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Uma Vaishnav

Romance

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Uma Vaishnav

Romance

मैं तुझ में जिंदा हूँ

मैं तुझ में जिंदा हूँ

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रविवार की सुबह अजय आज फिर पुरानी यादों को कुरेद रहा था। आखीर वह पुरानी डायरी हाथ लग ही गई। जिस में परी का वो आखरी खत था। अजय ने उस खत को जैसे ही अपने सिने से लगा कर आंखें बन्द की तो वो सब धूंधली यादें एक चलचित्र के तरह सामने आ गई।


जैसे कल की ही बात हो। परी... जैसा नाम उतनी ही खुबसूरत थी वो। पूरे कॉलेज के लड़को के दिल की धड़कन थी वो... पर परी के दिल की धड़कन तो एक ही लड़का था, वो था अजय।


अजय भी हर लड़की के दिल की धड़कन था। पर परी और अजय का दिल तो एक-दूसरे के लिए ही धड़कता था। और ये बात कॉलेज में हर कोई जानता था।


उस दिन कॉलेज का आखरी दिन था।


हर किसी का कुछ न कुछ बनने का सपना था। अजय का भी सपना था। कि वह एक हिरो बने पर परी, उस का तो बस एक ही सपना था कि वह अजय से शादी कर एक अच्छी हाउस वाइफ बनें।


उस दिन परी अपने परिवार के साथ किसी रिश्तेदार की शादी में शहर से बाहर जा रही थी। इसलिए वह उस दिन अजय से मिलने आई थी।


परी : फिक्र मत करो। जल्दी ही आ जाऊँगी... ओके बाय... मिस यू सो मच।


अजय : मिस यू टू... परी...


इतना कह कर दोनो अलग-अलग रास्तो पर निकल पडे। उन दिनों मोबाइल वगैहरा नहीं होते थे। सिर्फ लेंड लाइन से बात होती थी। पर जहाँ परी जा रही थी। वहा लेंड लाइन भी नहीं थी। परी के लिए वो चार-पाँच दिन पहाड़ की तरह गुजरे।


परी वापस अपने शहर लौटते ही सब से पहले अजय से मिलने के लिए निकल पडी। वही जहाँ अन्तिम बार मिले थे। और हमेशा वही मिलते थे। बहुत इन्तज़ार करने पर जब अजय नहीं आया। तो परी बहुत उदास हो गई।


तभी अजय का एक दोस्त वहा आया।


उस ने परी को बताया के अजय को एक फिल्म के ऑडीशन के लिए मुम्बई बुलाया गया है। परी ये सुन कर खुश हो गई। वह मन ही मन सोचने लगी। आखिर उसका और अजय का सपना सच होने जा रहा हैं।


दिन से सप्ताह और सप्ताह से महिने बीत गए। पर अजय की कोई खबर नहीं आई। अब तो अजय की फिल्म भी रिलीज़ हो चुकी थी। और वो फिल्म भी काफी हीट हुई। अब अजय को सब अजय कुमार के नाम से जानने लगे थे। अब परी के लिए इन्तज़ार करना मुश्किल हो गया था। उस ने तुरन्त फैसला किया कि वह अब अजय से मिलने मुम्बई जाएगी। परी के परिवार वालो ने उसे बहुत समझाया के अब तो अजय तुम्हे भूल भी गया होगा। तुम्हे पहचानेगा भी नहीं... तुम्हें वहां नहीं जाना चाहीए। पर परी कहा मानने वाली थी। उसे अपने प्यार पर विश्वास था। उसे यकिन था कि अजय उसे कभी भूल ही नहीं सकता हैं। परी तो अजय के दिल की धड़कन हैं। वह उसके दिल में धड़कती हैं। इसी विश्वास के साथ परी अजय से मिलने मुम्बई पहुँच जाती हैं।


काफी महीने गुजर गये थे अजय से मिले। ऐसा अजय से मिलने के बाद पहली बार हुआ था। बहुत सारे सवाल थे परी के मन में... पता नहीं अब अजय मुझे पहचानेगा या नहीं??? मुझे याद करता होगा या नहीं?? बस ऐसे ही सवालों में उलझी थी। तभी ऑटोवाले ने कहा : मैमसाहब! आप की मज़िल आ गई।


परी : धन्यवाद भाई।


ऑटोवाले को पैसे देकर वह अजय के बंगले की तरफ बढ गई।


वहां बहुत लोगों की भीड़ लगी थी। वे सब अजय के फेन्स थे। परी का अजय से मिलना मुश्किल लग रहा था। वह किसी तरह भीड़ को पार कर के गेट तक पहुँची। तभी वॉचमैन ने उसे वही रोक लिया।


परी : मुझे एक बार अजय से मिलना हैं... उसे जा कर बताओ के उसकी परी उससे मिलने आई हैं।


वॉचमैन : (झूझला के) क्यों परेशान कर रही हो.....चलो जाओ यहाँ से़.....तुम जैसी कई परीयाँ यहाँ आती-जाती रहती हैं....सभी को साहब से मिलना होता हैं......अब हर किसी से तो साहब मिलेगे नहीं....तुम जाओ यहाँ से...।


परी : पर मै हर कोई नहीं हूँ.. एक बार मिलने तो दो....सब पता चल जाएगा।


तभी अजय की बडी़ सी गाड़ी बंगले की तरफ आती हैं सब भीड़ उस के पीछे-पीछे दौड़ती हैं.. पर परी वहीं बंगले के गेट के पास खड़ी-खड़ी...हाथों से इशारा करती हैं, अजय उसे देख कर भी अनदेखा कर देता हैं बंगले के अन्दर जा के गाड़ी

से नीचे उतर के अजय भीड़ की तरफ हाथ उठा कर हवा में हिलाता हैं.....तभी उसकी नज़र परी पर पड़ जाती हैं....परी की आँखें खुशी से झूम जाती हैं, और मानो अजय से ये कह रही हो कि मैं तुम्हारी परी।


पर अजय परी को अनदेखा कर, अंदर चला जाता हैं, अजय के बदले व्यवहार को देख परी को बहुत दुख होता हैं उसका शरीर एक स्तम्भ की तरह स्थिर हो जाता हैं और वह भीड़ से अलग हो कर...एक दिवार के सहारे खडी हो जाती है आंखों से आंसूओं का सैलाब निकल आता हैं वो पुरानी याद आंखों के सामने ताजा हो आई...जब अजय ये कहते नहीं थकता था कि परी तुम तो मेरे दिल की धड़कन हो.....अब पता नहीं क्यूं बदल गयेे हो अजय?? वह यह सब सोच ही रही। तभी एक एम्बूलेंस अजय के बंगले की तरफ आती हैं और भीड़ को हटाती हुई बंगले के अंदर जाती हैं, भीड़ में खल-बली मच जाती है, कुछ लोग कह रहे थे कि अजय ठीक नहीं.... और कुछ उससे बीमारी होने की बात कह रहे थी। एम्बूलेंस को वापस जाते देख परी एक दम घबरा जाती हैं वह सीधी वॉचमैन के पास जाकर पूछती हैं...


परी : इस एम्बूलेंस में कौन गया हैं?? क्या हुआ है? सब ठीक हैं ना.....अजय (हडबडा के) अजय......तो ठीक हैं ना?


वॉचमैन सर झुकाय खड़ा था उस की आंखों में नमी थी।


परी : (रोते हुए) तुम जवाब क्यूं नहीं देते।


परी के बार बार पूछने पर वॉचमैन रोते हुए....परी के सामने हाथ जोड़ते हुए कहता हैं..


वॉचमैन : मुझे माफ कर दो मैम साहब.... मैंने तो वही किया जो अजय साहब ने कहा था।


परी : क्या कहा था अजय ने??


वॉचमैन : आप अंदर चलीये सब बताता हुँ।


वॉचमैन परी को सीधे अजय के रूम में ले जाता है। उस कमरे में हर जगह परी की ही फोटो लगी थी........


वॉचमैन : यहां हर कोई आपको अच्छे से जानता हैं, अजय साहब का ऐसा कोई दिन नहीं गया...... जिस दिन उन्होंने आपको याद नहीं किया हो। मुझे आज भी याद हैं उस दिन साहब बहुत खुश थे, जब उनकी पहली फिल्म रीलीज हुई थी। साहब अपना सारा काम निपटा कर आपसे मिलने के लिए निकल ही रहे थे कि अचानक उनके सीने में जोरो से दर्द होने लगा। उनको तुरन्त डॉक्टर के पास ले जाया गया।


डॉक्टर ने बताया के उनके दिल मे प्रोब्लम हैं अगर जल्दी ही उनका दिल न बदला गया तो उनका बच पाना मुश्किल हैं कई अस्पतालों में पता लगाया....पर कही कोई हार्ट ट्रांसफर की बात सामने नहीं आई।


तभी उन्होने लगा कि अब वह नहीं बच पायेगें। इसलिए उन्होने फैसला कर लिया था कि वह यह बात आपको कभी नहीं बतायेंगें।


वह नहीं चाहते थे कि आप अपनी बाकी की जिन्दगी अकेले बीताए।


इसलिएही साहब ने सबको यह कह रखा था कि अगर आप कभी भी उनसे मिलने आये तो आपको ऐसा ही लगना चाहीए कि साहब आपको भूल गये हैं। जिससे आप उनसे नाराज होकर अपनी जिन्दगी में आगे बढ़ जाए।


इतना सुनते ही परी तुरन्त अस्पताल पहुँच जाती हैं, वह डॉक्टर को यह कहते सुन लेती हैं के अगर अगले 24 घण्टे में अगर अजय का हार्ट ट्रांसफर नही किया गया तो वो नही बच पाएगा।


इतना सुनते ही परी अजय को देखने उस के रूम में जाती हैं और जी भर कर अजय को देखती हैं उस की आंखों से आंसु निकल ना बंद ही नही होते।


कुछ देर बाद परी अस्पताल की छत से कूद जाती हैं उसके हाथ में वो आखरी खत था, जिसमे लिखा था :


डीयर अजय,

तुमने ऐसा सोचा भी कैसे के परी तुम्हारे बीना जी सकती हैं मेरी मौत तो उसी दिन हो गई थी जिस दिन तुमने ऐसा सोचा

अब तो बस अर्थी उठनी बाकी हैं।


पर मैं मर कर भी तुम में जिन्दा रहना चाहती हूँ। इसलिए चाहती हूँ कि मेरा दिल तुम्हें दे दिया जाए। जिससे मैं मर कर भी तुम में जिन्दा रहूँ।


तुम्हारी परी


उस पत्र को सीने से लगाते ही सारी पुरानी यादें ताजा हो गई। अजय की आंखें परी को याद कर के नम हो जाती हैं, तभी उसकी आंखों के सामने परी की छँवी नज़र आती हैं, ऐसा लग रहा था कि उससे कह रही हो कि क्यू रो रहे हो, "मैं तो तुम्हारे दिल में जिन्दा हूँ।"


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