Vandana Purohit

Classics Inspirational Thriller

4  

Vandana Purohit

Classics Inspirational Thriller

मानसून तफ़री

मानसून तफ़री

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15 वर्षीय मनु और उसकी दादी को बारिश बहुत पसंद थी। जब भी बारिश होती दोनों घर के चौक को धोने के बहाने बारिश में नहा लेते। उस दिन जन्माष्टमी की धूम चारों और मची थी घर-घर जन्माष्टमी की सजावट थी। मनु के घर किसी कारण से जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती थी सो दादी के साथ जीद्द कर के बारिश के मजे लेने मोहल्ले व पास की कॉलोनी में रहने वाले संबंधियों के यहां भी जन्माष्टमी की झांकी देखने चली गई।जन्माष्टमी पर हमेशा बारिश होती है तो इस बार भी रिमझिम बारिश में दोनों को घूमने का बहुत मजा आ रहा था लेकिन जैसे ही कॉलोनी पहुंचे बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया बिजली की गड़गड़ाहट कलेजा चिर रही थी।

थोड़ी देर तो वहां जन्माष्टमी की सजावट देखने में निकल गया लेकिन जैसे ही मनु और दादी वहां से निकलने लगी तो देखा सड़क पर घुटने तक पानी भरा था और बारिश भी बहुत तेज थी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।मनु तो देखते ही घबरा गई और दादी के घुटने तो वैसे ही जवाब दे रहे थे पानी और बारिश को देखकर तो दादी भी घर जाने के नाम पर तौबा करने लगी लेकिन मनु को तो अब किसी भी हाल में घर जाना था। दादी ने समझाया तो भी रो-रोकर अपने मम्मी-पापा को याद करने लगी। पापा भी कैसे लेने आते उन्हें तो दोनों ने बताया भी नहीं कि कहां जा रहे हैं। उधर मम्मी-पापा दोनों ही परेशान हो चिंता में छाता लेकर मोहल्ले में घर-घर पूछ रहे थे लेकिन उनका कुछ पता ना चला।

थक हार घर पर ही उनका इंतजार करने लगे। उस समय मोबाइल फोन भी नहीं थे और लैंडलाइन सभी के यहां पर नहीं होते थे। अब मनु को भी घर याद आ रहा था दोनों के कपड़े पहले ही बारिश में भीग चुके थे कोई साधन भी ना था जिससे दादी और मनु घर आ सके।

जैसे-तैसे बारिश कम हुई और सड़क का पानी भी कम हुआ तो दोनों घर के लिए निकल पड़े। सड़क भी पानी के कारण कीचड़ से भरी पड़ी थी। दादी का हाथ पकड़ कभी दादी और कभी खुद को संभालती मनु दादी के साथ घर पहुंची तो पापा-मम्मी ने मनु को जिद्द करने के लिए बहुत डांटा। दादी को भी पोती की फरमाइश पूरी करने के चक्कर में बहुत तकलीफ झेलनी पड़ी। दोनों को 3 दिन तक तेज बुखार रहा दादी और मनु को मानसून की बारिश में तफ़री आज बहुत भारी पड़ी। दोनों ने तौबा कर ली अब बारिश में घर से बाहर नहीं जाएंगे। दादी तो अब दुनिया में नहीं रही लेकिन मनु आज भी दादी के साथ जन्माष्टमी की मानसून तफ़री को याद करके बारिश से तौबा कर लेती है।


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