विष्णु.. नन्हा देश भक्त
विष्णु.. नन्हा देश भक्त


आज पुरानी संदूक साफ करते समय वो पुरानी एल्बम हाथ लग गई। उस में अतीत की कई रमणीय स्मृतियाँ कैद हैं, एल्बम खोलते ही 25 साल पुराना वो फोटो सामने आ गया। जिससे देख मेरा मस्तिष्क अतीत के स्मृति समुन्द्र में डूब गया।
एल्बम की ये फोटो लगभग 25 साल पुरानी थी। उस समय मेरी उम्र लगभग 16 या 17 साल की रही होगी। 15 अगस्त का दिन था। मैंने देश - भक्ति पर आधारित एक नाटक में अभिनय किया था। उस नाटक में मेरे साथ और भी कक्षा के छात्र थे। उन में से एक बच्चा चौथी कक्षा का भी था। उसका नाम विष्णु था। हम सब उसे विशु कह कर बुलाते थे। वो पढ़ने में बहुत तेज था। उस की स्मरण शक्ति भी बहुत तेज थी और आवाज बहुत ही मधुर और हृदय को प्रफुल्लित कर देने वाली थी।इसलिए सब उसको बहुत पसंद करते थे।
मुझे आज भी याद है कि उस दिन 15 अगस्त के आयोजन के बाद जब सब लोगों चले गये थे। तब वो रुका हुआ था। मैं उससे पूछा, "आपको कोई लेने आने वाला है?".. उसने कहा कहा, "नहीं मेरा घर तो स्कूल के सामने ही है, मैं खुद ही चला जाता हूँ".. तब मैंने उससे पूछा, "तो तुम क्यूँ रुके हुए हो ?अभी तक घर नहीं गये.,... सभी तो जा चुके हैं, तब उसने अपनी तुतलाती आवाज में कोमल भाव से इतनी बड़ी बात कही कि जिसेने मेरे ह्रदय को छू लिया। उसने कहा, "दीदी..मैं सब के जाने के बाद ही जाऊँगा,...वो देखों ना... कुछ बच्चें ने झंडा फट जाने पर, झंडे को कैसे सड़क पर फैक दिया.. वो लोग स्कूल से 15 अगस्त पर मिलने वाला लड्डू तो खा लेते हैं,लेकिन झंडा यही फैक जाते हैं ... मैं उन सब झंडों को शामिल कर एक गड्ढ़े में डाल दूँगा।" उसकी बात दिल को छू गई। इतनी कम उम्र में कितनी बड़ी बात कह दी। फिर मैंने उससे कहा.. "अच्छा,.. ये तो बहुत अच्छी बात है,.. चलो हम दोनों मिल कर ये काम करते हैं" और हम दोनों ने सभी झंडों को एक गड्ढे में डाल दिया। और सलामी दी।.. जय हिंद