Vandana Purohit

Classics Inspirational

4  

Vandana Purohit

Classics Inspirational

जीवन स्तंभ

जीवन स्तंभ

5 mins
359


आज ना जाने क्यों नील को माँ की बहुत याद आ रही थी। मोबाइल में सेव कर रखी माँऔर नील की तस्वीर में दोनों बहुत प्यारे लग रहे थे। उस तस्वीर पर नजर पड़ते ही नील अपने बचपन कि मधुर याद में खो गया कैसे बड़े प्यार से थाली में खाना खत्म करने के लिए माँ किस्से कहानियां सुनाया करती और उसे पता भी नहीं चलता कि उसने पूरा खाना खत्म भी कर दिया। बार-बार आज नील माँ की तस्वीरें ही देख रहा था। ना जानेआज उसे क्या हो गया था। शाम को अचानक छोटू का फोन आया माँ सीरियस है और हॉस्पिटल में एडमिट है सुनते ही उसका दिमाग चकरा गया और उसने घर जाने की फ्लाइट टिकट बुक करवा ली।

 घर पर अस्पताल से लौटे केदारनाथजी भरी सर्दी में रजाईओढ़ लेटे थे पूरी रात नींद न आयी।सुबह बार बार घड़ी का अलार्म बज रहा था लेकिन बंद करने के लिए रजाई से हाथ निकालना भी ठंड के जमाव बिंदु के कारण मुश्किल लग रहा था। तभी दरवाजे पर हुई दस्तक के कारण उठना ही पड़ा। अपनी रजाई हटा चश्मा संभालते हुए पैरों में दो पट्टी की चप्पल जैसे तैसे डाल दरवाजे पर पहुंचे और दरवाजा खोला तो स्तब्ध रह गए सामने विदेश से लौटा उनका बेटा नील खड़ा था। जिसे देखते ही उनकी आंखों से अश्रु धारा बह निकली। बरसों से आंखों में सुख-दुख के सागर को दबाये वो जी रहे थे बस। नील नेअपने पिता केदारनाथ जी के पांव छुए और उन्हें अपने दोनों हाथों से संभालता हुआ अंदर ले गया। वो चुपचाप सोफे पर बैठ गया उसे शांत और सोच में डूबा देख केदारनाथ जी ने कहा" चिंता मत कर अब तेरी माँ खतरे से बाहर है अभी अस्पताल में छोटू है। तू पहले गर्म चाय पी ले। अभी बना कर लाता हूँ।" ठंड के कारण रजाई से हाथ बाहर भी ना निकालने वाले केदारनाथ जी बेटे के लिए चाय भी बनाने को तैयार थे लेकिन नील खुद ही चाय बनाकर लाया बाप बेटे दोनों ने आज अरसे बाद साथ चाय पी थी। केदारनाथजी पहली घूंट पीते ही बोल पड़े -"बेटा! तुझे याद है मैं कम चीनीऔर साथ कालीमिर्च डली चाय लेता हूँ।"

नील गहरी सांस लें मुस्कुराता हुआ बोला" मै हजारों कोस दूर गया तो क्या हुआ बाबा! मुझे आज भी आपके और माँ के साथ बिताया हर पल याद है।" बेटे के प्यार को देख केदारनाथ जी की आँखों में चमक व नमी सी तैर गई थी। दोनों बात कर रहे थे तभी दबे पांव छोटू घर में आया तो दोनों को पता भी ना चला छोटू ने पीछे से आकर अनायास ही अपना हाथ नील के कंधे पर रखा तो नील पलटा सामने छोटू खड़ा था। नील ने उसे गले लगा लिया दोनों भाई कस कर गले मिल जैसे बरसों की दूरी का पल पल समेट लेना चाहते थे दोनों की आँखे मिलने की खुशी के साथ माँ की चिंता एक दूसरे से कह रही थी। और माँ के इलाज की खबर लेने लगा। एक एक बात अनिल ने बारीकी से बताइए जिसे सुन नील चिंतित हुआ और कहने लगा "इतने दिन मुझे क्यों नही बताया।" तो छोटू ने बताया कि पहले से अब तबीयत में सुधार है भैया।" छोटे भाई को हिम्मत देता देख बोला-" मैं तो तुझे अब तक छोटा ही समझ रहा था लेकिन तूने तो बड़े का काम संभाल लिया।" 

केदारनाथ जी दोनों बेटों की बात सुन बोले-" नील तेरे विदेश जाने के बाद छोटू ने हीं हमें संभाला तेरी माँ बार- बार बीमार हुई लेकिन तुझे बताने से छोटू मना करता रहा कि भैया कोसों दूर बैठे चिंता करेंगे।"

 तभी छोटू का फोन बजा फोन उठाते ही बोला "अभी पहुंचते हैं।"

 छोटू ने मुस्कराते हुए बताया -" चिंता की बात नहीं है। माँ को होश आ गया। चलो भैया। वे तुम्हें देख कर खुश होगी।"

 केदारनाथ जी को संभालते हुए दोनों बेटों ने कार में बैठाया हॉस्पिटल पहुंचते ही देखा वार्ड के कोने के बेड पर लेटी रमा कमजोर व दुर्बल शरीर ,गड़ी आंखों से दरवाजे पर ही टकटकी लगाए थी। वह अपने बेटे का दीदार करने को आतुर थी। उनकी नजरें अरसे से नील के दरस की प्यासी थी। अपनी ममता को दबाए उन्होंने 5 वर्ष तो निकाल दिए लेकिन अभी घड़ी का इंतजार भी उन्हें लंबा लग रहा था। जैसे ही वार्ड के दरवाजे में कदम रखा नील को वह पलक झपकाए बिना देखती रह गयी। नील भी पिता को छोटू के हाथ संभलाकर माँ की और भागा जैसे दो ढाई साल का बच्चा माँ से कुछ पल दूर रहते ही मिलने को आतुर होकर गले लगता है। यह ममतामयी दृश्य देख सभी द्रवित थे। रमा नील के कभी सिर पर और कभी गाल पर हाथ रख दुलार रही थी। हाथ में लगी कैनुला के कारण दर्द हो रहा था लेकिन आज अपने बेटे से मिलाप के आगे सब भूल चुकी थी। तब कंपकपाते होंठों से रमा ने कहा"नी.. ल अ..ब तो तू आ ग... या घर च..ले।" ऑंसू भरी आँखों से नील ने हाँ भर दी।

 केदारनाथ जी को लगा अब रमा बिल्कुल ठीक हो जाएगी जब से नील गया था थोड़ी थोड़ी बीमार होते आज ये नौबत आ गई थी लेकिन अब बुढ़ापे की दवा आ गई थी। छोटू को भी माँ ने पास बुलाया और दोनों हाथों से अपने बेटों को आग़ोश में भर लिया।रमा अब इन हाथों को खाली नहीं रखना चाहती थी। रमा का चेहरा दमकता नजर आ रहा था।उनकी आँखों की विरानी गायब थी। जैसे उन्हें नील का ही इंतजार था। नील भी माँ के आगोश में ममता को समेटे मुस्कुरा रहा था। केदारनाथ जी को दोनों बेटे रमा के जीवन स्तंभ नजर आ रहे थे। उन्हें लग रहा था अब रमा और उनका साथ लंबा चलेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics