माँ का गणित
माँ का गणित
खाने की टेबल पर बैठ मासूम निखिल से आज जब उसकी दादी ने पूछा " बेटा तुम बड़े होकर अपने पापा की तरह एक वकील बनोगे, या फिर अपनी मम्मा की तरह एक टीचर।"
तब वो मुस्कुराते हुए बोला ,"मैं तो पापा की तरह वकील ही बनूंगा।क्योकि मुझे नही लगता कि मम्मा स्कूल में बच्चो को ठीक तरह से गणित पढा भी पाती होगी।"
उसके मुंह से यह बात सुन उसकी माँ मीनल की त्योरियां चढ़ गई।और वहां उपस्थित सभी के आश्चर्य का ठिकाना न रहा।इसपर जब उसकी दादी ने उससे पूछा "तुम भला ऐसा कैसे कह सकते हो।"तब निखिल फिर मुस्कुराते हुए बोला ,कि "हर दिन मेरा पेट भर जाने तक भी मम्मा मुझसे यही कहती है कि तूने अभी दो ही रोटी तो खाई है।अब आप ही बताए जो माँ मेरी थाली में परोसी रोटियों को ठीक से नही गिन पाती।वो भला स्कूल में बच्चो को इतना कठिन गणित क्या पढ़ा पाती होगी।"
निखिल की बात सुन अब सभी के चहरे पुनः खिलखिला उठे और मीनल भी खुश हो निखिल के सर को सहलाने लगी।
