बागबां
बागबां


सुमन की सिसकियां कम ना हुईं। उस हादसे के बाद जाने उसकी जीवन बगिया ही उजड़ गई थी। कार - दुर्घटना ने सुमन के कोख में पल रहे 8 मासी बच्चे को ही नहीं छीना अपितु उससे हमेशा के लिए माँ बनने का सुख भी छीन लिया।
सुमन का दुख उसके पति निखिल से देखा नहीं गया। आज 5 वर्ष बाद आखिर निखिल ने उस अनाथ बच्ची को गोद ले ने का फैसला कर ही लिया।निखिल सुमन को अनाथ आश्रम ले आया। दोनों ने उस सभी जरूरी कागज पर हस्ताक्षर किये।
आश्रम की बहन ने उस बच्ची को सुमन की गोद में सुलाया। सुमन उस बच्ची के स्पर्श मात्र से अपना सारा दुख भूल गई और उसे सीने से लगा लिया सुमन की उजड़ी जिन्दगी फिर से हरे - भरे बाग के बागबां सी हो गई।