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Abhishek Misra

Abstract

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Abhishek Misra

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गुफ़ा मानव

गुफ़ा मानव

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एक गुफ़ा को ढूंढ कर शिवामित्र रोने लगा। गुफ़ा की दीवार से सट कर वो रो पड़ा।  उसने उस गुफ़ा में एक चिड़िया का मानव के शरीर से निकल जाना देखा। उस मानव का एक जानवर शिकार कर रहा था। मृत्यु के बाद क्या रूह चिड़िया बन जाती है ? 

वहीं उसने कई हाथों के चिन्ह पाए एक के ऊपर एक उकेरे हुए। लगता है ये आदिम प्रेमी -प्रेमिकाओं के चिन्ह रहे होंगे जो यहाँ सहवास में होंगे।  

उसने पैरों के दो चिन्ह पाए जो देख के लगता था एक पैर का चिन्ह किसी भेड़िये का और दूसरा किसी छोटे बालक का। क्या दोनों साथ रहते होंगे ?

गुफ़ा की दीवारों पर कुछ मूर्तियाँ भी उकेरी गयी थीं। घोड़ों के झुण्ड, गैंडों की लड़ाई, आधी स्त्री आधी चीता। ऐसा शिल्प शिवामित्र ने कभी नहीं देखा था।उसे एक पल में आभास हो गया की ऐसे शिल्प, ऐसे चित्रों की रचना सिखाई नहीं जा सकती। ये अद्वितीय है। और उसके आँसू नहीं रुके। 

जब उसे फिर से संसार का ख्याल आया, तो वो हँस पड़ा।  



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