गोद लिया
गोद लिया


मालिनी और अनुज की शादी को 7 साल हो गये। लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। मालिनी बहुत उदास रहने लगी थी। वैसे तो अनुज मालिनी से बहुत प्यार करता था लेकिन उसकी सास कभी कभार ताने कसती थी। जिससे मालिनी बहुत उदास हो जाती थी।
एक दिन आखिर मालिनी फैसला कर लेती है, वो अनुज से कहती हैं।
मालिनी:--- अनुज,। तुम दूसरी शादी कर लो।
अनुज मालिनी की बातों को मजाक में उड़ाते हुए कहता है।
अनुज:--हाँ। हाँ। कर लूंगा। दूसरी क्या। तीसरी भी कर लूँगा।ok अब तो खुश।
मालिनी:-- अनुज। मैं। मजाक नहीं कर रही।अब मुझ से और ताने नहीं सहे जाते हैं, और माजी ठीक ही तो कहती हैं। मैंने आखिर तुम्हें दिया ही क्या है?
अनुज:-- और यही बात मैं कहूँ तो। मैंने तुमको दिया ही क्या है। हो सकता है कमी मुझमें हो। तुम में नहीं।
चलो कल हम डॉक्टर के पास चलते हैं, और पता चल जायेगा। कमी किस में हैं,। मालिनी। याद हैं तुम्हें। लास्ट टाइम हम डॉक्टर के पास गये थे। तभी मुझे डॉक्टर ने कहा था कि कमी तुम में नहीं मुझ में हैं।
अनुज की माँ उन दोनों की बात सुन लेती है, और मन ही मन बहुत पश्चाति है।
माजी :-- बेटी,। मुझे माफ करदे। मैं बहुत स्वार्थी हो गई थी। मैंने तुम्हारे दर्द को समझा ही नहीं।
मालिनी :-- अरे। माजी। ये आप क्या कह रही है, आपने जो कहा। वो ठीक था। आखिर आप भी एक माँ हैं। आप अपने बेटे का भला ही चाहती है। ना
तबी अनुज भी वहाँ आ जाता है, और कहता है।
अनुज :-- माँ। हमारी कोई औलाद। नहीं तो। क्या। हम किसी अनाथ को तो गोद ले सकते हैं, किसी अनाथ को घर मिल जायेगा और हमें भी माता - पिता होने का सुख।
माँ और मालिनी को अनुज की बात बहुत भा जाती है, दोनों बहुत खुश हो जाते हैं, और दूसरे दिन ही बच्चा गोद लेने की सोचते हैं।
अनुज एक अनाथ आश्रम से बच्चे को गोद लेने के लिए बात करता है, जल्दी ही सारी करवाही पूरी कर। एक 12 माह की प्यारी सी बच्ची को गोद ले लेते हैं। दूसरे दिन उस के नामकरण का कार्यक्रम रखते हैं।
मालिनी बहुत खुस हो जाती है अपनी पूरी ममता उस बच्ची पर लुटा देती है, अनुज भी बहुत खुश हो जाता है दोनों को जैसे दुनिया की खुशी मिल गई हो।