Shweta Sharma

Inspirational Children

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Shweta Sharma

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दो हजार रूपए

दो हजार रूपए

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"पापा, दो हजार रूपए दे.... दो।"पंद्रह साल के राजवीर ने अपने पापा से हिचकिचाते हुए कहा,

"दो हजार रूपये, किस खुशी में भाई।"चौंकते हुए अमन ने पूछा,

"वो पापा..........दरअसल मेरे स्कूल वाले दो दिन बाद वॉटर पार्क जा रहे हैं, मुझे भी जाना है.........इसलिए।"थोड़े हिचकिचाते और डरते डरते राजवीर बोला।

"दो हजार रूपए, वॉटर पार्क के, बेवकूफ बनाते हैं ये स्कूल वाले।"झुंझलाते हुए अमन बोला।

"नहीं पापा, सभी जा रहे हैं, मैं सिर्फ दो तीन बार पिकनिक पर गया हूं, हमेशा नहीं जाता, इस बार जाने का मन है।"राजवीर ने अमन को समझाते हुए कहा।

"पैसे पेड़ पर नहीं उगते बेटा, कमाने पड़ते हैं और बहुत मुश्किल से कमाए जाते हैं और जाने का इतना ही मन है, तो मम्मी से मांगो।"अमन ने दो टूक जवाब दिया।

"अभी मेरे पास बजट नहीं है अमन; आप अभी इसे दे दो, मैं आपको अगले हफ्ते वापस कर दूंगी।"रूम से बाहर निकलते हुए नंदिनी ने कहा।

"इतना जरूरी नहीं है जाना, बेकार का खर्चा करना; खुद कमाना; तब घूमना, फिर देखूंगा; कितना घूमता है,

खुद ही घूम जाएगा, तब समझ आएगा, की पैसा कैसे कमाया जाता है और तुम भी तो कमाती हो पैसे, फिर भी पैसे की वैल्यू नहीं समझती।"

गुस्से में बड़बड़ाते हुए अमन बोला।

"अरे, वो जाता ही कहां है, हमेशा वो रह जाता है; इस बार दे दो, घूम आएगा; अच्छा लगेगा उसको थोड़ा।"नंदिनी ने अमन को बोला।

"मैं गया हूं इतने साल से कहीं घूमने, अपने लिए तो कुछ सोच ही नहीं पाता मैं, कभी इसके पैसे, कभी अनिका की स्कूल फीस, कभी कुछ, कभी कुछ।"झुंझलाते हुए अमन बोला।

"दोनों बच्चे कोई ज्यादा जिद नहीं करते, कभी कभी तो मन करता हैं उनका घूमने फिरने का और।"नंदिनी की बात अधूरी रह गई, क्योंकि अमन गुस्से में बोला,

"नहीं है फालतू चीजों के लिए मेरे पास पैसे, तुम दो पैसे; अगर इतना ही शौक है इन फालतू कामों के लिए पैसे लुटाने का, मैं जा रहा हूं ऑफिस।"अमन ने टेबल से पैक टिफिन उठाया और चला गया जोर से दरवाज़ा बंद करके,

औरगुमसुम सा खड़ा रहा राजवीर और हैरान रह गई नंदिनी, वैसे तो नंदिनी और बच्चों के लिए अमन का ये बर्ताव नई बात नहीं है, फिर भी एक ही बात बार बार सुनकर इंसान कुछ टूट सा जाता है,

नंदिनी ने खुद को संभालते हुए राजवीर से कहा" कोई नहीं बेटा, मैं दे दूंगी पैसे, अभी लाती हूं।" ये कहते हुए वो कमरे में जाने लगी, तभी राजवीर ने कहा

"नहीं मम्मा, रहने दो; कोई बात नहीं, अगली बार चला जाऊंगा, इतना जरूरी भी नहीं है; स्कूल जा रहा हूं,।"मुस्कुराते हुए राजवीर बोला और अपना टिफिन उठाकर चला गया,

नंदिनी जानती थी, की राजवीर की मुस्कुराहट ऐसे ही नकली थी, उसकी आंखों में दर्द था,

नंदिनी को भी ऑफिस जाना था, लेकिन आज उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था, सर; दर्द से फटा जा रहा था, उसने ऑफिस फोन करके लीव ली और अपने लिए चाय बनाई, सर दर्द की टैबलेट खाई और चाय लेकर सोफे पर बैठ गई,

मेड को अपने बेटे के लिए लड़की देखने जाना था, इसलिए आज वो नहीं आई, नंदिनी सोच रही थी; की अनिका अभी दस साल की है, पर फिर भी वो कोई ज्यादा जिद नहीं करती, राजवीर तो बहुत कम कुछ मांगता है,

बच्चे समझदार हैं, फिर भी अमन का ये रवैया; पैसे नहीं देने थे, कोई बात नहीं; पर बच्चों को बार बार ताने मारकर सुनाना ये गलत है,

आज बच्चे सुन लेंगे, पर हमेशा ऐसा नहीं होगा; क्योंकि हर बात की एक सीमा होती है, किसी दिन बच्चों ने कड़वा जवाब दे दिया, तो अमन को कैसा लगेगा, ये अमन को सोचना चाहिए,

आज रात अमन से बात करूंगी, उन्हें समझाऊंगी।

रात में खाना पीना खाकर जब सब सोने अपने अपने कमरे में जाते हैं, तो अमन अपने कमरे में ना जाकर राजवीर के कमरे में जाता है, नंदिनी भी चुपके से पीछे जाती है,

कमरे में पहुंचकर अमन, राजवीर को आवाज लगाता है" राजवीर"

"हां, पापा; कहिए।"राजवीर कहता है।

"ये लो, दो हजार रूपए; घूम आना वॉटर पार्क।"अमन ने कहा।

राजवीर कुछ पल के लिए हैरान हो जाता है और नंदिनी बुरी तरह चौंक जाती है, क्योंकि वो अमन को जानती है, इतनी आसानी से पैसे वो देने वालों में से नहीं है,

"पर पापा, कोई बात नहीं; अगली बार चला जाऊंगा, अभी रहने दीजिए।"राजवीर ने कहा, क्यूंकि उसे भी यकीन नहीं हो रहा था, की पापा इतनी जल्दी पैसे देने आ गए और वो भी खुद,

"अरे, चले जाओ; घूम आओ, पर एक शर्त पर।"अमन मुस्कुराकर बोला

"क्या पापा ?" खुश होते हुए राजवीर ने पूछा।

"बहुत सारी फोटो क्लिक करके लाओगे।"मुस्कुराते हुए अमन ने कहा,

"हां पापा, पक्का लाऊंगा।"राजवीर ने हंसते हुए कहा और अमन के गले लगकर बोला" थैंक यू पापा।"

"लव यू बेटा।"राजवीर का माथा चूमते हुए अमन बोला और गुडनाइट कहकर कमरे से बाहर आ गया,

ये सब देखकर नंदिनी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए

जब अमन बाहर आया, तो नंदिनी और अमन दोनों आमने सामने थे और दोनों की आंखों में आंसू थे,

रूम में आकर नंदिनी ने अमन से पूछा" अचानक आपको क्या हो गया, राजवीर को पैसे दे दिए; वो भी इतनी खुशी खुशी?"

"आज ऑफिस में मिस्टर वर्मा से बात हो रही थी, उन्होंने बातों ही बातों में बताया; की एक वक्त था, की मेरे बच्चे मेरे आगे पीछे घूमते रहते थे, मेरे साथ दो पल बिताने के लिए या किसी फरमाइश के लिए, लेकिन मैं उन्हें बुरी तरह डांट दिया करता था,

हर समय गुस्सा हो जाया करता था और आज वक्त ऐसा है, की मेरे बच्चे अपनी मम्मी के साथ मस्ती करते रहते हैं, घूमने जाते हैं; पर मुझसे ज्यादा बात नहीं करते, मेरे साथ जितनी देर बैठते हैं चुप बैठते हैं,

जब उन्होंने अपनी वाइफ से पूछा की बच्चे उनसे बात क्यों नहीं करते, तो उन्होंने कहा की आप खुद सोचिए की बच्चे आपसे बात क्यों नहीं करते

वो समझ गए नंदिनी और मैं भी; मैं अपने बच्चों के दिल से दूर नहीं होना चाहता, कि फिर चाहकर भी उन्हें अपने करीब ना ला पाऊं।"

नंदिनी के चेहरे पर संतुष्टि थी।


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