Vandana Purohit

Others

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Vandana Purohit

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यादगार करवाचौथ

यादगार करवाचौथ

4 mins
280


 सुनीति अपने पति राकेश को खाना खिलाते हुए हमेशा की तरह बड़ी उत्सुकता से पूछती "आज काहे का डेकोरेशन करके आए हो।" राकेश जल्दी-जल्दी खाना खाते हुए" बेबी शावर "

सुनीती "अरे वाह!" जब भी राकेश के डेकोरेशन का एल्बम देखती तो उसे महिलाओं के विशेष प्रोग्राम का डेकोरेशन देख बहुत खुशी होती सोचती वो महिलायें कितनी खुशनसीब है जिनके लिए स्पेशल प्रोग्राम इतनी तैयारी के साथ होता है।कभी-कभी तो राकेश को कहती "मुझे भी कभी साथ लेकर जाओ मैं भी देखूँगी।" राकेश अपनी दमदार आवाज में कहता "वहाँ तुम्हारा क्या काम।" सुनीता मुँह लटका कर बैठ जाती एक दिन राकेश को फ्लावर डेकोरेशन करना था तो फूल वाली चमेली की दुकान गया और उससे ऑर्डर के अनुसार फूल व फूल मालाये पैक करने को अपनी रौबदार आवाज में कहा चमेली हमेशा की तरह मुस्कुराती हुई ऑर्डर पैक करने लगी। आज वह भी पूछ बैठी "साहब कौन से प्रोग्राम का डेकोरेशन है?" राकेश" करवा चौथ" 

चमेली" आप सभी त्यौहार बड़ी साज सज्जा से मनाते हो।" राकेश" भाई आर्डर है। लोगों के लिए काम करता हूँ।"

 चमेली उसके तनाव भरी आवाज से चुप हो गई और ऑर्डर पैक कर उसे पकड़ा दिया। राकेश थैला उठाकर अपनी मोटरसाइकिल पर टांग रहा था तभी चमेली दौड़ कर पास आयी और एक थैली पकड़ायी। उसने आश्चर्य से पूछा" यह क्या?"

 चमेली "साहब, मेम साहब के लिए ।" राकेश ने अपने बैग में रख ली और डेकोरेशन के लिए निकल पड़ा। वहाँ पहुंचा और अपने स्टाफ के साथ डेकोरेशन में लग गया। शाम 6:00 बजे तक पूरा डेकोरेशन तैयार था पूजा करने वाली महिलाएं अपने पति के साथ आयी हुई थी। सभी महिलाएं सोलह सिंगार कर सजी थी। उनके चेहरे भी खुशी से चमक रहे थे वहां का माहौल डेकोरेशन से और भी खूबसूरत लग रहा था। पूजा कर चाँद के इंतजार में महिलाओं के चेहरे देखने लायक थे। चाँद बादलों की ओट में जा चुका था जैसे उनके प्रेम की परीक्षा ले रहा हो। आखिर चाँद निकल आया सभी का इंतजार पूरा हुआ । सभी के लिए स्टाफ ने खाने की टेबल सजाई और जोड़े से बैठाया गया सभी पत्नियों ने अपनी-अपनी पत्नियों को पहले पानी फिर मिठाई खिलाकर व्रत पूरा करवाया उनमें महिलाओं के चेहरे पर व्रत पूर्ण कर सकून दिखाई दे रहा था। सभी हंसी ठहाका करते हुए अपने अपने घर को चल दिए। राकेश व स्टाफ भी अपना शेष कार्य पूर्ण कर घर को चल दिए घर पहुंचा तो देखा सजी सँवरी सुनीति पूजा कर थाली लिए राकेश के इंतजार में बैठी थी। राकेश के आते ही उसका चेहरा खिल उठा चाँद के अर्ग का लोटा लिए दौड़ कर राकेश के पास गयी "राकेश बहुत प्यास लगी है ।पानी पिला दो ना।" राकेश ने घड़ी देखी रात के 1:00 बज गए थे और अपने आप को अपराधी सा महसूस कर हल्के से मुस्करा कर पहले सुनीति को पानी पिलाया फिर अपना बैग लेकर चमेली की दी हुई थैली निकाली और उसमें से फूलों का गजरा लेकर अपनी सुनीति के बालों में सजाने लगा सुनीति का चेहरा खिल उठा। प्रेम से राकेश को निहारती हुई उसकी बाहों में सिमटती सुनिति बोली "तुम हमारा कितना ख्याल रखते हो। इतना काम होने के बाद भी तुम हमारे लिए गजरा लेकर आये।" राकेश मन ही मन चमेली को धन्यवाद कर रहा था कि आज चमेली के कारण उसकी पत्नी की करवाचौथ यादगार बन गयी। तभी राकेश ने कहा "भूख नहीं लगी क्या? चलो, आज दोनों साथ खाना खाते हैं।"

" तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए खाना लगाता हूँ। "सुनीति राकेश के इस बदलाव कोअचरज से देखती रह गयी। राकेश ने खाना लगाया ।

 पहला कौर सुनीति को खिलाया और उसके चेहरे को निहारते हुए बोला "तुम्हें पूरा दिन भूखे रहने में कितनी तकलीफ होती होगी।"

सुनीति खाना खाते हुए बोली "नहीं, बिल्कुल भी नहीं। तुम नहीं समझोगे।"

राकेश की इस चिंता ने उसे और भी अभिभूत कर दिया।दोनों खाना खाकर कमरे में आ गए।

 सुनीति आज अर्से बाद अपने स्पेशल फिलिंग के स्वप्न को महसूस कर राकेश की बाहों में खो गयी।राकेश उसे निहारता हुआ सोच रहा था मेरी सुनीति तो छोटी छोटी बात में ही खुशी ढूंढ लेती है मैं सच में कितना खुशनसीब हूँ ।सोचते सोचते सुनीती के बाल सहलाते हुए न जाने कब दोनों मीठे सपनों में खो गये।


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