बहू का दर्द
बहू का दर्द
जाने क्यों आज अपने बेटे प्रतीक का पक्ष ले रही सीमा को मन ही मन दुख हो रहा था अपनी बहु तारा के लिए। क्योंकी वो गलत का साथ दे रही थी। ऐसे पति के साथ कोई रह भी कैसे सकता है।
बस सीमा तो अपने बेटे कि उजड़ती गृहस्थी को नहीं देख पा रही थी इसलिए अपने बेटे की गलतियों पर पर्दा डाल रही थी।
बहु तारा ने जब सीमा के पांव पकड़ सही का पक्ष लेने को कहा तो सीमा की रुलाई फूट पड़ी और बोली _"बेटा समय रहते अगर मैं इस बेटे का पक्ष न लेती तो आज ये दिन न देखना पड़ता। मुझे माफ कर दो। "
तारा ने सीमा को गले लगा लिया बोली_"आप अब सही हो माँ। मेरा पक्ष ले आपने मुझे बहु से बेटी बना लिया लेकिन इन हालातों में प्रतीक के साथ रहना मुमकिन नहीं। अब छोटू पर भी इन परिस्थितियों का असर होता है। वो मुझसे अपने पापा के बारे में जो सवाल पूछता है उनका में क्या जवाब दूं?"
सीमा निरूतर थी उससे भी कभी कभी सहमा सा छोटू अपने पापा के व्यवहार पर सवाल करता लेकिन उसके पास कोई जवाब न होता। नशे में प्रतीक के बहकते कदम और उसकी नशे में बोली जाने वाली गाली गलौज करना साथ ही तारा को मारना। ये सब दिन प्रतिदिन असहनिय होता जा रहा था फिर छोटू तो बच्चा था।
सीमा को अब अपने बरसों पहले की गलती का अहसास हो रहा था। प्रतीक जब 20 वर्ष का होगा तब एक बार अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर आया तब उसके पापा ने उसे बहुत डांटा व पिटाई की तब सीमा ने बीच बचाव किया उसके बाद जब भी लेट आता घर का दरवाजा खोल दो चार बात कह सो जाती। धीरे धीरे उसकी आदत हो गयी। कुछ वर्षो बाद प्रतीक के पापा एक दुर्घटना में चल बसे अब उसपर कोई रोक टोक न थी। शादी के वक्त कुछ संभला रहा लेकिन पुरानी आदतें इतनी जल्दी पीछा कहा छोड़ती है। वो फिर इसी राह पर चल पड़ा। रोजाना के झगड़े शुरू हो गये इसी दौरान तारा की गोद भर गई। घर का खर्च भी बढ़ गया था ऐसी स्थिति में तारा ने नौकरी ढूंढ ली।
वो छोटू के साथ अपनी खुशियां ढूढने लगी लेकिन प्रतीक ने अपनी लत न छोड़ी। कई बार तारा ने अपनी सास सीमा से शिकायत की लेकिन उनके लाख समझाने पर भी वो उसी शराब के नशे में झूम रहा था।
तारा ने कई बार तलाक की धमकी दी लेकिन प्रतीक पर कोई असर न हुआ।
आज तो हद ही कर दी तारा के शराब पीने को रूपये ना देने पर मासूम छोटू के सामने तारा से मारपीट करने लगा। सीमा का बीच बचाव भी कुछ काम न आया। छोटू सहमा सा सब देख पलंग पर चादर से मुंह ढक लेटा था। सहमे छोटू को देख सीमा ने उसी वक्त तारा से कहा" कब तक इस शराबी जुआरी के साथ अपने व छोटू का जीवन बर्बाद करती रहोगी जल्द ही कोर्ट में तलाक की अर्जी लगा दो । अपने बेटे के कारण पोते का जीवन बर्बाद नहीं कर सकती। तुम भी जो सजा काट रही हो उससे मुक्त हो जाओ और अपने जीवन को नई दिशा दो। बहू मैं तुम्हारा ये दर्द और सहन नही कर सकती। "
तारा अवाक सी सीमा को देखती रह गई उसने सोचा भी नही था की उसकी सास एक दिन उसका तलाक में साथ देगी।
सीमा आज चुपचाप सी बिस्तर पर करवटे बदल रही थी तभी तारा सीमा के पास आकर बैठ गई उसने देखा उनकी आंखे भीगी थी और नींद आंखों से कोसों दूर थी। तारा ने चादर ओढ़ाते हुए कहा मां सच आप का दिल बहुत बड़ा है आपने मेरे व छोटू के लिए ये फैसला लेकर साबित कर दिया । "
सुबह सीमा ने तारा को अपने कंगन देकर कहा"जब भी रुपया पैसा चाहिए इन्हें बेच देना मेरे बेटे के कारण बहुत कष्ट देख लिए। जा आज कोर्ट में तलाक की अर्जी लगा दे। "
तारा की आंखों में आंसू थे वो आज समझ नही पा रही थी। सीमा के इस फैसले पर क्या करें। तभी सीमा ने कहा "बेटा,अपने छोटू के बारे में सोच। प्रतीक का जीवन तो बर्बाद हो ही चुका है उसके कारण मैं अपने पोते का जीवन बर्बाद नही कर सकती। जाओ वकील साहब से मैंने बात कर ली है वो इंतजार करते होंगे। "
अंदर के कमरे से शराबी प्रतीक बड़े आराम से उठ तारा को आवाज़ लगा रहा था। लेकिन नन्हा छोटू दादी से चिपक कर सो गया।
तारा अपने बेटे के लिए पर्स उठाकर वकील साहब से मिलने के लिए निकल चुकी थी।