माधव का कत्ल.....Part - 1
माधव का कत्ल.....Part - 1
"अरे, मार डाला मेरे बेटे को उस हरामजादे ने, मेरे घर का चिराग बुझा दिया उस पापी ने।"एक बुढिया अपने बेटे की लाश पर बुरी तरह रो रही थी,
ये सब देखकर वहां खड़े हर किसी की आंखें नम हो गई, उसका कलेजा फटा जा रहा था अपने बेटे को लाश के रूप में देखकर
रामवती, यही नाम है इस बदनसीब बूढ़ी मां का जिसका जवान बेटा उसे छोड़कर चला गया, पति तो शादी के चार साल बाद ही किसी दूसरी औरत के चक्कर में सब छोड़छाड़ कर चला गया था,
अब जो सहारा था, वो भी छीन गया, गरीब थे; पर जिंदगी की गाड़ी चल रही थी, बेटे का नाम माधव था; पास की एक फैक्ट्री में काम करता था और रामवती भी घरों में काम करती थी,
गांव से दस साल पहले इस शहर में आए थे दोनों, बेटी की शादी अपने ही गांव में कर दी थी, अब दोनों मां बेटे ही थे साथ में, पर आज अचानक नहर में लाश मिली माधव की,
उसके हाथ पैर और मुंह बांधकर बोरे में फेंका गया था, पुलिस की छानबीन शुरू हो गई थी, की आखिर किसने मारा माधव को
बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया गया, रामवती बार बार बेटे को याद कर रोने लगती, पड़ोसी और बाहर से आए परिवारीजन उसे संभाल रहे थे,
पुलिस इंस्पेक्टर करन वर्मा रामवती के पास आए और पूछा "किसने मार डाला आपके बेटे को, किस पर शक है आपको?"
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ये सुनते ही दुखी हालात में बैठी रामवती तुरंत खड़ी हो गई और गुस्से भरे शब्दों में बोली" साहब, छोड़ना मत उसे, वो कहने को उसका दोस्त था; पर सांप, निकला, वो सांप।"
"कौन है वो, नाम तो बताइए?"इंस्पेक्टर करन ने पूछा
"राजदीप नाम है उसका, राजदीप ठाकुर; यहां के अमीरों में गिनती होती हैं उसकी, उसका बाप आकाशदीप ठाकुर तमाम फैक्ट्रियों का मालिक हैं, उसकी ही एक फैक्ट्री में मेरा बेटा भी काम करता था।"रामवती ने बताया
"लेकिन आपको क्यों लगता है, की राजदीप ने मारा है आपके बेटे को?"इंस्पेक्टर करन ने पूछा
"क्योंकि राजदीप जिस लड़की को प्यार करता था, वो लड़की मेरे बेटे को पसंद करने लगी थी और फिर माधव भी उसे पसंद करने लगा था, जिस वजह से राजदीप और माधव के बीच बहुत झगड़े होने लगे थे,
ये सब देखते हुए मैने माधव को बोला, की उस लड़की के प्यार व्यार से निकल जा, नहीं तो फालतू की मुसीबत बढ़ जाएगी,
लेकिन माधव उस लड़की से बहुत प्यार करने लगा था और वो लड़की वो तो पहले ही माधव के प्यार में दीवानी थी, दोनों ही नहीं मान रहे थे
राजदीप ने माधव को मारने की धमकी दी थी।"रामवती बोली, "ओह ! तो ये बात है, चलिए आपसे और बात बाद में करते हैं, अभी चलता हूं।"करन बोला और चला गया।
To Be Continued