँ ,चाची हमें छोड़कर क्यों चली गयी ?",मैं अक्सर माँ से पूछती थी।

"बेटा ,अगर हमारे गांव में डॉक्टर होता ,हॉस्पिटल होता तो चाची हमें छोड़कर कहीं नहीं जाती । ",माँ साड़ी के एक छोर से आँसू पोंछकर हमेशा यही कहती ।  

मैंने डॉक्टर बनने का निर्णय ले लिए था। स्कूल में पता चला कि ,"डॉक्टर बनने के लिए साइंस बायोलॉजी विषय लेने    पड़ते हैं। " हमारे गांव के स्कूल में साइंस -बायोलॉजी विषय नहीं थे ।  

बड़ी मुश्किल से पापा गांव से 10 किमी दूर स्कूल में भेजने के लिए तैयार हुए। अभी 11वी में प्रवेश ही लिए था कि घरवालों ने शादी की तैयारी शुरू कर दी। मेरे लाख मना करने के बावजूद भी मेरी शादी करवा दी गयी।

किस्मत से पति लिखने -पढ़ने वाले थे। ससुराल वालों की बहुत मिन्नतें की। उन्होंने स्कूल में प्रवेश दिलवा दिया। मुँह अँधेरे उठकर घर का पूरा काम करती ;फिर स्कूल जाती। स्कूल से आकर घर का काम करती। रात को नींद न आये ;इसलिए कभी अपनी ऊँगली काट लेती ;कभी रस्सी से चोटी बाँध लेती। गर्मियों में कमरा बंद करके रखती। बड़ी मुश्किल से 12 वी उत्तीर्ण की। अब मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए पढ़ाई करनी थी। किस्मत से पति को शहर में एक कोचिंग में गार्ड की नौकरी मिल गयी। ससुराल वालों ने मुझे भी साथ भेज दिया। कोचिंग में मुझे भी साफ़-सफाई के काम के लिए रख लिया गया। मैं अब दिन भर कोचिंग में रहती। साफ़ -सफाई करते हुए नोट्स और किताबें भी पढ़ लेती। कभी -कभी आते -जाते क्लास भी सुन लेती। मुझे एक बार नोट्स उलट -पुलट करते एक सर ने देख लिया।

"क्या कर रही थी ?",सर ने पूछा।

"नोट्स पढ़ रही थी । ",मैंने डरते -डरते जवाब दिया ।  

"पढ़कर क्या करेगी ?",सर ने पूछा ।  

"डॉक्टर बनूँगी। ",मैंने धीरे से कहा।

सर ने मुझे क्लास में बैठने की अनुमति दिलवा दी। साफ़ -सफाई का काम करते हुए, मैं कभी पीरियाडिक टेबल रटती ;कभी केमिकल्स के सूत्र ;कभी मानव के शरीर की संरचना। उठते -बैठते मेरे दिमाग में भौतिक विज्ञान ,रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान ही घूमते। मेरी मेहनत रंग लायी और दूसरे प्रयास में मैं मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास कर गयी। 5 साल की कड़ी मेहनत और तपस्या के बाद मैं डॉक्टर बन ही गयी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract