बुत परस्ती
बुत परस्ती
एक आदमी पेड़ पर चढ़कर बोला "मुझे औरत चाहिए।" नीचे खड़े तमाम लोग सीढ़ी लगाकर उसे उतारने जाते, तो वो पत्थर मारता। तब ऐसा ही चलता रहा और रात होने लगी। फिर एक बौनी नन को बुलाया गया। वो सीढ़ी पे चढ़कर ऊपर पहुँची और उस आदमी को झड़पा - "नीचे उतर।"
वो लम्बी लम्बी टाँगों वाला आदमी नीचे उतर आया।
वहाँ उस छोटे से शहर के बीचोंबीच उस तानाशाह की मूर्ति बनाई जा रही थी। एक पियक्कड़ ने जाके उस मूर्ति पर मूत दिया। एक काला कुत्ता जो उसके पीछे पीछे चल रहा था -उसने भी उस मूर्ति पर मूत दिया। सब लोग उस तानाशाह की मूर्ति के सामने जय जयकार कर रहे थे।
कुछ लड़के वहीं खड़े कह रहे थे - "ओ तानाशाह --हमें लड़कियाँ चाहिए।"
एक औरत जो २५-२६ साल की होगी -उसे मैन-ईटर कहते हैं, वहाँ पहुँची, तो लोग मूर्ति को छोड़ उस लड़की की ओर भागे, उसे उठा लिया और उसकी जय जयकार करने लगे। मूर्ति का ठेकेदार भी भागा और ये देखो मूर्ति गिरी जा रही है।
