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Abhishek Misra

Abstract

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Abhishek Misra

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मैं शेर पैदा करना चाहता हूँ

मैं शेर पैदा करना चाहता हूँ

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मैं शेर पैदा करना चाहता हूँ 

वो सुन्दरवन का धारीदार शेर

जिसके चलने से हवा चले ,जो रुके

तो पृथ्वी थम जाए। 

असल में मुझे बाघ कहना चाहिए।

देखिये न यहाँ भी गड़बड़ हो गयी।

मैं बाघ की आँखों में कुछ चीर डालने

की ललक देखता हूँ।

एक जज़्बा जो खिलवाड़ और जोखिम

के बीच में है कहीं।

एक रवानी मौत को मात दे जाए।

पर गड़बड़ हो जाती है।

मेरा शेर माफ़ कीजियेगा बाघ

कुछ लुजलुजा सा टेढ़ी मेढ़ी पीठ

और धारियों वाला ही बन पाता है और मैं उस बाघ की कल्पना

करता रहता हूँ जो वन विभाग की किताबों में छपा मिल जाता है। 

 


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