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Pawan Gupta

Horror Tragedy

4.3  

Pawan Gupta

Horror Tragedy

माँ

माँ

8 mins
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कुछ दिनों से मेरा मन कभी गंभीर तो कभी हल्का महसूस करता था, ये तो अक्सर ही होता है, उस नाजुक स्थिति में मुझे अपने आने वाले बच्चे की ख़ुशी और दर्द के डर से मेरे मन की ये स्थिति थी !

मेरे पति जोकि फ़ौज में थे, 3 महीने पहले ही शहीद हो गए थे, मैं अब अपनी मम्मी पापा के साथ उनके घर में ही रहती थी, क्युकी मेरा कोई अपना भाई या बहन नहीं थे, तो मम्मी पापा भी मेरी शादी के बाद अकेले हो गए थे !

मेरे पति राजीव के भी माता पिता 5 साल पहले ही कार दुर्घटना में चल बसे थे, हमारी शादी में राजीव के मम्मी पापा नहीं थे, हमने ये शादी बहुत ही सादे ढंग से की थी !

 शादी के कुछ महीने बाद ही राजीव की पोस्टिंग कश्मीर में हो गई, मैं उस समय प्रेग्नेंट थी, तो मैं अपनी मम्मी पापा के साथ रहने आ गई !

हमें कहाँ पता था कि भगवान् हमारे साथ इतना बड़ा खेल खेलने वाले है, 6 महीने बाद  मिलीट्री ऑफिस से एक लैटर आया, उसमे पता चला की राजीव और उनके साथ 5 और सैनिक शहीद हो गए !

मैं तो ये पढ़कर अकड़ सी गई, ना मेरे आंसू निकले और ना ही मेरी आवाज, मुझे मेरे मम्मी पापा ने संभाला, प्रेगनेंसी की उस हालत में ये जो कुछ भी हो रहा था, वो हम सबके लिए ठीक नहीं था !

जब मैं समझ पाई कि राजीव अब कभी वापस नहीं आएंगे तो मेरे आँखों से आसुओ की धरा फुट पड़ी !

 राजीव की सारी बातें रह - रह कर सताने लगी, वो हमेशा ही देश की बातें करते, हमेशा कहते कि एक दिन मैं देश के लिए सब न्योछावर कर दूंगा !

 पर ये कहा पता था कि वो दिन इतनी जल्दी आ जायेगा मैंने तो उनसे जी भर के बातें भी नहीं की थी !

 उनका वो प्यार से मुस्कुराना, वो ज्यादा हस्ते नहीं थे बहुत ही सीधे शांत और सुलझे हुए थे, उनकी हलकी सी स्माइल ही उनके आँखों के साथ मिलकर सब बयां कर देती थी, मैं तो उनसे कुछ पूछ ही नहीं पाई, यही सब सोच सोच कर मेरा बुरा हाल था !

  मेरी तबियत भी ख़राब हो गई थी, क्या करती मुझसे कुछ भी नहीं होता था, जी करता था, कि मैं भी राजीव के साथ ही चली जाऊ, मुझसे खाने का एक निवाला भी गले से नहीं उतरता था !

 2 दिन बाद मैं अस्पताल में पड़ी थी, मेरे मम्मी पापा मेरे पास थे, मम्मी पापा डॉक्टर सबने मुझे समझाया कि ये सब मेरा करना मेरे पेट में पल रहे बच्चे के लिए ठीक नहीं है !

माँ ने कहा - बेटी जिसे जाना था वो चला गया, पर तेरे कारण जो आने वाला है उसकी जिंदगी को क्यों खतरे में डाल रही है !

सबने कुछ न कुछ समझाया, पर ये दर्द बातो से तो ठीक नहीं होता है न, पर उस अंजान फ़रिश्ते के लिए ये ठीक तो करना ही था !

मैंने सोच लिया कि अब मुझे अपने बच्चे के लिए जीना है, राजीव का भी यही सपना था कि हमारी बेटी हो या बेटा फ़ौज में जायेगा !

कम से कम राजीव की आत्मा की शांति के लिए ही सही पर मुझे अपने बच्चे के लिए जीना होगा !

 आज १० मई है, और आज मेरा लेबर पेन शुरू हो गया है, बहुत तेज़ दर्द हो रहा है, मैं अस्पताल जा रही हू, मेरे साथ मम्मी पापा है, और मुझे मेरी बीती हुई जिंदगी मेरे आँखों के सामने से किसी फिल्म रील की तरह गुजर रही है !

 राजीव के गए ३ महीने हो गए, और आज मैं अपने और राजीव के बच्चे को जन्म दूंगी, लड़का होगी की लड़की हर माँ ये सोचती है पर मेरे मन में ये नहीं चल रहा है, मेरे मन में बस यही चल रहा है कि वो बच्चा राजीव ने जो सोचा था, वैसा ही फौजी बने !

  अस्पताल में मैं दर्द से कर्राह रही थी, और मेरे आँखों के सामने राजीव दिखाई दे रहे थे, पता नहीं कब मैं इंजेक्शन के असर से सो गई !

  जब होश आया तो मम्मी ने बताया कि लड़का हुआ है, मैं समझ गई, राजीव वापस आये है, हमें सँभालने के लिए !

 मैंने माँ से कहा - माँ एक बार मुझे भी दिखाओ, मुझसे हिला भी नहीं जा रहा था !

  माँ ने बगल के बेबी बेड से उठाकर मेरे बेटे को मेरे हाथ में रख दी, वही आँखे वही मुस्कान जो बिन कहे सब कह देती थी !

मेरे बच्चे ने मुस्कुराते हुए जताया ! मैं आ गया न ......

उस दिन के बाद से वो मेरे जीने का सहारा बन गया, हम सबने उसका नाम राजीव ही रखा !

ये राजीव भी तेज़ बुद्धि और शांत स्वभाव का था, उसकी हसी सबका मन मोह लेती, उसे बचपन से ही सैनिको की ड्रेस बहुत पसंद थी, वो हर देशभक्ति गाने पर खड़ा हो उसको सम्मान देता और तुरंत ही गिर पड़ता, वो दूसरे बच्चो से अलग था सभी बच्चो को खिलोने पसंद होते और ये विवेकानंद जी की किताबे देखता, उनके फोटो को देखता रहता उसको भारत का मानचित्र भी बहुत पसंद था वो जमीन पर मानचित्र को रख उसपर सो सो कर खेलता !

 धीरे - धीरे सब अच्छे से बीतने लगा, राजीव भी अब 7 साल का हो गया था, वो हमेशा ही देश की बातें करता, देशभक्ति फिल्मे देखता, पढाई और जिम्नास्टिक में तो वो हमेसा अवल रहता !  

  एक दिन की बात है, उसने जिद पकड़ ली, माँ मुझे uri (a serjical strike ) मूवी देखने जाना है, चलो न माँ ....

 मैं भी उसे कभी किसी भी बात से रोका नहीं था, क्युकि मुझे इस बात का एहसास था कि ये राजीव है, और राजीव का सपना भी यही था कि लड़का हो या लड़की वो फ़ौज में जायेगा, इसलिए मैं कभी भी अपने बेटे को मना नहीं करती थी, हमेशा देश की बातों के लिए प्रोत्साहित ही करती थी !

 मैं और राजीव मूवी के लिए निकल गए, हमारे घर से मॉल तक़रीबन 3 किलोमीटर्स होगा, हम कार से 15 मिनट में पहुंच गए, टिकट हमने ऑनलाइन ही ले ली थी !

 राजीव बहुत एक्साइटेड था, माँ चलो न ...जल्दी चलो न ....जिद कर रहा था, राजीव वैसे तो शांत रहता है, पर जब भी देशभक्ति फिल्मो की बात होती तो वो एक्साइटेड हो जाता !

हमने वो मूवी देखी, बहुत ही अच्छी मूवी थी, मेरे आँखों में आंसू आ गए, मुझे मेरे पति राजीव याद आ गई, इन्ही आतंकियों के कारण राजीव शहीद हुए थे, मुझसे देखा नहीं जा रहा था, फिर भी बैठी रही !

पर मेरा बेटा राजीव ये सब देख कर आँखों में चमक और चेहरे पर मुस्कराहट लिए पति राजीव की तरह लग रहा था मैंने फिल्म देखना बंद कर बेटे को ही देखती रही !  

 मूवी खत्म हुई हम घर की तरफ कार लेकर चल दिए !

राजीव - माँ कितनी अच्छी मूवी थी न ..मैं भी बड़ा हूँगा तो सबसे बदला लूंगा, मेरे पापा को इन्ही आतंकवादियों ने मारा था न, देश को आतंकमुख्त करूँगा, एक एक को मरूंगा ....

  गुस्से में राजीव बोलता जा रहा था ! 

  और मैं उसकी बाते सुन सहमती जा रही थी कि क्या मैं फिर से राजीव को खो दूंगी !

  क्या समय वापस उसी जगह आ रहा है, यही सब दिमाग में चल रहा था !

अचानक सामने से एक ट्रक आया और मेरा बैलेंस ख़राब हो गया, मैंने कार को सँभालने की बहुत कोशिस की पर कार जाकर एक पेड़ से टकरा गई !

मेरे तो होश उड़ गए, मेरे सर पर बहुत तेज़ चोट आई थी, और मेरा राजीव वो कहा गया, मैं तो डर के मारे सुन्न पड़ गई, मेरा बेटा...

हाय ये क्या हुआ मैंने फिर से राजीव को खो दिया, मेरे सर से खून गिर रहा था पर मुझे उसका एहसास नहीं था,

 मैं कार का गेट खोलकर बेतहाशा बहार भागी कि मैं लोगो से हेल्प ले सकू, राजीव मुझे कार में नहीं दिख रहा था !

 मैं चीख - चीख कर रोती रही हेल्प मांगती रही, पर कोई हेल्प करने नहीं आया, कार से थोड़ी दुरी पर सड़क पर ही बैठ कर रोती रही हेल्प मांगती रही, पर कोई नहीं आया !

फिर धीरे - धीरे लोग कार के पास इकठा होने लगे, मैंने भगवन को सुक्रिया कहा की उन्होंने मेरी हेल्प के लिए लोगो को भेज दिया मैं खड़ी हुई उस तरफ जाने को तभी लोगो ने कार का पिछले गेट खोलकर मेरे बेटे राजीव को निकला !

राजीव ठीक था, हलकी चोट थी, पर वो झटके के कारण बेहोश हो गया था, और सीट से निचे गिर गया था, इसलिए वो मुझे कार में नहीं दिखा !

 लोगो ने राजीव के चेहरे पर पानी के छींटे मारे तो राजीव होश में आया !

मेरी नज़र तो राजीव पर थी, मैं दौड़ कर राजीव को गोद में भी नहीं ले पाई, क्युकी मैं इस घटना से बिल्कुल सहम सी गई थी, मुझे यही लगा कि मेरी गलती के कारण मैंने राजीव को खो दिया !

 पर राजीव को होश में देखकर मन को शांति हुई, होश में आते ही राजीव रोता हुआ कार की तरफ भगा, पर मैं तो कार से दूर थी, तभी मैंने देखा कि राजीव कार से निकली हुई लाश से लिपट कर रो रहा था !...

 

 मैं मर चुकी थी, उस एक्सीडेंट में मेरे सर पर चोट आई थी जिस कारण मेरी मौत हो गई, शायद इसीलिए कोई मेरी आवाज सुनकर हेल्प के लिए नहीं आया !

मेरी आँखे सुखी हुई थी, मन में संतोष था, आँखों में ख़ुशी थी कि मैंने अपने राजीव को बचा लिया !

इस बात की ख़ुशी बहुत थी मैं सब देख रही थी, पुलिस आई मेरे मम्मी पापा को कॉल किया गया !

वो आये फिर कुछ फॉर्मलिटीज पूरी करके मेरी लाश पुलिस ले गई और मेरे बेटे राजीव को मम्मी पापा !

राजीव को मैंने मरने से बचा लिया, इसलिए मेरी आत्मा को मुख्ती मिल गई .....

 दवा अगर काम न आये !

 तो नज़र भी उतारती है !

 ये माँ है ! साहब,

 हार कहाँ मानती है।


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