समय यात्रा भाग - 4
समय यात्रा भाग - 4


सुप्रिया कुछ समझ नहीं पाती है।कि अखिर हो क्या रहा है। वो उन लोगों को देख बहुत घबरा जाती हैं, और घबरा कर बोलती है ..
सुप्रिया... "मैं,. मैं. लाची नहीं हूँ.. मैं सुप्रिया हूँ.. मुझे नहीं पता मैं यहाँ कैसे आई हूँ.... मैं एक किताब पढ़ रही थी... जैसे ही मैंने पढ़ाना चालू किया.... मैं यहां पहुंच गई... और फिर आप लोगों को देखा... आप सब का पीछा करते करते यहाँ पहुँच... फिर आप सब की बाते भी सुनी...."
तभी दूसरा आदमी बोला... "ओ.. अच्छा तभी मुझे लग रहा था कि कोई हमारा पीछा कर रहा है... मैंने इन सब से कहा भी था... लेकिन किसीने मेरी बात नहीं मानी.."
"भीखूँ... अरे लाची... वो सब ठीक है.....यहाँ आई तो अच्छा ही किया लेकिन तू डर मत... इन लोगों को सब सच सच बता की तू भी मुझ से प्रेम करती है.. और हम विवाह करना चाहते हैं......तू बोलती क्यूँ नहीं..... अब किस बात का डर... अब तो सब जान ही चुके हैं।"
"सुप्रिया....... अरे.. मैंने कहा ना... मैं लाची नहीं.. सुप्रिया हूँ.. मैं सुप्रिया हूँ।"
तभी वह वृद्ध बोलता है... "अरे बेटी.. ऎसी बाते मत कर.. लोग पागल समझगें तुझे..... कही तू जानबूझ कर.. भीखूँ से विवाह करने के लिए तो.......पागल बनाने की कोशिश तो नहीं कर रही है.. ना... तू बता मुझे.. अगर तुझे भीखूँ ही पसंद है, तो हम तेरी शादी... भीखूँ से ही... करवायेगें... "
सुप्रिया..... "अरे.. आप समझते क्यूँ नहीं है,... मैं सुप्रिया हूँ, मेरे ख्याल से मैं भविष्य से यहां आई हूँ। अब मैं कैसे समझाऊ आप सब को....मैं वो नहीं जो आप समझ रहे हैं, अगर यकीन नहीं होता.. तो वहाँ चलिये.. जहाँ आप अपनी लाची को छोड़ आये हैं।"
तभी भीखूँ कहता है... "हाँ.. हाँ.... ठीक है.. चलों.. अभी दोनों कबीलों की सभा भी बुला लेते हैं... अभी सब साफ हो जाएगा।"
सभी एक साथ कहते हैं... "हाँ.. हाँ.... यही ठीक रहेगा... सब चलो और इस लाची और भीखूँ को बंधक बना लो... अब दोनों कबिले के सरदार मिल ही इन दोनों का न्याय करेगे ।"
तभी उन में से एक व्यक्ति आगे बढ़ कर भीखूँ को बंधक बना लेता है, और फिर सुप्रिया को बंधक बनाने के लिए आगे बढ़ता हैं। सुप्रिया पीछे की तरफ दौड़ जाती हैं, तभी उनका सरदार वो बूढ़ा व्यक्ति कहता है कि..... पकडों उस लड़की को.... सब सुप्रिया के पीछे पीछे दौड़ते हैं.. आखिर कर थोड़ी देर भागने के बाद सुप्रिया.. थक कर जमीन पर गिर जाती है, तभी... भीखूँ.. भी बंधन छुड़ा.... सुप्रिया के पास पहुंच जाता हैं और उसे उठाने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है... तभी वहां बहुत जोर की हवाएँ चलने लगती है, चारो और अंधेरा छा जाता है, बहुत भयंकर आवाजें आने लगती है, सब बहुत डर जाते हैं..... ऎसा लग रहा था जैसे कोई भूचाल आ गया हो।किसी को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था सब डर के मारे चीला.. रहे थे।इतने में कुछ ही देर में वहां सब कुछ सामान्य हो जाता है.... सब हैरान हो जाते हैं, कि आखिर ये सब हुआ क्या था.. तभी भीखूँ की नज़र... सुप्रिया की और जाती है.....
कहानी जारी रहेगी